November 11, 2024
सुलतानपुर: मोस्ट कल्याण संस्थान के तत्वाधान में मोस्ट जनरल सेक्रेटरी राम उजागिर यादव के...
पुणे। दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर मुहिम चला रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विजय गोयल यहां पुणे में इसी तरह की समस्या का सामना कर रही एक आवासीय सोसाइटी पहुंचे। इस सोसायटी ने आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर उच्चतम न्यायालय तक गुहार लगाई है। वडगांवशेरी इलाके में ब्रम्हा सनसिटी सोसाइटी के दौरे के दौरान मंगलवार को गोयल ने कहा कि इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए 10 सूत्री कार्यक्रम लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समस्या से निपटना प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी है। गोयल ने कहा, ‘‘इस मुद्दे को हल करने के लिए 10 सूत्रीय कार्यक्रम की आवश्यकता है, जिसमें आवारा कुत्तों की 100 प्रतिशत नसबंदी, रेबीज-रोधी इंजेक्शनों का प्रबंधन, कुत्ता पालने की कुशल नीति शामिल हैं और साथ ही सरकार को कुत्ते के हमले का शिकार हुए पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि आवारा कुत्ते सड़कों पर घूमते रहते हैं और इनकी वजह से बुजुर्गों और बच्चों के लिए जोखिम की स्थिति रहती है। उन्होंने कहा कि कई बार तो ऐसे कुत्ते जानलेवा भी हो जाते हैं, खास कर छोटे बच्चों की कुत्तों के हमले में जान जाने के मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। गोयल ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या से निपटना नगर निकाय की जिम्मेदारी है, लेकिन उनकी ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पशु कल्याण बोर्ड हाल ही में पशु जन्म नियंत्रण नियमावली लेकर आया है, इसकी वजह से भी इस मुद्दे का समाधान खोजने में बाधाएं आ रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल ही में संबंधित मंत्री से मुलाकात कर अनुरोध किया कि इन नियमों और दिशानिर्देशों में संशोधन किया जाए।’’ स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस साल फरवरी में सोसाइटी के एक लड़के पर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया था। स्थानीय निवासियों ने इसकी शिकायत पुणे नगर निगम (पीएमसी) से भी की। इसके बाद पीएमसी 50 से 60 आवारा कुत्तों को अपने साथ ले गई थी, लेकिन पशुओं के कल्याण के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता ने इसके खिलाफ बम्बईउच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दी। उच्च न्यायालय ने कुत्तों को छोड़ने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के लिए स्थानीय निवासियों ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया। सोसायटी के सदस्यों में से एक नागेंद्र रामपुरिया ने बताया कि आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर गोयल द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को देखकर वे दिल्ली में उनसे मिले थे और उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराया।
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दिल्ली के अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश से संबंधित बिल सोमवार (31 जुलाई) को संसद में पेश किया जायेगा। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी बै। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस विधेयक को लोकसभा में पेश करेंगे। 19 मई को केंद्र की ओर से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन अध्यादेश जारी किया था। हालांकि, इसको लेकर राजनीति भी खूब हुई। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार इसका खूब विरोध कर रहे हैं। विपक्षी गठबंधन इंडिया के सभी दल भी केजरीवाल के साथ खड़े हैं।  अध्यादेश में क्या है केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश की जगह लेने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी थी। 19 मई को जारी केंद्र के अध्यादेश में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पलटने की मांग की गई थी, जिसने अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग सहित सेवा मामलों में दिल्ली सरकार को कार्यकारी शक्तियां दी थीं। प्रस्तावित विधेयक अध्यादेश की जगह लेगा और सेवा मामलों पर दिल्ली सरकार के फैसले से अलग होने और पुनर्विचार के लिए फाइलें वापस भेजने की उपराज्यपाल वीके सक्सेना की शक्ति को मजबूत करेगा। अध्यादेश में दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (DANICS) कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है। सुप्रीम कोर्ट में भी मामला 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान पीठ इस बात की जांच करेगी कि क्या संसद सेवाओं पर नियंत्रण छीनने के लिए कानून बनाकर दिल्ली सरकार के लिए “शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त” कर सकती है। 23 जुलाई को आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर केंद्र के अध्यादेश को बदलने वाले विधेयक को संसद के उच्च सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया।