ललितपुर- संविलयन उच्च प्राथमिक विद्यालय डुलावन में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की प्रथम दीपशिखा वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्मोत्सव विद्यालय के बच्चों व अध्यापकों ने वीरांगनाएं लक्ष्मीबाई के चित्र के समक्ष दीपांजलि करके मनाया।विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक वीरसिंह ने बच्चों को बताया कि भारतीय इतिहास में अनेक वीर महिलाएं हुई हैं।जिन्होंने बहादुरी तथा साहस के साथ युद्ध भूमि में शत्रु से भी लोहा लिया। इनमें झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।सहायक अध्यापक पुष्पेंद्र जैन ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1835 को वाराणसी में हुआ था। इनका नाम मणिकर्णिका था। बचपन में इन्हें प्यार से मनु व छवीली कहकर बुलाते थे।मनु की आयु 4 या 5 वर्ष की थी तब उनकी मां का देहांत हो गया था। मनु के पिता पुणे के पेशवा बाजीराव के दरबार में थे।मनु की देखभाल के लिए उनके पिता उन्हें अपने साथ पेशवा बाजीराव के दरबार में ले जाते थे और मनु का बचपन पेशवा बाजीराव के पुत्रों के साथ बीता।मनु उन्हीं के साथ पढ़ती थी।मनु का बचपन में तीर तलवार चलाना,बंदूक चलाना और घुड़सवारी करना यह प्रिय खेल थे। वीरांगना ने संकल्प लिया था कि अंतिम सांस तक झांसी के किले पर फिरंगियों का झंडा नहीं फहराने देंगी।महारानी लक्ष्मीबाई की यशोगाथा को युगों-युगों तक दोहराया जायेगा। इंचार्ज प्रधानाध्यापक वीरसिंह,देवीशंकर कुशवाहा,पुष्पेंद्र जैन,अल्पेश समाधिया,संतोष नरवरिया,प्रीति कुशवाहा,
,अंजूलता वर्मा,प्रमोद तिवारी,यशोदा,अरविंद पंथ मौजूद रहे।कार्यक्रम का संचालन पुष्पेंद्र जैन ने किया।उधर पूर्व माध्यमिक विद्यालय टोडी में वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्मदिन हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।विद्यालय की छात्राओं ने वीरांगना लक्ष्मीबाई की वेशभूषा पहनी और उन्होंने नारे लगाते हुए कहा-मैं झिंसी नहीं दूंगी।चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई ।जिसमें बच्चों ने रानी लक्ष्मीबाई की आकृति को उकेरा।इस दौरान इंचार्ज प्रधानाध्यापक डां०बृजेश कुशवाहा, गनेश प्रसाद, दिनेश साहू मौजूद रहे।