November 22, 2024
Illusion of crypto currency (virtual currency), question on physical existence

Illusion of crypto currency (virtual currency), question on physical existence

क्रिप्टो करेंसी (आभासी मुद्रा) का मायाजाल, भौतिक अस्तित्व पर सवालl
आज का युग तकनीकी तथा नवाचार का युग हैl वैश्विक स्तर पर हर देश में आज तकनीकी परिवर्तन हो रहे हैंl तकनीकी परिवर्तन के कारण देश में हर क्षेत्र में डिजिटलाइजेशन हो रहा हैl ऐसा ही एक नया प्रयोग,नवाचार आभासी मुद्रा यानी क्रिप्टो करेंसी का आर्थिक क्षेत्र में पदार्पण हुआ हैl क्रिप्टो करेंसी के सिक्के के भी दो पहलू हैं एक पहलू में बहुत सारे लाभ हैं और दूसरे पहलू में आर्थिक संदर्भ में चुनौतियां या सुरक्षा अंतर्निहित है। इसको अपनाने से पहले या इसे स्वीकार करने से पहले इसके कानूनी पक्ष और विधि सम्मत स्वीकार्यता पर पूरा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी। क्रिप्टोकरंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे ना तो देखा जा सकता है ना ही चुन सकते न मुद्रा की भांति जेब में या पर्स में रखा जा सकता है, क्योंकि इसकी हार्ड कॉपी या मुद्रित रूप उपलब्ध ही नहीं है। यह करेंसी भौतिक रूप से उपलब्ध ना होने के कारण इसे आभासी मुद्रा कहा जाता है। यह एक स्वतंत्र किस्म की मुद्रा है इसका संचालन व नियमन किसी संस्था या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता इसे विकेंद्रीकृत मुद्रा भी कहा जाता है। यह एक डिजिटल मुद्रा है। यह एक ऐसी मुद्रा है जिसे कंप्यूटर एल्गोरिथ्म के आधार पर बनाया जाता है। किसे केवल कंप्यूटर में ही देखा जा सकता है गिना जा सकता है एवं भुगतान किया जा सकता है। यह मुद्रा सरकारी नियंत्रण से मुक्त है। विश्व में सबसे पहले 2009 में जापान के संतोषी नाकमोतो द्वारा बनाई गई थी। वर्तमान में बाजार में 1500 से भी ज्यादा क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध है, जो पियर टू पियर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के रूप में काम करती है। वर्तमान में क्रिप्टोकरंसी काफी लोकप्रिय होती जा रही है इसकी लोकप्रियता का कारण एक यह भी है कि यह गोपनीयता बनाए रखने में सहायक होती है। जिसके लेन देन में छद्म नाम एवं पहचान बनाई जाती है। ऐसे में निजता तो लेकर अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तियों को यह व्यवस्था बहुत उपयुक्त लगती है। इसके लेनदेन में राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आर्थिक बोझ कम पड़ता है। जिसके लेन देन में थर्ड पार्टी के सर्टिफिकेशन की आवश्यकता नहीं होती है। इसके लेनदेन में समय तथा धन की बहुत ज्यादा बचत होती है। सामान्य बैंक खातों की तरह इसमे किसी भी प्रकार के कागजात की आवश्यकता भी नहीं होती है। बैंकिंग प्रणाली तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेनदेन पर सरकार का कड़ा नियंत्रण होता है, जबकि यह राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम के प्रत्यक्ष नियंत्रण के बाहर होने कारण लेनदेन के आदान-प्रदान का विश्वसनीय एवं सुरक्षित माध्यम बनकर उभरा है। सरकार के पास बैंक खाते को जप्त करने का अधिकार होता है, जबकि की क्रिप्टो करेंसी के मामले में ऐसा नहीं कर सकती अतः सरकार से बचाव के प्रभावशाली विकल्प के रूप में इस मुद्रा का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही नोटबंदी एवं मुद्रा के अवमूल्यन का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।यह डिजिटल करेंसी है, अतः इसमें धोखाधड़ी की संभावनाएं बहुत कम होती है। या निवेश के लिए इस प्लेटफार्म पर अधिक पैसा होने पर क्रिप्टोकरंसी में निवेश करना लाभप्रद माना जा रहा है, क्योंकि इसकी कीमतों में बहुत तेजी से उछाल होता है। क्रिप्टो करेंसी राशि सीमाओं से परे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही कम लागत पर एक देश से दूसरे देश को पैसा भेजने के लिए सुगम साधन बन चुका है। 2009 में बिटकॉइन क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में एक बिलियन बिटकॉइन इंटरनेट के नेटवर्क में समाहित है, तथा नए बिटकॉइन का लगातार आगमन हो रहा है। आज प्रत्येक बिटकॉइन का मूल्य ₹500 है, जो दुनिया की सबसे महंगी करेंसी मानी जाती है। कुछ लोग इसे गोल्डरश के नाम से भी पुकारते हैं। वर्ष 2014 से माइक्रोसॉफ्ट ने अपनी सेवाओं के लिए बिटकॉइन के रूप में भुगतान लेना शुरू कर दिया है। निकोसिया विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों के प्रवेश शुल्क के रूप में बिटकॉइन करेंसी स्वीकार किया था । 2018 प्रशांत महासागर में स्थित मार्शल द्वीप क्रिप्टो करेंसी के लीगल टेंडर को मान्यता देने वाला पहला वैश्विक देश है। वेनेजुएला ने भी क्रिप्टो करेंसी की तर्ज पर पेट्रो नामक एक करेंसी प्रारंभ की है ऐसा करने वाला विश्व का पहला संप्रभुता वाला देश है। कई देशों में इसे आर्थिक संकट से उबारने वाला उपाय की तरह देखा जा रहा है। विश्व के कई देश इसकी पारदर्शिता तथा विधि स्वीकार्यता को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं। कई देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है उसे मान्यता प्रदान नहीं की है। भारत ने भी अभी इसे किसी भी तरह की मान्यता प्रदान नहीं की है।भारतीय संदर्भ में आभासी मुद्रा में उच्च स्तर की अनिश्चितता एवं के कारण भारत सरकार का दृष्टिकोण प्रतिबंधात्मक ही रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1913 में पहली बार इस संदर्भ में चेतावनी जारी की थी फिर 2017 में रिजर्व बैंक ने इस संदर्भ में जनता को आगाह कर इससे सावधान रहने के लिए कहा है। रिजर्व बैंक के अंदर क्रिप्टो करेंसी के संचालन में आर्थिक, वित्तीय, परिचालनात्मक कानून ग्राहक संरक्षण और उसकी सुरक्षा संबंधी जोखिम मौजूद हैं। रिजर्व बैंक द्वारा किसी प्रकार की क्रिप्टो करेंसी को मान्यता प्राधिकार या लाइसेंस नहीं दिया है। क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध और अधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक 2019 के ड्राफ्ट में यह प्रस्ताव दिया गया है कि देश में क्रिप्टोकरंसी की खरीद बिक्री करने वालों को 10 वर्ष की जेल की सजा होगी। इस प्रकार भारत में सभी प्रकार के क्रिप्टोकरंसी पर प्रतिबंध है। भारत सरकार ने इसे मान्यता नहीं दी है। क्योंकि क्रिप्टो करेंसी काले धन को छुपा का एक बड़ा जरिया भी हो सकता है तथा सरकार को इस को प्रतिबंधित करने के लिए और कड़े नियम कानून बनाने की आवश्यकता होगी।ईस में सबसे बड़ी हानि होती है कि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है और इसका मुद्रण भी नहीं किया जा सकता है ।मतलब स्पष्ट है कि यह करेंसी के रूप में छापी भी नहीं जा सकती और ना ही इसकी कोई पासबुक या अकाउंट ही जारी किया जा सकता है। इसका प्रयोग अवैध कार्यों के लिए जैसे अवैध हथियार खरीदी, मादक पदार्थों के व्यापार, आतंकवादी गतिविधियों में मनी लांड्रिंग आदी में किए जाने की संभावना बढ़ जाती है अतः इस पर पूर्णत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
संजीव ठाकुर, स्तंभकार, चिंतक, लेखक, रायपुर छत्तीसगढ़,

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