The welfare of a living being comes only when it surrenders to God: Acharya Dayashankar Shastri

जीव का कल्याण भगवान की शरणागति होने पर ही होता है: आचार्य दयाशंकर शास्त्री

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गाजीपुर । श्रीमद भागवत कथा का श्रवण मनुष्य जीवन को मोक्ष एवं जीव का कल्याण सम्भव बनाती है। जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है। उक्त बिचार भांवरकोल क्षेत्र के अवथहीं गांव में चल रहे नौ दिवसीय लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में आयोजित दूसरे दिन कथा वाचक आचार्य दयाशंकर शास्त्री ने भागवत कथा में ब्यक्त किया। उन्होंने कहा की भागवत कथा रामचरितमानस व श्रीमद् भागवत दोनों के द्वारा प्रभु प्राप्ति का साधन बताया गया है की जीव का कल्याण भगवान की शरणागति होने पर ही होता है। जीव जब तक भगवान के शरण में नहीं जाता तब तक उसे किसी भी प्रकार की शांति नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा जहां भी होती है वहां सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि अपितु,पशु पक्षी, जीव जंतु भी कथा का श्रवण कर अपने जीवन को सार्थक करते हैं।उन्होंने कहा कि जिस नीलगिरी पर्वत पर कागभुसुंडि नाम का पक्षी राम कथा कर रहा हो वही हंस और गरुड़ जैसे पक्षी भी राम कथा का श्रवण करते हैं और भगवान का कथा सुनकर प्रमानंदित होते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान के शरणागति जो जीव होता है उसी को यह सुख प्राप्त होता है। इसलिए जीवो को अपने धर्म पर अधिक विश्वास होनी चाहिए।श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत होती है इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा से सशक्त हो जाता है।महाराज जी ने कथा के दौरान हर प्रकार के युगों से श्रद्धालुओं को अवगत कराया। समय-समय पर भगवान को भी अपने भक्त की भक्ति के आगे झुक कर सहायता के लिए आना पड़ता है। मित्रता, सदाचार, गुण, अवगुण, द्वेष सभी प्रकार के भावों को व्यक्त किया है। जब तक हम किसी चीज के महत्व को नहीं जानते तब तक उसके प्रति मन में श्रद्धा नहीं जागती। उन्होंने कहा कि जब तक भक्तों का मन पवित्र नहीं होगा तब तक भागवत कथा श्रवण का लाभ नहीं मिल सकता है। कथा के दौरान प़मुख रूप से जयकृष्ण राय, अशोक पांडेय ,खटाई बाबा, दीनदयाल राय ,संतोष पांडेय, रामनाथ यादव,आलोक रंजन सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी महिला व पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे।

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