October 22, 2024
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Women demonstrated at the collectorate regarding various demands

अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के अध्यक्षता में सौपा गया ज्ञापन
सोनभद्र। कलेक्ट्रेट परिसर में बुधवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के पदाधिकारी द्वारा विरोध प्रदर्शन करते हुए दिया गया ज्ञापन। अध्यक्षता कर रही सोकलो गॉड ने बताया कि,अखिल भारतीय वन-जन श्रमजीवी यूनियन एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के माध्यम से निम्नलिखित मुद्दों को आपके समक्ष रख रहे है। प्राप्त सूचना के आधार पर घटना दिनांक 6 जून 2024 को वनाधिकार कानून 2006 के तहत दावाकर्ता शोभा भारती जो की ग्राम-बारी की वनाधिकार समिति की अध्यक्ष भी है, को बेदखल करने आई प्रशासनिक टीम द्वारा जो वनाधिकार कानून के बारे में जो बात कही गयी की हम किसी वनाधिकार कानून को नहीं मानते, यह संसद द्वारा पारित किये गए संवैधानिक कानून का अपमान ही नहीं बल्कि यह देश की सर्वोच्च संस्था संसद और न्याय पालिका की भी घोर अवमानना है। ज्ञात हो कि, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी 29 फ़रवरी 2019 को अपने फैसले में दावाकर्ताओं की किसी भी प्रकार की बेदखली पर रोक लगाई है। उसी प्रकार ग्राम बघुवारी निवासी शीला पत्नी रामलखन जो कि अनुसूचित जाति से है, उनके द्वारा भी किए दावे पर स्थानीय गोंड परिवार वन विभाग की शह पर उसे अपनी खतौनी की भूमि बता कर बरसो से रहते आ रहे दलित परिवार को उजड़ने की कोशिश कर रहे है। जबकि उक्त भूमि वन क्षेत्र है जिसपर किसी को व्यक्तिगत खतौनी नहीं बन सकती। श्रीमती शीला अपने ग्राम वनाधिकार समिति की अध्यक्ष भी है। जिसका दावा भी उनके नाम से हो चुका। संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून 2006 में अध्याय 3 की धारा 4 (5) में स्पष्ट रूप से उल्लेख है बिना दावो के सत्यापन की प्रक्रिया पूर्ण हुए दावा कर्ताओं को बेदखल नहीं किया जायेगा। वनाधिकार कानून 2006 के तहत अभी तक सोनभद्र जिले के ओबरा, रॉबर्ट्सगंज और दुद्धि तहसील से कुल 26 गाँव के वनाश्रित समुदाय के लोगों के द्वारा पेश किये गए दावा पपत्रों को ग्राम वनाधिकार समिति द्वारा अनुमोदन करके उन सभी सामुदायिक दावा पपत्रों को उपखंड स्तर समिति के समक्ष आगे की प्रक्रिया के लिए 2018 और 2022 में जमा किया गया है। जिसकी सूची संलगन है। परन्तु कई वर्ष बीत जाने के बाद भी सामुदायिक दावो केसत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुयी है और ना ही संबंधित ग्राम वनाधिकार समिति को दावा पपत्रों की प्रगति के संबध में कोई सुचना दी गयी है। इसलिए वनविभाग और स्थानीय प्रशासन द्वारा ग्राम बारी की दावाकर्ता और ग्राम वनाधिकार समिति की अध्यक्ष शोभा भारती और ग्राम बघुवारी की शीला भारती को बेदखल करने की प्रक्रिया पूरी तरह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। वनविभाग द्वारा ऐसा गैरकानूनी कृत्य करना उनकी दलित आदिवासियों के प्रति घृणित मानसिकता और दबंगई को दर्शाता है। जो हम सभी दलित आदिवासी वनाश्रित समुदाय द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और लोकतांत्रिक प्रक्रिया द्वारा इस प्रकार की कृत्यों का पूरजोर तरीके से विरोध किया जाएगा। बिना किसी पूर्व सुचना के दावा कर्ताओं को उनकी जमीन से बेदखल करने की कार्यवाही करना, अधिकारियों द्वारा बिना ग्राम वनाधिकार समिति को सूचित किये सामुदायिक दावो को निरस्त करने की बात करना, वनाधिकार कानून को मानने से इन्कार करना, दावा कर्ताओं के साथ अभद्रता जातिसूचक शब्दों का प्रयोग और उनका उत्पीडन करना यह संवैधानिक कानूनों और संविधान द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकारों का हनन है। अतः निवेदन है कि, वनाधिकार कानून 2006 के तहत ग्राम वनाधिकार समिति के द्वारा उपखण्ड स्तर समिति के समक्ष दाखिल किये गए दावा प्रपत्रों का यथाशीघ्र निस्तारण करते हुए उपरोक्त घटना को संज्ञान में ले। दावा कर्ताओं के प्रति प्रशासन और वनविभाग की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उन सभी प्रशासनिक व वन अधिकारियो पर कानून के तहत सख्त कार्यवाही करने की कृपा करे, जिन्होंने संसद द्वारा पारित कानून और नियमो को मानने से मना किया है और दलित महिला दावाकर्ता को गैरकानूनी असंवैधानिक तरीके से बेदखल करने का प्रयास और उसके साथ अभद्रता की। अगर हमारे दावों को जल्द से जल्द निस्तारित नहीं किया गया तो हम आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

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