वाराणसी।दिपावली पर्व के शुभ अवसर पर जयगुरुबन्दे आश्रम जाल्हुपुर छितौना वाराणसी में हाजारों के सख्या में आये हुए आस्थावान जन मानस को संत्सग सुनाते हुए स्वामी जयगुरुबन्दे जी ने बतलाया कि मानव शरीर रूपी घर में सन्त महापुरुष आत्म ज्ञान रूपी दीपक को जलाकर प्रेम रुपी प्रकाश से अज्ञानता रूपी अंधकार का नाश कर देते है तब मानव जीवन में हर दिन दिपावली हो जाता है क्यों कि आत्मज्ञान रूपी दीपक कभी बुझता नहीं है और मानव समाज में सदैव प्रेम रुपी प्रकाश फैलाता रहता है। अर्थात लोग एक दूसरे से आपसी सौहार्द भाई चारा सभ्यता संस्कृति संस्कार को अपने मानस पटल पर उतार कर प्रेम का व्योहार करने लगते है। जिसके परिणामस्वरूप समाज में फैले हुए जात पात ऊँच नीच रीत रिवाज प्रथा प्रचलन ढोग आडम्डर जैसे कुरितियों को जड़ से उखाड़ कर फेकने के लिये प्रतिबद्ध होकर मानव समाज मे सेवा ,प्रेम ,परोपकार का भाव अपने हृदय रुपी आगन में लाकर एक दूसरे के प्रति इन्सानियत का व्योहार करके वास्तविक रुप से इन्सान बनकर भगवान के करीब हो जाते है और होली ,दीपावली, ईद जैसे त्योहारों का सच्चा अर्थ समझ कर सेवा संत्सग भजन सिमरन मे लग कर सन्तों के सरण में जाकर अपने अनमोल समय एव श्वाश के पूजी को सदुपयोग करके मानव जीवन को सफल बना कर अपने आत्मा का उत्थान करके संसार से अपने अमर लोक रूपी मंजिल को पाते है।
॥राखी में सद्गुरु स्वामी कहते हैं कि –
प्रेम दीप जलाओ घर में , कर लो सन्त तलास।
भीतर बाहर जयगुरुबन्दे ,होता परम प्रकास ।
अन्धकार अज्ञान का, सन्त करे जब नास
*प्रेम उजाला जयगुरुबन्दे, तब दिखता है पास।