उरई। औपनिवेशिक न्याय व्यवस्था के दंड विधान को बदलकर भारतीय न्याय विधान करने के संदर्भ में दयानंद वैदिक कॉलेज, उरई तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, उरई के संयुक्त तत्वावधान में दिन सोमवार दिनांक 8 जुलाई, 2024 को ‘विधि के भारतीय विधान’ विषय पर दयानंद वैदिक कॉलेज, उरई के सेमिनार हॉल में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनपद जालौन के जिलाधिकारी श्री राजेश कुमार पांडेय, विशिष्ट अतिथि जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ. ईरज राजा रहे। दयानंद वैदिक कॉलेज के यशस्वी प्राचार्य प्रो. राजेश चंद्र पांडेय और विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत सह मंत्री श्री चित्रांशु सिंह, विभाग संगठन मंत्री सौरभ, विभाग प्रमुख डॉ० नमो नारायण, विभाग छात्रा प्रमुख कु० अलशिफा, जिला संयोजक शशांक, जिला सह संयोजक सहयोग आदि तथा बड़ी संख्या में उपस्थित छात्र छात्राओ की उपस्थिति में भारतीय न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव को रेखांकित करते हुए विशिष्ट अतिथि पुलिस अधीक्षक डॉ ईरज राजा ने विद्यार्थियों से प्रश्नात्मक शैली में संवाद करते हुए बताया कि आजादी के 76 वर्षों के बाद 1860 तथा 1873 के दण्ड कानून अब न्याय कानून बन चुके है। मुख्य अतिथि जिलाधिकारी ने कहा कि आज की विचार गोष्ठी के विषय ‘विधि का भारतीय विधान’ के चार शब्द भारतीय न्याय संहिता को स्पष्ट कर रहे है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता लागू होने से सही मायने में सुधारात्मक दंड का सिद्धांत लागू हुआ है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य प्रो. राजेश चंद्र पांडेय जी ने कहा कि विधि के भारतीय विधान की सफलता प्रत्येक नागरिक की विधिक जागरूकता पर निर्भर है, आज की पीढ़ी अपने अधिकारों को लेकर ज्यादा जागरूक है। प्रांत सहमंत्री अभाविप चित्रांशू ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण को लेकर भूमिका को स्पष्ट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन। मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. माधुरी रावत जी ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक और छात्र छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन एमए छात्रा समीक्षा ने किया।