
हीमपुर दीपा। गांव झाल उलेढ़ा स्थित सिद्ध पीठ सती माता मंदिर में गुरुवार को श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कथा वाचक महंत राहुल गोपाल ने कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि युग- युगांतर से सनातन धर्म का बड़ा महत्व है। यह धर्म परम धर्म है। क्योंकि इस धर्म में हजारों पथ निकले लेकिन फिर भी आज भी यह धर्म जीवित है।
उन्होंने श्री कृष्ण की लीलाओं वर्णन करते हुए कहा कि जो भगवान श्री कृष्ण पर अगाढ़ प्रेम और विश्वास रखते हैं, वह उनकी हर संभव सहायता करते हैं। उदाहरण देते हुए कहा कि पूतना बहुत बड़ी राक्षसी थी लेकिन श्री कृष्ण को वह किंचित भयभीत नहीं कर पाई। क्योंकि भगवान श्री कृष्णा के मन में कोई छल कपट नहीं था। इससे सिद्ध होता है की दुष्ट प्रवृत्ति के लोग कदाचित सत्संग के अनुयायियों पर विपरीत असर नहीं डाल सकते। उन्होंने आगे कहा कि मैं तो बृजवासियों के दर्शन करने आया था। मुझे दानवी शक्तियों का संहार करना पड़ा।
कथावाचक ने भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप का बड़े ही मार्मिक अंदाज में वर्णन किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में वचन वचन सिंह प्रशांत, विक्रांत, कपिल, पवन, संजीव, वेदपाल, साधु गुर्जर, ओमकार, शुभम, अमित आदि की सराहनीय भूमिका रही।
कार्यक्रम में पहुंचे ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवी प्रसाद गुप्ता ने अपनी सार गर्भित ओजस्वी वाणी से मौजूद भक्त जनों का बखूबी मार्गदर्शन किया। उनका कहना था कि
महात्मा विदुर की इस पावन भूमि में श्री भागवत कथा का श्रवण अत्यंत पुण्यकर्म के फलस्वरूप ही प्राप्त होता है । योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने अपने धाम गमन के समय केवल महात्मा विदुर का स्मरण किया। यह उनके भरोसे की बात थी। महात्मा विदुर ने सत्य एवं नीति की रक्षा के लिये दुर्योधन के वैभव का त्याग कर दिया था। यही उनकी सर्वश्रेष्ठ पात्रता थी । उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा हमारे जीवन को श्रेष्ठ श्रंगार से सजाती है तो मृत्यु से भी अभय प्रदान करती है । भगवान की वाॅग्यमय मूर्ति ही है श्री मद् भागवत। यही मान कर हमें कथा श्रवण करना चाहिए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गंगा दशहरा के अवसर पर सभी को बधाई देते हुये कहा कि हम सभी इस कथा को जीवन में उतार कर अपना कल्याण स्वयं कर सकते हैं।