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एमएमएल कोर्ट में पेश हुए पूर्णिया के सांसद पप्‍पू यादव

गाजीपुर। अपर सत्र न्यायाधीश एमपी/एमएलए शक्ति सिंह की अदालत में बिहार के पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव मुहम्मदाबाद पुलिस की अभिरक्षा में पेश हुए। गिरफ्तारी न होने पर मंगलवार को सख्त रूख अख्तियार करते हुए मुहम्मदाबाद प्रभारी निरीक्षक को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। साथ ही इसके लिए न्यायालय ने 21 नवंबर की तिथि नियत की थी।मुकदमें में पुकार पड़ने पर हाजिर न होने पर न्यायालय ने बीते 22 अक्तूबर को पूर्णिया सांसद सहित 11 के खिलाफ गैर जमानतीय वारंट जारी किया था। मुकदमें में 10 आरोपी हाजिर हो चुके हैं। सिर्फ सांसद अब तक न्यायालय में हाजिर नहीं हुए हैं। बीते 8 नवंबर 1993 को मुहम्मदाबाद थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष वीएन सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। उन्हें सूचना मिली कि बिहार प्रांत के दो विधायक पप्पू यादव और उमेश पासवान अपने साथ काफी संख्या में अवांछनीय तत्वों लेकर उत्तर प्रदेश में अपने विरोधी राजनीतिक दलों के चुनाव सभाओं में गड़बड़ी उत्पन्न करने के लिए उजियार घाट की ओर से होते हुए इस जनपद में प्रवेश करने वाले हैं। इस बात का विश्वास करके वह पुलिस टीम के साथ पहुंचे। सभी को चुनाव व शांति व्यवस्था से अवगत करने के बाद मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश किया था। जहां विचारण के बाद मजिस्ट्रेट न्यायालय ने पूर्व में सभी आरोपियों को 31 जुलाई 2023 को दोषमुक्त कर दिया था। अभियोजन ने उक्त आदेश के विरुद्ध जिला जज के न्यायालय में 6 सितंबर 2023 को जिला शासकीय अधिवक्ता कृपाशंकर राय ने अपील दाखिल किया। जिला जज की अदालत ने मामले को एमपी/एमएलए की अदालत में सुनवाई के लिए भेज दिया था। जहां पर पत्रवाली अपील बहस में चल रही है। बार- बार पुकार पड़ने पर आरोपियों की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ। इस पर न्यायालय ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सहित 11 लोगों के विरुद्ध गैरजमानती वारंट 22 अक्तूबर को जारी करते हुए 4 नवंबर को नियत की थी। दस आरोपी इस मुकदमें में हाजिर हो गए और गैरजमानतीय वारंट को निरस्त करा लिए, लेकिन पूर्णिया सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव हाजिर नहीं हुए। न्यायालय ने आदेश दिया कि गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई। इस पर न्यायालय ने सख्त रूख अख्तियार कर मुहम्मदाबाद प्रभारी निरीक्षक को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था।

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