दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण में सुधार के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने प्रदूषण रोधी उपायों में बदलाव किया है। श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान-ग्रैप) के तहत नए नियम एक अक्तूबर से लागू होंगे। नए नियमों को आयोग की ओर से शुक्रवार को राज्यों को जारी किया गया।
अब डीजल जनरेटर नहीं चल सकेंगे। सीएनजी और मौजूदा जनरेटर, जिनमें सुधार करके मान्यता प्राप्त गैस किट लगाई गई है, की ही अनुमत होगी। ज्यादा पुराने वाहनों के संचालन पर सख्त प्रतिबंध होगा। वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार होने पर सभी रेस्टोरेंट, भोजनालय और होटलों में कोयला और लकड़ी जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
इसके अलावा गुणवत्ता सूचकांक चार सौ का आंकड़ा पार करता है तो दिल्ली, गुरुग्राम, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में बीएस तीन पेट्रोल और बीएस चार डीजल से चलने वाले चार पहिया वाहनों पर भी तुरंत प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। बीएस छह ईंधन वाले, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहन ही चल सकेंगे। नए बदलाव पिछले सालों के अनुभव और अभ्यास पर आधारित हैंं।
दिल्ली और एनसीआर में ग्रेप को प्रतिकूल वायु गुणवत्ता के लिहाज से चार चरणों में रखा गया है। इसमें पहले स्तर पर वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई 201 से 300 तक खराब स्थिति में होगी। द्वितीय चरण में बहुत खराब वायु गुणवत्ता 301 से 403 के स्तर पर होगी। जबकि गंभीर एक्यूआई 401 से 450 तक और अति संवेदनशील और गंभीर स्थिति में वायु गुणवत्ता 450 और उससे अधिक को रखा गया है। यह पैमाना वायु में मोटे धूल कण और महीन धूल कणों के आधार पर है।
मानकों पर आधारित वाहन व्यवस्था को अपनाना होगा
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्य सचिव अरविंद कुमार नौटियाल ने कहा सीएक्यूएम की वरीयता वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासनिक उपायों के साथ जनभागीदारी भी है। वायु गुणवत्ता हम सबके स्वास्थ से जुड़ी है। इसके लिए जनता को आगे आकर सहयोग करना होगा। इसके लिए जनता को सार्वजनिक परिवहन के साथ, मानकों पर आधारित वाहन व्यवस्था को अपनाना होगा। सामुदायिक स्तर पर वायु को प्रदूषित करने वाले कारकों के प्रति जागरूक होना होगा।
घग्गर नदी में मूर्ति विसर्जन में सुनिश्चित हो सीपीसीबी के निर्देशों का पालन: एनजीटी
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा में घग्गर नदी में मूर्तियों के विसर्जन के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। एनजीटी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि हरियाणा के पंचकूला में सेक्टर 21 और 23 के बीच नदी पर एक पुल का उपयोग धार्मिक प्रसाद और अन्य अपशिष्ट पदार्थों के विसर्जन के लिए किया जा रहा था। इसमें यह भी कहा गया कि गैर-पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियों को जलाशय में विसर्जित किया जा रहा था। कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस एसके सिंह की पीठ ने कहा, सीपीसीबी ने सुझाव दिया था कि मूर्ति विसर्जन के लिए नदी क्षेत्र में बैरिकेड वाली जगहों की पहचान की जानी चाहिए।