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मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, खिचड़ी दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्व है

गाजियाबाद/ गोविंदपुरम बाबा मार्केट अंकित डेरी खिचड़ी भंडारे का आयोजन किया गया इस अवसर पर विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि मकर संक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है, जो पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है. इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया इस दिन से ऋतु परिवर्तन की शुरुआत भी होती है. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान-पुण्य जैसे कार्यों का विशेष महत्व होता है. इस पर्व पर खिचड़ी बनाने और खाने की परंपरा है, जिसके कारण इसे कई स्थानों पर खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है. यह दिन सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि इसका संबंध विज्ञान, कृषि और सामाजिक जीवन से भी है. मकर संक्रांति को नई ऊर्जा, नई फसल, और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. मकर संक्रान्ति के दिन दान करने का महत्व अन्य दिनों की तुलना में बढ जाता है। इस दिन व्यक्ति को यथासंभव किसी गरीब को अन्नदान, तिल व गुड का दान करना चाहिए। तिल या फिर तिल से बने लड्डू या फिर तिल के अन्य खाद्ध पदार्थ भी दान करना शुभ रहता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कोई भी धर्म कार्य तभी फल देता है, जब वह पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ किया जाता है। जितना सहजता से दान कर सकते हैं, उतना दान अवश्य करना चाहिए। मकर संक्रान्ति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था। इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है। सूर्य जब दक्षिणायन में रहते है तो उस अवधि को देवताओं की रात्री व उतरायण के छ: माह को दिन कहा जाता है। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था। कहा जाता है कि आज ही के दिन गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है। मकर संक्रान्ति के दिन से मौसम में बदलाव आना आरम्भ होता है। यही कारण है कि रातें छोटी व दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य के उतरी गोलार्द्ध की ओर जाने के कारण ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ होता है। सूर्य के प्रकाश में गर्मी और तपन बढ़ने लगती है। इसके फलस्वरुप प्राणियों में चेतना और कार्यशक्ति का विकास होता है। इस अवसर पर विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के संरक्षक पंडित राजेश शर्मा, विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के जिला अध्यक्ष पंडित अंकित शर्मा, प्रशांत शर्मा, अतुल गोयल, धीरज, के संचालन में यह कार्य पूर्ण हुआ

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