दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा पुलिस ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में तीन दिनों तक स्वंयसेवक के रूप में काम करने के बाद 27 सालों से फरार हत्या के मामले में वांछत बदमाश टिल्लू को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने अपनी वास्तविक पहचान छुपाने के लिए नाम और पता बदलकर भिखारी का भेष बनाकर अलग-अलग धार्मिक स्थानों पर शरण लेकर रह रहा था।
डीसीपी अमित गोयल ने बताया की अपराध शाखा में तैनात हेड कांस्टेबल अमरीश कुमार को टिल्लू के बारे में जानकारी मिली कि वह हरिद्वार और ऋषिकेश, उत्तराखंड में धार्मिक स्थानों के पास हो सकता है। यह भी पता चला कि उपरोक्त संदिग्ध व्यक्ति एक संत बन गया था और देश भर में मंदिरों में जाता था और विभिन्न धर्मशालाओं में रहता था। 2023 में उसका मूवमेंट कन्याकुमारी में था, लेकिन ओडिशा के जगननाथ पुरी में चले जाने के कारण उनका पता नहीं लगाया जा सका।
उसके बाद एसीपी रमेश चंद्र लांबा की देखरेख में पुलिस टीम ने उत्तराखंड के ऋषिकेश के पास घेराबंदी की और स्वेच्छा से आसपास के मंदिरों में भंडारा बांटने का काम किया। एक जगह पर 3 दिनों तक लगातार स्वयं सेवकों के रूप में काम करने के बाद घाट नंबर 3, गीता भवन, ऋषिकेश, उत्तराखंड के पास से टिल्लू को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने वारदात के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चार फरवरी 1997 तुगलकाबाद में रहने वाली सुनीता ने बताया कि उसका पति किशन लाल को तीन फरवरी 1997 को शाम को रिश्तेदार रामू अपने घर ले गया था। क्योंकि उसका पति अक्सर उसके घर आता जाता रहता था। उस दिन उसका पति वापस नहीं आया। अगली सुबह, उसे बुलाने के लिए रामू के घर गए।
लेकिन घर पर ताला लगा था। खिडक़ी से देखा तो घर के अंदर खून फैला हुआ था और चारपाई पर कपड़े में लिपटा हुआ शव पड़ा था। पुलिस की मदद से दरवाजा तोडक़र अंदर गए। उसके पति का शव खाट पर पड़ा था। रामू के सभी परिजन और रिश्तेदार पहले ही वहां से भाग चुके थे। रामू और उसके बहनोई टिल्लू पर हत्या का आरोप लगा। उसी मामले में 15 मई 1997 को रामू और टिल्लू को भगौड़ा घोषित कर दिया गया था।