महोबा। नांगपंचमी पर्व पर हिंदू-मुस्लिम भाईचारा देखने को मिला। शहर के लल्लू खान मेमोरियल अखाड़े में नांगपंचमी पर्व मनाते हुए तीन दर्जन से अधिक पहलवानों ने कुश्ती लड़कर अपने दाव-पेंच दिखाए। पिछले 40 वर्षों से अखाड़ा उस्ताद बुंदेलखंड केसरी असलम खान के नेतृत्व में कुश्ती सीख रहे पट्ठों की नागपंचमी के दिन कुश्ती प्रतियोगिता कराई जाती है। बुंदेलखंड के युवा कुश्ती में देश का नाम रोशन करें इसके लिए अखाड़ा में नियमित पहलवानी करने मध्यप्रदेश के युवा भी अखाड़े में कुश्ती के दांव-पेंच सीखने आते हैं। आपको बता दें कि पिछले 40 वर्षों से नागपंचमी पर्व पर शहर के मोहल्ला भटीपुरा में संचालित लल्लू खान मेमोरियल व्यायामशाला में कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन कर पहलवानों ने असल जोर आजमाइश करते है। वर्ष में एक बार नांगपंचमी के दिन अखाड़ा में उस्ताद बुंदेलखंड केसरी असलम पहलवान द्वारा कुश्ती प्रतियोगिता कराई जाती है। इस बार अखाड़े में आयोजित प्रतियोगिता में तीन दर्जन से अधिक पहलवानों ने कुश्ती में जोर आजमाइश की है।
रोमांचक कुश्ती देखने के लिए उमड़ा जनसैलाब इस कुश्ती प्रतियोगिता में महोबा बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के जनपद के भी अखाड़ा में गुरु ज्ञान लेने वाले पट्ठों ने कुश्ती लड़ी। पहलवानों की रोमांचक कुश्ती देखने के लिए अखाड़े में लोगों की भीड़ दिखाई दी। जहां पहलवानों ने एक से बढ़कर एक दांव दिखाते हुए कुश्ती को लड़ा है। ढोलक की थाप पर हो रही कुश्ती वहां मौजूद दर्शकों में भी जोश भरती दिखाई दी है।
अखाड़ा उस्ताद असलम पहलवान बताते हैं कि साल भर की तैयारी के बाद अखाड़ा में पहलवानी करने आने वाले पट्ठों की तैयारी का जायजा इसी कुश्ती के माध्यम में से लिया जाता है। इसके बाद इन युवा पहलवानों को स्थानीय से लेकर जिला और राज्य स्तर पर होने वाली कुश्ती प्रतियोगिताओं में लड़ने के लिए भेजा जाता है। यही नहीं उन्होंने बताया कि पूर्व में उनके अखाड़े के कई पहलवान राज्य स्तर की कुश्ती प्रतियोगिताओं में लड़कर जीत चुके हैं।
गंगा-जमुनी तहजीब की पेश करते हैं मिसाल उनकी मानें तो उनके व्यायामशाला से सैकड़ों पहलवान कुश्ती लड़ने के लिए राज्य स्तर तक गए और अपनी पहचान बनाई है। असलम पहलवान बताते हैं कि उनके अखाड़े में धर्म और जाति का कोई भेदभाव नहीं होता है। यहां हिंदू-मुस्लिम सभी पहलवानी करते है, जिन्हें उनके द्वारा कुश्ती के गुर सिखाए जाते हैं। जिसकी कोई फीस नहीं होती। उन्होंने के बताया कि वो अपने अखाड़े के माध्यम से युवाओं को कुश्ती के गुर सिखाकर इस विधा को बचाने का प्रयास वह कर रहे हैं, लेकिन इसमें प्रशासन की अनदेखी मन में मलाल जरूर पैदा करती है कि देश की सबसे अहम विधा कुश्ती के लिए शासन और प्रशासन कोई मदद नहीं करता है।
आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में पहलवानों ने अखाड़े में उतरकर अपने-अपने हुनर दिखाएं और एक दूसरे से जोर आजमाइश की। नांगपंचमी के मौके पर आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में शहर के अलावा आसपास के गांव पलका, शाहपहाड़ी, चुरबुरा सहित मध्य प्रदेश के दतिया, चितहरी और पठा इलाके के पहलवानों ने भी अखाड़े में पहुंचक कुश्ती लड़ी है। राज्य स्तर तक की प्रतियोगिता में पहलवान ले चुके हैं हिस्सा नाग पंचमी पर्व पर आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में लड़ने आए संजय पहलवान, अभिषेक पहलवान और संजू बताते हैं कि उन्होंने इसी अखाड़े में कुश्ती सीखी है, यहां किसी प्रकार का कोई भेदभाव उन्हें आज तक देखने को नहीं मिला। मुस्लिम उस्ताद की छत्रछाया में कुश्ती हुनर लेने वाले कौशल पहलवान ने बताया कि वह वर्षों से इस अखाड़े में पहलवानी कर रहे हैं और राज्य स्तर की कई प्रतियोगिताओं में लड़ चुके हैं।
ये लोग रहे मौजूद इस मौके पर पहलवान लाला यादव, आकाश, कौशल पहलवान, मोनू पहलवान, कासिम पहलवान, मोहम्मद पहलवान, संजय पहलवान, अभिषेक, संजू पहलवान, गोलू पहलवान, आशु पहलवान, इरफान पहलवान, टिल्लू पहलवान, फहीम पहलवान, अशरफ पहलवान, मैकू जमाल सहित तीन दर्जन पहलवानों ने कुश्ती लड़ी हैं। जहां नगर पालिका के सभासद जावेद मकसद सहित इसरार पठान, अनीस जॉन, मल्लन रजा, अकरम पहलवान आदि लोग मौजूद रहे।