महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि दोषियों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाये लेकिन सत्ताधारी पार्टियां और विपक्ष महिलाओं से जुड़े मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी राजनीति कर रहे हैं। विपक्षी दल जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं भाजपा, कांग्रेस नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर निशाना साध रही है। मणिपुर में जो हुआ वह बिल्कुल गलत था लेकिन अब पश्चिम बंगाल के माल्दा, बिहार के बेगूसराय और राजस्थान के करौली तथा अन्य इलाकों से जिस प्रकार की खबरें आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि नारी के प्रति असम्मान बढ़ता जा रहा है और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। बहरहाल, मणिपुर की घटना को लेकर जो लोग पुतले फूंक रहे हैं, कैंडल मार्च निकाल रहे हैं और सोशल मीडिया पर तरह तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं उनसे सवाल यह है कि वह राजस्थान, पश्चिम बंगाल और बिहार की घटनाओं पर चुप क्यों हैं? नारी का सम्मान समान ही होता है चाहे वह इस राज्य की हो या उस राज्य की। लेकिन किसी खास पार्टी द्वारा शासित राज्य में महिला विरोधी अपराध के खिलाफ कैंडल मार्च निकाले जायें, पुरस्कार वापस करने का ऐलान किया जाये और किसी दूसरी पार्टी द्वारा शासित राज्य में महिला के खिलाफ अपराध की घटना पर आंखें बंद कर ली जायें और मुँह सिल लिया जाये, यह तो ठीक नहीं है। इससे राजनीतिज्ञों और समाज का दोगलापन ही सामने आता है।
बंगाल की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल में कुछ दिन पहले दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर यातना दी गई और पुलिस ‘‘मूकदर्शक’’ बनी रही। भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल भाजपा के सह प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि घटना को 19 जुलाई को मालदा जिले में उस भीड़ ने अंजाम दिया जो ‘‘उनके (महिला के) खून की प्यासी’’ थी। उन्होंने कथित अपराध की धुंधली तस्वीरों के साथ एक वीडियो भी साझा किया। मालवीय ने मणिपुर की घटना पर मुखर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘यह एक ऐसी त्रासदी थी जिससे ममता बनर्जी का दिल ‘टूट’ जाना चाहिए था और वह केवल आक्रोश जताने के बजाय कार्रवाई कर सकती थीं, क्योंकि वह बंगाल की गृह मंत्री भी हैं।’’ अमित मालवीय ने ममता बनर्जी को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने (ममता ने) मामले में कुछ नहीं करने का फैसला किया। उन्होंने कहा, ‘‘न तो उन्होंने बर्बरता की निंदा की और न ही दर्द एवं पीड़ा व्यक्त की क्योंकि इससे एक मुख्यमंत्री के रूप में उनकी खुद की विफलता उजागर होती।’’ इस मामले में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी हमला बोलते हुए कहा है कि ममता दीदी के मन से ममता बिल्कुल खत्म हो गयी है।
दूसरी ओर, बिहार से सामने आई घटना बेगूसराय जिले की है जहां एक नाबालिग लड़की और पुरुष के कथित तौर पर आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े जाने के बाद तीन व्यक्तियों द्वारा उन्हें निर्वस्त्र करके उनकी पिटाई करने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में पहली गिरफ्तारी मुख्य आरोपी किशनदेव चौरसिया की हुई है। साथ ही मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ FIR कराई गयी है। आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत FIR कराई गयी है। हम आपको बता दें कि शुक्रवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें तीन व्यक्ति नाबालिग लड़की और पुरुष की पिटाई करते और उनको निर्वस्त्र करते दिख रहे हैं। वीडियो में दिखाई दे रहे पुरुष की पहचान एक संगीत शिक्षक के तौर पर की गई है जिसकी आयु 40 से 50 के बीच है। बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘पीड़िता के बयान के आधार पर हमने संगीत शिक्षक को गिरफ्तार किया गया है। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67बी और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।’’ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नाबालिग और आरोपी की पिटाई करने वाले तीन आरोपियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ कि घटना गत बृहस्पतिवार की है। योगेंद्र कुमार ने कहा, ‘‘पुलिस वीडियो की जांच कर रही है और घटनास्थल से मिले दो व्यक्तियों के कपड़ों और अन्य सामान को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।’’ उन्होंने बताया कि मामले की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी की देखरेख में जांच टीम गठित की गई है। योगेंद्र कुमार ने बताया, ‘‘पीड़िता की चिकित्सा जांच भी कराई जा रही है। उसका बयान भी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाएगा।’’
वहीं तीसरी ओर, महिला विरोधी अपराधों के मामले में राजस्थान के देश में पहले नंबर पर पहुँचने से अशोक गहलोत सरकार घिर गयी है। भाजपा का आरोप है कि राजस्थान में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और पूरे प्रदेश में जंगलराज है। भाजपा का आरोप है कि सरकार और पुलिस प्रशासन घटनाओं को दबाने में लगे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर का तो यहां तक कहना है कि मुख्यमंत्री जनता के बीच विश्वास खो चुके हैं।
वहीं एनसीआरबी आंकड़ों को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री का कहना है कि भाजपा आंकड़ों को घुमा कर पेश कर रही है। उन्होंने कहा है कि हमने राजस्थान में यह व्यवस्था की है कि कोई भी आसानी से शिकायत या एफआईआर करा सकता है जबकि अन्य प्रदेशों में इसका अभाव है।