बृजेश मिश्र, पहल टुडे
विशेषज्ञ बोले- घबराने की नहीं सावधानियां बरतने की जरूरत, साफ-सफाई का रखें ख्याल।
मऊ में मानसून के साथ कुछ राज्यों से आई फ्लू का कहर बढ़ते-बढ़ते अब पूर्वांचल के कई जनपदों में अपना पैर पसारने लगा है। आंख के अस्पतालों में इन दिनों आई फ्लू के मामले काफी तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। वैसे तो यह कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू बरसात के मौसम में तेजी से फैलने लगता है। विशेषज्ञों की मानें तो अभी इससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं हैं, कुछ सावधानियां बरतते हुए इससे बचा जा सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि इन दिनों बदलते मौसम में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बदलते मौसम में मानसून के साथ आई फ्लू समेत कई बीमारियां फैलने लगती हैं और संक्रमण का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को बीमारी की चपेट में आने से अस्पताल का शरण लेना पड़ रहा है। बदलते मौसम में बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े और महिलाएं बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं।
नगर क्षेत्र स्थित डॉ. वी सिंह मेमोरियल सेंटर के डायरेक्टर डॉ. क्षितिज आदित्य सिंह ने बताया कि मानसून के साथ बदलते मौसम में कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू का प्रभाव बढ़ जाता है। आई फ्लू एक तरह का एपिडेमिक वायरल इंफेक्शन है, इससे बहुत घबराने की आवश्यकता नहीं है। आमतौर पर पहले भी इन दिनों बारिश के मौसम में वायरल कंजक्टिवाइटिस का प्रकोप बना रहता है। इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं है, बशर्ते बदलते मौसम में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि जिस किसी को भी आई फ्लू हो जाए]वह अपनी आंखों को छूने से बचे और समय-समय पर अपने हाथों को अच्छे से धोते रहे। इन दिनों बदलते मौसम में सैनिटाइजर का भी उपयोग करते रहना चाहिए । जिससे संक्रमण और अन्य बीमारियों से बचा जा सके। इसी के साथ आसपास साफ-सफाई भी रखनी है। आई फ्लू के लक्षण दिखने पर आंख के चिकित्सक से मिलकर दवाएं ले।उन्होंने आगे बताया कि कंजक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू होने के बाद अगर आपको कोई दवा नहीं मिलती है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। 3 से 4 दिनों में यह बीमारी धीरे-धीरे कम होने लगती है। आई फ्लू होने पर आंख लाल हो जाना, आंखों से पानी गिरना, आंख के आसपास हल्का सूजन और कुछ केस में हल्का बुखार और सिर दर्द देखने को मिलता है। इस बीमारी को लेकर लोगों में कई भ्रांतियां भी फैली होती है, इन सब से बचने की आवश्यकता है।