सोनभद्र। मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में उद्योग बंधु की मीटिंग आयोजित की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार संगठन के जिला अध्यक्ष कौशल शर्मा ने व्यापारियों की कई समस्याओं को जिला प्रशासन के समक्ष रखा एवं त्वरित निराकरण की मांग किया। उन्होंने कहा कि, संगठन व्यापारी समस्याओं की निराकरण हेतु कटिबद्ध है। किसी भी दशा में व्यापारियों का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री शर्मा ने कहा कि, उद्योग बंधु की पिछली मीटिंग में भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को उठाया गया था जिसका अभी तक निराकरण नहीं हो सका। जिले की चिकित्सा व्यवस्था वेंटिलेटर पर है। कुकुरमुत्ता की तरह फैले ट्रामा सेंटर में कोई भी चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां पर मरीज शोषण का शिकार होते हैं और अन्तोगत्वा या तो उनकी जान चली जाती है या फिर वाराणसी रेफर कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि, नगर पालिका क्षेत्र की आबादी लगभग डेढ़ लाख होने के बावजूद तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि सिटी अस्पताल की मांग काफी दिनों से की जा रही है। जिला अस्पताल की दूरी लगभग 6 किलोमीटर होने के कारण रात्रि में कोई साधन भी उपलब्ध नहीं हो पाता। रात्रि में मेडिकल स्टोर खोलने की भी मांग काफी दिनों से की जा रही है जहां जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध हो सके। बरसात का मौसम शुरू हो चुका है डेंगू से मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप अचानक बढ़ सकता है परंतु संबंधित विभागों की कोई तैयारी नहीं है ना ही एंटी लारवा कीटनाशक का छिड़काव हो रहा है न हीं नालियों की सफाई हो रही है। श्री शर्मा ने कहा कि, जन औषधि केंद्र शोपीस बनकर रह गए हैं चुकी चिकित्सक जेनेरिक दवाएं लिखने के बजाय बाहर की दवाई लिखने में ज्यादा रुचि लेते हैं कुछ जन औषधि केंद्र बंद भी हो चुके हैं जबकि सरकार मरीजों को लाभान्वित करने के लिए जन् औषधि केंद्र की सुविधा उपलब्ध कराया था उन्होंने कहा कि एंबुलेंस संचालन में मानकों के अनदेखी की जा रही है इन वाहनों में ना तो प्राथमिक उपचार की सुविधाएं हैं ना ही प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ है नियमानुसार एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर, फिल्टर पानी, इमरजेंसी के लिए आवश्यक दवाएं, रॉयल्स ट्यूब, स्टेथोस्कोप , बीपी मॉनिटर, फोल्डिंग मशीन, पावरफुल टॉर्च, अग्निशमन यंत्र भी होना अनिवार्य है परंतु यदि जांच कर ली जाए तो दावे के साथ कहा जा सकता है की इन एंबुलेंस में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। श्री शर्मा ने कहा कि, एंबुलेंस का कोई वाजिब किराया भी तय नहीं है।10 से 20 किलोमीटर तक जाने का भी दो से ढाई हजार रुपए ले लिए जाते हैं उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के पास पंजीकृत निजी सरकारी एंबुलेंस की संख्या करीब डेढ़ सौ है इसमें 60 ऐसी है जो प्रयोग के बाहर हो चुकी हैं इस लिहाज से देखे तो सड़कों पर दौड़ रही 90 एम्बुलेंस ही पंजीकृत हैं हकीकत में दोगुनी से भी ज्यादा एंबुलेंस दौड़ रही है उन्होंने कहा कि निजी एवं मानक विहीन अस्पतालों या उससे कुछ दूरी पर खड़ी रहने वाली एंबुलेंस की मदद से सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंचाने का भी खेल चल रहा है। दम तोड़ रही बिजली व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि, 100 से अधिक स्वस्थ केंद्र में बिजली कनेक्शन ही नहीं है जिससे मरीज बेहाल हैं जनपद में 188 हेल्थ वेलनेस सेंटर 180 से अधिक स्वास्थ्य केंद्र 200 से अधिक एएनएम सेंटर संचालित हैं विभाग का दावा है कि यहां सभी मेडिकल संसाधन मौजूद हैं। हकीकत है कि, 100 से अधिक स्वास्थ्य केंद्र में बिजली ही नहीं है। एएनएम सेंटर में बिजली न होने से रात में एएनएम रुकने से कतराती है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद यहां जिला अस्पताल में भी आईसीयू वार्ड नहीं है। एक ताजा घटनाक्रम के अनुसार म्योरपुर में तैनात सुपरवाइजर आशा देवी की चुनाव ड्यूटी के दौरान केवल इसलिए मौत हो गई की लू लगने के कारण आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि, नगर पालिका रावर्टसगंज में खुली नालियां बरसात में मौत को दावत दे रही है नगर के चांदी होटल के पास पड़ी जाने वाली मार्ग बभनौली महाल मोड पर महिला थाना मोड पर घोरावल बस स्टैंड के समीप पुलिया के पास कीर्ति पाली अस्पताल के पास आदि स्थानों पर नालियां क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ खुली पड़ी है जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पूर्व में कई वाहन क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ चालक घायल भी हो चुके हैं। उन्होंने नगर की दुर्व्यवस्था के संदर्भ में कहा कि, जल निगम द्वारा हर घर नल से जल योजना अंतर्गत पाइप लाइन बिछाने के बाद पटरी को जस का तस छोड़ दिया गया है जिससे आए दिन लोग घायल हो रहे हैं फ्लाइआओवरके नीचे डेढ़ माह से पाइप डालने का काम चल रहा है नियमानुसार पाइप डालने के बाद उसे तुरंत पिचिंग करना था परंतु राहगीर धूल दूषित वातावरण में यात्रा करने के लिए विवश है इस कारण प्रदूषण भी बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते उपभोक्ता अधिकारी एवं बिजली कार्यालय का चक्कर काटते काटते थक चुके हैं नियमानुसार नगर पालिका एवं नगर पंचायत में 7 दिन के अंदर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 दिन के अंदर बिजली का कनेक्शन देने का प्रावधान है उपभोक्ताओं के अनुसार सभी कागजात सही होने के बावजूद निरस्त कर दिया जाता है उन्होंने अंत में कहा कि यह सरकार की मंशा के विरुद्ध है। सरकार जनहित की समस्याओं के निराकरण हेतु प्रतिबद्ध है बावजूद इसके खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है। बैठक में मुख्य रूप से प्रितपाल सिंह, प्रशांत जैन, सिद्धार्थ सांवरिया ,अभिषेक केसरी, कृष्णा सोनी, सूर्या जयसवाल अमित अग्रवाल आदि लोगों उपस्थित रहे।