लखनऊ
लखनऊ से गोरखपुर के बीच चलने वाली सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस भले ही सुविधाओं से लैस हो, पर महंगे किराये की वजह से यात्री इस ट्रेन से किनारा कर रहे हैं। यही वजह है कि इसकी 80 प्रतिशत तक सीटें खाली हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन 9 जुलाई से गोरखपुर से लखनऊ के बीच शुरू हुआ है। ट्रेन नंबर 22549 गोरखपुर से लखनऊ वाया अयोध्या सुबह 6.05 बजे गोरखपुर से चलकर सुबह 10.20 बजे लखनऊ पहुंचती है। वापसी में 22550 लखनऊ-गोरखपुर वंदे भारत शाम को चारबाग से सवा सात बजे रवाना होती है।
पहले हफ्ते में ट्रेन को गोरखपुर से लखनऊ आने के दौरान ठीकठाक यात्री मिलते रहे। पर, अब स्थिति बदल रही है। माना जा रहा है महंगे किराये के कारण यात्री वंदे भारत में सफर से कतरा रहे हैं। यही वजह है कि गोरखपुर से लखनऊ आने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की चेयरकार में सोमवार को 221, मंगलवार को 312, बुधवार को 340, गुरुवार को 364, शुक्रवार को 361 सीटें खाली हैं। एग्जीक्यूटिव क्लास में इन दिनों में क्रमशः 23, 28, 27, 37, 28 सीटें रिक्त हैं। इसी क्रम में लखनऊ से गोरखपुर जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की चेयरकार में इन दिनों में 317, 362, 379, 374, 387 तथा एग्जीक्यूटिव क्लास में नौ, 25, 33, 34, 30 सीटें रिक्त हैं। यह हाल तब है, जब ट्रेन में कुल 530 सीटें हैं।
इंटरसिटी को बेहतर विकल्प मान रहे हैं लोग
गोरखपुर से लखनऊ के बीच चलने वाली इंटरसिटी व वंदे भारत एक्सप्रेस की सुविधाओं के लिहाज से कोई तुलना नहीं है। पर, टाइमिंग एक ऐसी वजह है, जिसकी वजह से यात्री महंगी वंदे भारत में सफर से बच रहे हैं। गोरखपुर से सुबह पौने छह बजे चलने वाली इंटरसिटी का चेयरकार में किराया 475 रुपये है और ट्रेन लखनऊ पहुंचने में 5.25 घंटे लेती है। वहीं वंदे भारत एक्सप्रेस सुबह 6.05 बजे चलती है और उसकी चेयरकार का किराया 890 रुपये है तथा समय 4.15 घंटे लगते हैं। ऐसे में यात्री एक-दो घंटा बचाने के लिए वंदे भारत के महंगे सफर की जगह इंटरसिटी पकड़ रहे हैं। वंदे भारत में गोरखपुर से लखनऊ आने पर 890 रुपये व वापसी का 1000 रुपये से अधिक चेयरकार का किराया है, जबकि एग्जीक्यूटिव क्लास का किराया 1700 रुपये से अधिक है। यात्रियों का स्पष्ट कहना है कि किराया कम होने पर ही वंदे भारत में लोगों की संख्या बढ़ेगी।