आजमगढ़ /उत्तर प्रदेश राजभवन, लखनऊ के निर्देश के क्रम में सोमवार को पढ़े विश्वविद्यालय/महाविद्यालय- बढ़ें विश्वविद्यालय/महाविद्यालय कार्यक्रम के अंतर्गत महाराजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार शर्मा के नेतृत्व में शैक्षणिक भवन के कक्ष में अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ छात्र छात्राओं ने किताबों का मननशील ढंग से अध्ययन किया। पूरे विश्वविद्यालय परिसर में किताबी उत्सव का माहौल दिखा । बच्चे हो या शिक्षक कर्मचारी हो या अधिकारी सभी किताबें दुनिया में खोए हुए थे।
मा0 कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार शर्मा ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि किताबें अपने उद्भव से सदैव मानव जीवन का उन्नत भाग रही हैं और आगे भी रहेंगीं।जिसने भी किताबों का मूल्य जाना है उसी का जीवन वास्तव में सफल रहा है। मन के दर्पण को स्वच्छ करने का इससे बेहतर कोई साधन नहीं है।
किताबें न केवल ज्ञान-भण्डार अपितु जीवन के पथ प्रदर्शन एवं नवीन ज्ञान सृजन में उनकी अहम भूमिका होती है।आज ऑनलाइन और आभासी मंच पर तमाम किताबें उपलब्ध हैं लेकिन ऑफ़ लाइन पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं है।
शिक्षक हो या विद्यार्थी दोनों के लिए किताबें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं,गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से ही उनका महत्व है आज नई शिक्षा नीति के अधीन प्राचीन भारतीय संस्कृति के गौरव का विषय हो या आधुनिक तकनीकी कला कौशल का विषय किताबें ही मूल आधार हैं।
कुलपति ने छात्र-छात्राओं और सभी से अपील की कि किताबों से स्वयं की निकटता सदैव बनाये रखे क्योंकि उन्ही में जीवन का सार और सफलता का सूत्र निहित है जैसा कि ऋग्वेद में भी वर्णित है- आ नो भद्रा क्रतवो यन्तु. अर्थात लेट द नोबल थॉट कम टु अस फ्रॉम एवरी साइड यानि श्रेष्ठ विचार हमारे पास सभी जगह से प्राप्त होने चाहिए।
कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन विश्विद्यालय के मीडिया प्रभारी और सांस्कृतिक परिषद के सचिव डॉ0 प्रवेश कुमार सिंह ने किया।इस अवसर पर कुलसचिव,उपकुलसचिव, वित्त अधिकारी,सांस्कृतिक परिषद के सदस्य प्रो0 गीता सिंह,डॉ0 अतुल यादव,डॉ0 मोहम्मद खालिद,डॉ0 पंकज सिंह,डॉ0 जे0 पी0 यादव डॉक्टर प्रियंका डॉक्टर वैशाली डॉक्टर निधि डॉक्टर शुभम डॉक्टर पांडे विपिन प्रियांशु रमेश आदि के साथ विश्विद्यालय के कर्मचारियों और विभिन्न संकायों के छात्र छात्राओं ने भी किताबों का अध्ययन करते हुए कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया।