October 26, 2024
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बुलंदशहर : डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों के द्वारा बेजुबान पशु पक्षी को दाना पानी रखने का कार्य तेजी पर चल रहा है। जहां स्याना नगर में करीब दर्जनों जगह डेरा सच्चा सौदा के सेवादारो की टीम ने नगर में दर्जनों जगह दाना पानी बेजुबान पशु पक्षियों को रखा इस दौरान डेरा सच्चा सौदा के सेवादार पुलकित गोयल इन्शा ने बताया कि पक्षियां एवं जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा होते है। पक्षियां व जानवर की अपनी एक अहम भूमिका होती ये हमारे पर्यावरण को भी संतुलित बनाए रखने में सहायक होते है
बेजुबान पशु-पक्षियों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी। जानवर मन से सच्चे होते हैं। उनमें भी भावनाएं होती हैं। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते हैं। इंसान लालच में इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ भी नहीं दिखता। डेरा सच्चा सौदा के सेवादार कपिल देव इंसान ने कहा कि जानवर और इंसान के बीच का रिश्ता बेहद खास होता है। हम इंसान जानवरों को प्यार देते हैं, तो वे इसके बदले वफादारी के साथ हमारी सुरक्षा करते हैं। पर ये बातें सिर्फ़ वहीं लोग समझ सकते हैं, जिन्हें उनसे लगाव और प्यार होता है। कई मौके ऐसे आए, जब इंसान के प्यार ने बेजुबान पशुओं की जान बचाकर मानवता का धर्म निभाया। पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ ही पशु-पक्षियों की भूमिका भी अहम है। मनुष्य के अत्यधिक हस्तक्षेप के कारण इनकी संख्या कम होती जा रही है। यदि हम जल्द नहीं चेते तो स्थिति भयावह हो सकती है। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से जहां पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है, वहीं कुछ प्रजातियां तो विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं। गर्मी का मौसम विशेषकर पक्षियों के लिए बहुत कष्टप्रद होता है। उन्हें बचाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। कम से कम एक सकोरा पानी का भरकर छायादार स्थान में रख दें तो बहुत से पंछियों की जान हम बचा सकते हैं। दीपांशु गोयल इंसा ने बताया कि मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करता जा रहा है। इसके दुष्परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि ये दुष्परिणाम लंबी अवधि के होते हैं और अभी जो नजर आ रहे हैं। वे सौवें हिस्से के बराबर हैं। युगों से इंसान पशु-पक्षियों से प्यार करता रहा है। दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कई लोगों ने कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने घर-परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते है, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है। बेजुबान मासूम जानवरों को सड़कों पर वाहन से कुचल आगे बढ़ जाना या फिर उन्हें तड़पते हुआ देखकर अनदेखा कर देना आजकल के लोगों की फितरत बन चुकी है, लेकिन अपने इस रवैये के कारण हम यह भूल जाते हैं कि हमारे बीच रहने वाले पशु-पक्षियों को केवल हमारा ही सहारा है। भले ही जानवर अपना दर्द बयां न कर सकते हों, लेकिन इंसान के प्रति प्यार और लगाव बखूबी बयां करते हैं। दो वक्त की रोटी और कुछ पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते हैं। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार बहुत प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उन में भी मनुष्य की तरह दर्द, भावनाएं, प्यार होता है। जानवर भी खुश और दुखी होते हैं। जानवर भी हर बात को समझते और महसूस करते हैं। जानवरों का भी अपना परिवार होता है। हमें जानवरों को तंग नहीं करना चाहिए और ना ही मारना चाहिए। हमें उनके साथ प्यार से रहना चाहिए। उन्हें दाना पानी रखना चाहिए। जानवर भी भगवान का बनाया हुआ रूप है। इसलिए हमें उनके साथ अच्छे से रहना चाहिए। आज जानवर सड़कों पर लावारिसों की तरह फिरते रहते है। कोई इंसान किसी जानवर को पालता है तो अपने लालच के लिए अगर वह बीमार हो जाए या वह जानवर अपने मालिक को वह फायदा नहीं दे पा रहा हो जो उसका मालिक उससे अपेक्षा कर रहा है तो उसका मालिक उससे असंतुष्ट हो जाता है और उससे छुटकारा पाने के लिए या तो उसे कसाई को बेच देता है या फिर उसे कही लावारिस छोड़ देते है। हमें जानवरों के साथ भी इंसानों जैसा व्यवहार करना चाहिए

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