वाराणसी/-राजातालाब थाना क्षेत्र के कस्बा राजातालाब पुलिस चौकी क्षेत्र के सब्जी मंडी के समीप...
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वाराणसी/-मिर्जामुराद थाना क्षेत्र की सड़क जाम से पूरे दिन कराहता रहा।इस दौरान कही न...
बुलंदशहर.जनपद में सात अगस्त से सघन मिशन इंद्रधनुष- 5.0 शुरू होगा। तीन चरणों में...
वाराणसी/-जिलाधिकारी एस राजलिंगम द्वारा बुधवार रामनगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री राजकीय चिकित्सालय का औचक...
वाराणसी/-हरहुआ विकास खंड अंतर्गत जिला सहकारी बैंक वाराणसी की आयर शाखा मे एडीओ सहकारिता...
शिकारपुर.(बुलंदशहर) शिकारपुर में साप्ताहिक बंदी का दुकानदारों द्वारा जमकर मखौल उड़ाया जा रहा है।...
बुलंदशहर.शिकारपुर नगर के मैने बाजार से दिनदहाड़े बुलेट मोटरसाइकिल चोरी स्थानीय पुलिस फैंटम का...
बुलंदशहर.वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार द्वारा अपर पुलिस अधीक्षक नगर सुरेन्द्र नाथ तिवारी ,अपर...
नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को संसद में कहा कि भूमि-अधिग्रहण में देरी के कारण पिछले 10 सालों से लंबित मध्य प्रदेश के सिंगरौली से निकलने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग-39 सड़क परियोजना का काम इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि परियोजना शुरू में सितंबर 2013 में ‘गैमन इंडिया’ को दी गई थी, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि इसलिए, परियोजना का जिम्मा जून 2021 में एक अन्य कंपनी को निविदा के माध्यम से फिर से दिया गया था। परियोजना के तहत 530 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली सड़क की लंबाई 105.59 किलोमीटर है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम लिमिटेड (एमपीआरडीसी) ने 31.11 करोड़ रुपये की मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव भेजा है, जिसे जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से परियोजना की निगरानी कर रहा हूं और दिसंबर से पहले काम पूरा हो जाएगा।’’ मंत्री के अनुसार, परियोजना के कार्यान्वयन में देरी के प्रमुख कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब और राज्य सरकार की ओर से अतिक्रमण हटाने में देरी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘1.8 किलोमीटर मुख्य राजमार्ग और 4.85 किलोमीटर सर्विस रोड से अतिक्रमण हटाया जाना है। यह एक जिलाधिकारी का काम है।’’ उन्होंने कहा कि परियोजना को 2013 में मंजूरी दी गई थी और अब 10 साल हो गए हैं लेकिन भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ है। मंत्री ने यह भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि परियोजना शुरू नहीं हो पा रही है और ठेकेदारों को किसी न किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जवाब देते समय (इस परियोजना के बारे में) अपराध बोध महसूस करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि यह देश की उन दो परियोजनाओं में से एक है जो दुर्भाग्य से लंबे समय से अटकी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज-मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के शुरू होने में देरी पर एक अन्य सवाल के जवाब में, मंत्री ने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) संख्या अभी तक आवंटित नहीं की गयी है और इसलिए काम शुरू नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘अभी हम उन एनएच पर काम कर सकते हैं जिन्हें किसी संख्या के साथ आवंटित किया गया है। खर्च ज्यादा है। जब तक इस सड़क को संख्या के साथ आवंटित नहीं किया जाता है, तब तक हम खर्च नहीं कर सकते।’’ मंत्री ने कहा कि इसके लिए तत्काल कोई समाधान नहीं खोजा जा सकता है, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि उपयुक्त समय पर इस परियोजना को शुरु किया जाएगा।
नयी दिल्ली। सरकार ने बुधवार को कहा कि नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम नीति के अनुसार गैर-रणनीतिक क्षेत्र वाले उद्यमों को व्यवहार्यता के आधार पर निजीकरण के लिए विचार किया जाए, अन्यथा ऐसे उद्यमों को बंद करने पर विचार किया जाएगा। इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि इस्पात मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसई) ‘राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड’ (आरआईएनएल) के रणनीतिक विनिवेश के संबंध में निर्णय लिया गया है। कुलस्ते ने राम मोहन नायडू के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार द्वारा अधिसूचित नई सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (पीएसई) नीति के अनुसार मौजूदा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को मुख्यत: रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि गैर-रणनीतिक क्षेत्रों वाले पीएसई पर व्यवहार्यता के आधार पर निजीकरण के लिए विचार किया जाए, अन्यथा ऐसे उद्यमों को बंद करने पर विचार किया जाएगा। मंत्री के जवाब में कहा गया कि नई पीएसई नीति के अनुसार सरकार ने रणनीतिक विनिवेश के माध्यम से आरआईएनएल की सहायक कंपनियों या संयुक्त उद्यमों में आरआईएनएल की हिस्सेदारी सहित उसमें भारत सरकार की शेयरधारिता के 100 प्रतिशत विनिवेश के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की आरआईएनएल में कोई इक्विटी नहीं है। हालांकि, आवश्यकता होने पर विशिष्ट मामलों में राज्य सरकार से परामर्श किया जाता है और जिन मामलों में उनके हस्तक्षेप की आवश्यकता हो, उनमें उनकी सहायता भी मांगी जाती है।