November 28, 2024
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अलीगढ/ नई दिल्ली 12 मई 2024 न्याय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसपी सिंह पांचाल के आवास पर एचडी न्यूज़ चैनल के सामने सूरत लोकसभा में हुई लोकतंत्र की हत्या को लेकर सामाजिक संगठनों के लोग वह अन्य लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किया इस तरह के व्यवस्था का जिम्मेदार कौन है एसपी सिंह ने कहा कि सूरत में जो हुआ वह ठीक नहीं हुआ है वहां पर मतदाताओं का अधिकार छीन लिया गया है ऐसा प्रतीत होता है जहां पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को निर्विरोध चुनाव जीता दिया गया यह एक लोकतंत्र की हत्या है उन्होंने इसका कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो हम जनता के अधिकारों को लेकर मताधिकार को सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और असंगठित मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष राज हेला ने मीडिया के माध्यम से कहा कि हमारा समाज पढ़ा लिखा नहीं है वह सिर्फ मतदान करना जानता है लेकिन सूरत में उससे भी अधिकार छीन लिया गया मीडिया के द्वारा क्वेश्चन आपके समाज के लोग तमाम आईएएस पीसीएस जज भी है तो राज ने कहा कि जो लोग ऊपर तक चले गए वह किसी व्यवस्था के बधे हैं लेकिन गली मोहल्ले में रहने वाले लोग इस अधिकार को अच्छी तरह से नहीं जान पाए इसलिए वहां पर नोटा का उपयोग होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिससे सांफ सिद्ध होता है कि लोकतंत्र की हत्या हुई है न्याय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली मनीष पांचाल ने कहा कि देश के पूरे आवाम को सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और ऐसे कृतियों का विरोध करना चाहिए सामाजिक न्याय आंदोलन के टी के संरक्षक संस्थापक जी के शर्मा ने मीडिया के पूछे जाने पर यह लोकतंत्र की हत्या का जवाब देते हुए कहा कि इसके संपूर्ण जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग और भारत के राष्ट्रपति की होती है जब देश में चुनाव चल रहे होते हैं तो पूर्ण रूप से आचार्य संहिता लागू होती है सवाल खड़ा होता है कि नामांकन करने वाले प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस क्यों ले लिया सिर्फ एक प्रत्याशी बचाने से वह विजय घोषित हो जाता है लेकिन निर्वाचन आयोग ने एई वी एम में नोटा बटन लगा रखा है किस लिए इस विकल्प को होने के नाते वहां लोकतंत्र की हत्या हुई है जो मतदाता इन्हें पसंद नहीं करता है उनके वोट उसे नोटा बटन पर गिरते यहां निर्वाचन अधिकारी महोदय को सूरत में इसका संज्ञान लेते हुए फिर से चुनाव करना चाहिए इस विकल्प से मतदाताओं का संविधान के तहत अधिकार प्राप्त हो सकेगा तब निष्पक्ष चुनाव कहा जा सकता है वैसे निर्विरोध चुनाव जीतकर किस तरह से कोई परचम नहीं लहराया जा सकता है सामाजिक न्याय की जीत नहीं हुई है मतदाताओं के साथ धोखा हुआ है सुनील कुमार अभय ने अपनी बात को रखते हुए कहा कि इस देश में इस तरह से यह प्रमाण मिलता है कि जो 400 पार के नारे इनके हैं इससे साफ जाहिर होता है यह संविधान के अकॉर्डिंग लोकतंत्र की हत्या करने पर तुले हुए हैं तमाम सामाजिक संगठन और तमाम पार्टियों के लोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं अब हम देखते हैं की सूरत की जनता को क्या न्याय मिलता है क्या उन्हें पुनः मतदान करने का अधिकार प्राप्त हो पाएगा

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