November 27, 2024
IMG-20240131-WA0089

बलरामपुर / जिलाधिकारी अरविन्द सिंह द्वारा चुनावी व्यस्तताओं के बीच बेजुबान जानवरों एवं पक्षियों को भीषण गर्मी से बचाने एवं पीने का पानी मुहैया कराने के लिए शुरू की गई अनूठी मुहिम परवान चढ़ रही है। सोमवार को डीएम अरविन्द सिंह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सीडीओ, डीपीआरओ, डीसी मनरेगा, राजस्व एवं खंड विकास अधिकारियों के साथ बैठक कर अभियान की समीक्षा की तथा निर्देश दिये कि लोकसभा चुनाव की मतगणना के बाद सभी सम्बन्धित विभाग युद्धस्तर पर कार्य कराना शुरू कर दें।

गूल बनाकर तालाबों को भरने की समीक्षा में डीसी मनरेगा ने बताया कि जनपद में अब तक 373 गूले खुदवाये जा चुके है तथा 639 तालाबों को पानी से लबालब भरवा दिया गया है।वहीं नलकूप विभाग द्वारा अब तक 120 तालाबों को भरवाने का काम किया गया हैं। इस प्रकार अब तक 934 तालाबों को पानी से भरवाने का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि लोकसभा निर्वाचन की आदर्श आचार संहिता के कारण नई आईडी बनाने में कठिनाई है, इसलिए काम धीमी गति से हो रहा है। मतगणना का कार्य पूरा होते ही मनरेगा योजनान्तर्गत आईडी बनाकर युद्धस्तर पर काम शुरू करा दिया जाएगा।

संचालित नहरों का पानी व्यर्थ न जाये इसके लिए हर्रैया, तुलसीपुर, पचपेड़वा क्षेत्र की नहरों के पानी से तालाबों को भरवाया जा रहा है। उतरौला क्षेत्र के लिए भी नहर संचालित हो गई है जिससे तालाबों को भरवाने का काम शुरू कर दिया गया है तथा मनरेगा योजना के माध्यम से गूले खुदवाने का काम तेजी से चल रहा है।

जिलाधिकारी श्री सिंह ने बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया कि चूंकि वर्तमान में ज्यादातर खेत खाली हैं और फसलों की सिंचाई का कार्य नहीं हो रहा जिससे संचालित नहरों का पानी व्यर्थ चला जा रहा है। इसलिए नहरों के पानी का सदुपयोग करते हुए गूलों को भरा जाए जिससे भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि के साथ ही पशु-पक्षियों को पीने का पानी एवं अग्नि काण्ड से बचाव में मदद मिलेगी। जिलाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि भयंकर गर्मी में गूल बनने से जलस्तर ऊपर होगा, पशु पक्षियों को पीने का पानी मुहैया होगा तथा आग की विभीषिका से भी बचाव के साथ ही बाढ़ बचाव में बेहद कारगर साबित होगा।

बाढ़ के दौरान नहरों के माध्यम से बाढ़ के पानी को गूलों के माध्यम से सिचाई के काम में प्रयोग किया जाएगा साथ ही तालाबों को भी भरा जाएगा जिससे तथा बाढ़ का पानी आबादी क्षेत्र को कम से कम प्रभावित करेगा तथा फसल क्षति नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *