
गाजियाबाद/ दिनेश कुमार गोयल एम0एल0सी0 द्वारा अंसल ग्रुप के प्रकरण के कारण स्टेट कैपीटल रिजन में निवेशकों के साथ करोडों रूपयों की देनदारी एवं संयुक्त जिला अस्पताल गाजियाबाद में लिफ्ट ठीक कराने व कौशाम्बी योजना के अन्तर्गत प्लॉट नं0 ए-187 के आस-पास अवैध कब्जे को हटवाये जाने की मांग की। दिनेश कुमार गोयल सदस्य विधान परिषद व विजय बहादुर पाठक सदस्य विधान परिषद द्वारा विधान परिषद में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सरकार वर्ष 2003 मे उ0प्र0 में हाईटेक टाउनशिप पॉलिसी के तहत अंसल ग्रुप को 1335 एकड़ में टाउनशिप बनाने का लाइसेंस दिया गया था। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ-साथ एन0सी0आर0 समेत पॉच अन्य राज्यों में टाउनशिप चला रही थी। कम कीमत पर फ्लैट, मकान और जमीन देने का वादा करके डेवलपर कम्पनियां अपने वादे से मुकर गई और हजारों निवेशकों की गाडी कमाई का रूपया डूबने की स्थितियां उत्पन्न हो गयी है। इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस पूरे प्रकरण पर निर्णय लिया है उससे आशा जगी है कि राज्यभर में जगह-जगह, जहां-जहां भी टाउनशिप के कार्य हो रहे है उनके रेगूलेट और मॉनिटरिंग का काम भी किया जाना आवश्यक है। इस विषय पर अंसल गु्रप में हजारों निवेशकों के करोडो-करोड़ों रूपयों की देनदारी का विषय उठने के कारण स्टेट कैपीटल रिजन में सावधानी बरतें जाने के सम्बन्ध में चर्चा/वक्तव्य की मांग की।
साथ ही गाजियाबाद में संजय नगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल का संचालन वर्ष 2008 में हुआ था जिसमें मरीजों की सुविधा के लिए वर्ष 2016 में 12 लाख रूपयें खर्च करके एक नई लिफ्ट स्थापित की गयी थी। 8 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी लिफ्ट को संचालित करने के लिए चिकित्सा अधीक्षक द्वारा एक निजी फर्म के इंजीनियर को बुलाया गया तो उन्होने बताया लिफ्ट खराब है। लिफ्ट को संचालित करने के लिए 2 लाख खर्च होगा। लिफ्ट खराब होने से हार्ट के मरीजों तथा अन्य मरीजों को दूसरी मंजील पर ले जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पडता है। उपरोक्त अस्पताल के लिफ्ट को यथाशीघ्र ठीक कराने एवं दोषी के विरूद्ध कार्यवाही हेतु सदन में वक्तव्य की मांग की।
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के कौशाम्बी योजना के अन्तर्गत प्लॉट नं0 ए-187 के आस-पास के प्लॉटों में कूडा डालकर कतिपय लोगों ने कब्जा कर रखा है जिसके कारण इस प्लॉट पर आने का रास्ता भी अवरूद्ध है। इस प्लॉट की रजिस्ट्री वर्ष 1996 में हो चुकी है इसलिए लोक महत्व के इस सुनिश्चित विषय पर वक्तव्य की मांग की।