प्रयागराज।महाकुंभ शुरू हुए 23 दिन बीत चुके हैं। 26 फरवरी तक चलने वाले दुनिया के इस सबसे बड़े आयोजन के अभी माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के दो स्नान बाकी है।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में इस बार महाकुंभ को न सिर्फ दिव्य, भव्य और आधुनिक रूप दिया गया, बल्कि स्वच्छ और पावन भी बनाया गया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि गंगा की अविरल धारा के साथ ही स्नानार्थियों और श्रद्धालुओं के लिए उसके जल को भी आचमन योग्य बना दिया। इसके लिए जियो ट्यूब तकनीक का सहारा लिया और 23 अनटैप्ड नालों के पानी को साफ करने के बाद ही गंगा में छोड़ा गया। इसे इतना साफ बनाया कि जलीय जीवों को भी नुकसान न हो। खास बात यह है कि 24 घंटे इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है। प्रयागराज नगर निगम ने यूपी जल निगम नगरीय के साथ मिलकर जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है।जो शहर के सभी 23 अनटैप्ड नालों के अपशिष्ट जल का शोधन कर रहा है। ‘महाकुम्भ 2025’ शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था कि गंगा में किसी भी नाले का पानी बिना ट्रीट किए नहीं डाला जाएगा। इसी का पालन करते हुए अस्थायी ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं।जिससे गंगा के जल को स्वच्छता के मानकों के अनुरूप निर्मल व अविरल बनाने में मदद मिल रही है। इस प्लांट से तकनीक के सहारे प्रतिदिन 100 से 130 एमएलडी पानी ट्रीट करने के बाद ही गंगा में छोड़ा जा रहा है। उत्तर प्रदेश जल निगम, नगरीय ने शहर के सभी 23 अनटैप्ड नालों के ट्रीटमेंट के लिए जियो ट्यूब तकनीकी आधारित ट्रीटमेंट प्लांट, राजापुर में लगाया है।जानिए क्या है जियो ट्यूब तकनीक पहले अनटैप्ड नालों के पानी का क्लोरोनाइजेशन किया जाता था। इस बार इसका ओजोनाइजेशन किया गया है। पुरानी विधि में क्लोरीन की पानी में मात्रा अधिक हो जाती थी और इससे जलीय जंतुओं के ऊपर विपरीत असर पड़ता था। कई बार साइबेरियन पक्षी, डाल्फिन और मछलियों पर भी इसका बुरा असर देखा गया था। सीवेज वाटर की इस तकनीक में 40 से 50 फीसदी बीओडी लेवल और करीब 80 फीसदी टीएसएस जियो ट्यूब्स में शोधित कर लिया जाता है। ट्रीटेड वाटर को हाइड्रोजन पराक्साइड से शोधित कर उसका ओजोनाइजेशन किया जाता है। ओजोनाइजेशन में सभी तरह के फीकल बैक्टीरिया मर जाते हैं और फिर इस पानी को गंगा में छोड़ा जाता है। जियो ट्यूब फाइबर और धागों से बनी प्योर टेक्सटाइल ट्यूब है। यह 20 मीटर लंबा और 3 मीटर चौड़ा होता है।14 दिनों का ट्रायल,फिर प्लांट का संचालन सहायक अभियंता प्रफुल्ल कुमार सिंह ने बताया कि यह ट्रीटमेंट प्लांट 14 दिनों के ट्रायल रन के बाद 01 जनवरी से अपनी पूरी क्षमता से कार्य कर रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में सात अलग- अलग साइटों शिवकुटी, एडीए, सलोरी, ससुरखेदरी, जोंडेलवाल, राजापुर और सदर बाजार से आ रहे नालों को बंधा बनाकर टैप किया जा रहा है। टैपिंग के बाद पम्प इंस्टॉल कर पॉलीमर और पीएसी दोनों केमिकल मिलाकर इन नालों के पानी को 25 मीटर के 7 अलग अलग जियो ट्यूब में भेजा जाता है। इन दोनों केमिकल की डोजिंग से पानी में मौजूद गंदगी जियो ट्यूब में जाकर धीरे- धीरे बैठने लगती है और ट्यूब के पोर्स से पानी बाहर निकलने लगता है।जियो ट्यूब में पानी जाने के बाद इसमें कंपन्न बना रहे, इसके लिए लेबर मैनुअली इसे डंडे से पीटते हैं । यहां से निकलने वाला पानी सीधे ड्रेन में स्टॉल कैविटेशन टैंक में जाता है, जहां इस पानी में हाइड्रोजन पैराऑक्साइड मिलाया जाता है।पूरी प्रक्रिया की 24 घंटे ऑनलाइन मॉनिटरिंग
सहायक अभियंता प्रफुल्ल कुमार सिंह ने बताया कि पानी को और शुद्ध और डिसइन्फेक्ट बनाने के लिए ओजोनाइजेशन किया जाता है।यह वह प्रक्रिया है, जिसमें ओजोन गैस (O3) का उपयोग पानी को साफ करने के लिए किया जाता है । इस प्रक्रिया के लिए पानी टैंक से खुले तालाब में खुला छोड़ दिया जाता है, ताकि पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ सके । इसके बाद पानी से झाग अलग किया जाता है । यह आधुनिक तकनीक सीवेज वाटर का बीओडी लेवल 30 % और 80% टीएसएस जियो ट्यूब्स में ही शुद्ध कर देती है। हाइड्रोजन पैरॉक्साइड और ओजोनाइजेशन से पानी को पूरी तरह शुद्ध कर नदियों में छोड़ दिया जाता है। इस प्लांट की खासियत है कि इसमें क्लोरीनाइजेशन की जगह ओजोनाइजेशन किया जाता है, ताकि जलीय जीवों को नुकसान न हो । 24 घंटे इस पूरी प्रक्रिया की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाती है।महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं को स्वच्छ और निर्मल गंगा जल में स्नान का अनुभव देने के लिए यह व्यवस्था की गई है।एक जनवरी से यह प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है।जलीय जीवन के संरक्षण में भी मददगार जियो ट्यूब तकनीक इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज मैकेनिकल इंजीनियर राजेंद्र सैनी ने बताया कि जियो ट्यूब तकनीकि सीवेज वाटर ट्रीटमेंट की आधुनिक तकनीक है।इस ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीनाइजेशन की जगह ओजोनाइजेशन किया जाता है,क्योंकि ट्रीटेड पानी में अधिक मात्रा में घुला क्लोरीन जलीय जीवों के लिए नुकसानदेह होता है। ओजोनाइजेशन से सभी तरह के फीकल बैक्टीरिया मर जाते हैं, फिर इस ट्रीटेड वॉटर को नदियों में छोड़ा जाता है।सारे पैरामीटर्स को इसलिए ही पूरा किया जाता है ताकि किसी भी तरह का कोई नुकसान न हो।मुख्यमंत्री योगी के निर्देश का पालन करते हुए शहर के सभी 23 अनटैप्ड नालों का पानी साफ किया जा रहा है । इसके लिए जियो ट्यूब तकनीक आधारित अस्थायी ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए,जिससे गंगा के जल को स्वच्छता के मानकों के अनुरूप निर्मल व अविरल बनाने में मदद मिल रही है।प्रतिदिन 100 से 130 एमएलडी पानी जियो ट्यूब तकनीक से ट्रीट करने के बाद गंगा में छोड़ा जा रहा है-नगर आयुक्त चन्द्र मोहन गर्ग।