October 25, 2024

देश विदेश

नई दिल्ली भारत और ब्रिटेन इस साल मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर कर सकते हैं दोनों देश आर्थिक वृद्धि और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित समझौते की व्यापक रूपरेखा पर आम सहमति पर पहुंच गए हैं। भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, “हम जल्द से जल्द सौदे को अंतिम रूप देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत पूरी हो चुकी है और साल के समाप्त होने के बहुत पहले ही समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।” भारत ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को खुद को बड़ा निर्यातक बनाने के लिहाज से महत्वपूर्ण मानता है, जबकि ब्रिटेन को इस समझौते से अपनी व्हिस्की, प्रीमियम कारों और कानूनी सेवाओं के लिए भारतीय बाजार में व्यापक पहुंच मिलेगी। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत के लिए ब्रिटेन के साथ एफटीए किसी विकसित देश के साथ पहला समझौता होगा। ब्रिटेन के लिए यह यूरोपीय संघ से 2020 के बाहर निकलने के बाद विविध वैश्विक व्यापार संबंधों की खोज का हिस्सा है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक महत्वपूर्ण समय आएगा, पीएम आम चुनाव से पहले भारत की व्यापार-अनुकूल छवि को मजबूत करना चाहते हैं। बर्थवाल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की यात्रा के दौरान हाल ही में लंदन में 11वें दौर की वार्ता संपन्न हुई थी। बर्थवाल ने कहा कि एफटीए के कुल 26 अध्यायों में से 19 पर चर्चा बंद हो गई है, जिसमें संवेदनशील ऑटोमोबाइल क्षेत्र से संबंधित मुद्दे भी शामिल रहे हैं। व्यापार मंत्रालय के अलग-अलग सूत्रों ने कहा कि हालांकि दोनों देशों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों, उत्पत्ति के नियमों और निवेश संधि पर मतभेदों को अभी तक दूर नहीं किया जा सका है। आर बर्थवाल ने कहा कि निवेश के नियमों के मुद्दे पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन गई है, लेकिन दोनों देशों के सीमा शुल्क अधिकारी अभी भी इस तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा ब्रिटेन को दी जा रही रियायतों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘जब तक सब कुछ अंतिम नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी अंतिम नहीं है। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार मार्च में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 में सालाना आधार पर 16.6% बढ़कर $20.42 बिलियन डॉलर हो गया।
 नई दिल्ली राष्ट्रमंडल देशों के 50 सामाजिक उद्यमियों, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले दिग्गजों, इनोवेटर्स और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की लिस्ट में चार भारतीय युवाओं शामिल किया गया है। 15 से 29 वर्ष की आयुवर्ग के ये सभी युवा उन पहलों में शामिल हैं जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में ठोस योगदान देते हैं। भारत से अक्षय मकर को एसडीजी13 क्लाइमेट एक्शन, सौम्या डाबरीवाल को एसडीजी...
केरल सरकार ने हाल ही में लोकसभा द्वारा पारित बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक का शुक्रवार को कड़ा विरोध करने के साथ ही आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नए कानून से देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। राज्य के सहकारिता मंत्री वी एन वासवन ने एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार का सहकारिता कानून में नया संशोधन संविधान के तहत राज्यों को दी गई स्वतंत्रता को छिनने की एक कोशिश है। उनका यह बयान लोकसभा द्वारा विधेयक पारित करने के कुछ दिनों बाद आया है। यह विधेयक सहकारी समितियों के कामकाज को अधिक पारदर्शी बनाकर, नियमित चुनाव प्रणाली लागू कर और संबंधित व्यक्तियों की नियुक्ति पर रोक लगाकर उन्हें मजबूत करने का प्रयास करता है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 25 जुलाई को यह विधेयक पेश करते हुए कहा था कि विधेयक के प्रावधान उस क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत करेंगे जिसे पिछली सरकारों ने नजरअंदाज कर दिया है। संक्षिप्त चर्चा के बाद हंगामे के बीच विधेयक को लोकसभा ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी। विधेयक के प्रावधानों की आलोचना करते हुए वासवन ने कहा कि केंद्र सरकार को उच्चतम न्यायालय में लगे झटके से उबरने के लिए नया संशोधन लाया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र का यह दृष्टिकोण लोकतंत्र को कमजोर करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसे प्रावधानों को भी शामिल किया है जिनमें राज्य सहकारी रजिस्ट्रार के तहत काम करने वाली वैधानिक समितियों को भी समाप्त किया जा सकता है और बहु-राज्य समितियों में परिवर्तित किया जा सकता है।उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सहकारी समितियां नई पीढ़ी के वाणिज्यिक बैंकों के समान हो जाएंगी, जो केवल वित्तीय लाभ के लिए काम करते हैं। नए संशोधन से राज्य के सहकारी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो आम लोगों के लिए अच्छा काम कर रहा है। वासवन ने कहा, ‘‘यह राज्यों की स्वतंत्रता पर हमला है। संशोधन उन सहकारी समितियों के लिए खतरा है जो इस क्षेत्र के लिए एक आदर्श बन गए हैं। इनका कड़ा विरोध किया जाना चाहिए।
नयी दिल्ली। दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली प्रमुख कंपनी नेस्ले इंडिया ने वर्ष 2025 तक 4,200 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। इस निवेश के तहत कंपनी देश में 10वां कारखाना ओडिशा में खोलेगी। कंपनी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने शुक्रवार को यह कहा। मैगी नूडल्स, किटकैट चॉकलेट जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया क्षमता निर्माण के लिए निवेश कर रही है। इसका कारण उसे भारतीय बाजार में आने वाले वर्षों में ‘काफी मजबूत’ मांग दिख रही है। नारायणन ने यहां मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘… वर्ष 2023 की पहली छमाही तक, पूंजी निवेश मद में 2,100 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है, जो महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि यह निवेश विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए है। नारायणन ने कहा, ‘‘वर्ष 2023 और वर्ष 2025 के बीच 4,200 करोड़ रुपये और खर्च किए जा रहे हैं। इसमें ओडिशा में एक नया कारखाना लगाने के लिए लगभग 900 करोड़ रुपये का निवेश भी शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा गठन के बाद से नेस्ले इंडिया ने पिछले 60 साल में यहां लगभग 7,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने शुक्रवार को रसायन और पेट्रोकेमिकल कंपनियों से भारत को विनिर्माण का केन्द्र बनाने के लिए गुणवत्ता और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने पर ध्यान देने को कहा। यहां भारत में वैश्विक रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विनिर्माण केंद्र विषय पर एक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक निवेश के लिए सबसे अच्छा गंतव्य है तथा उद्योग को विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। मांडविया ने कहा कि उन्होंने भारत को निवेश केंद्र बनाने के लिए रासायनिक पार्क स्थापित करने का निर्देश दिया है और ‘इस संबंध में काम हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘‘आज गुणवत्ता पर ध्यान देने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने की जरूरत है।’’ मंत्री ने घरेलू उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सरकार के समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने उद्योग जगत से इस संबंध में एक श्वेत पत्र बनाने को कहा। मांडविया ने कहा कि उद्योग किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है। उद्योग को समर्थन देना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार समग्र तरीके से और सभी अंशधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नीतिगत निर्णय ले रही है। इससे औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने में भी मदद मिली है। मांडविया ने कहा कि सरकार उद्योग-अनुकूल माहौल बनाने के अपने प्रयास के तहत श्रम सुधार लाई है, नियमों का अनुपालन कम किया है और छोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने के लिए एक विधेयक लाई है। उन्होंने रसायन और पेट्रो-रसायन सहित सभी प्रकार के उद्योगों के लिए भारत को दुनिया का कारखाना बनाने पर जोर दिया। मंत्री ने कहा कि भारत स्थिर दीर्घकालिक नीति, लोकतांत्रिक प्रणाली और भारतीय न्यायपालिका के गुण-दोष के आधार पर निर्णय के साथ एक बड़ा उपभोग केंद्र है। इससे भारत वैश्विक निवेश के लिए सबसे अच्छा और सुरक्षित गंतव्य बन गया है। उन्होंने घरेलू कंपनियों से इस अवसर का लाभ उठाने और वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी बनाने को कहा।
नाइजर में सेना के विभिन्न गुट शुक्रवार को सत्ता के लिए संघर्षरत दिखे। एक विश्लेषक और एक पश्चिमी सैन्य अधिकारी ने राष्ट्रपति गार्ड की ओर से तख्तापलट किये जाने के दो दिन बाद यह जानकारी दी। इस तख्तापलट के कारण देश में राजनीतिक अराजकता फैल गई है जिससे जिहादियों के खिलाफ देश की लड़ाई में बाधा आ सकती है और पश्चिम अफ्रीका में रूस का प्रभाव बढ़ सकता है। यह अब भी स्पष्ट नहीं है कि कौन प्रभारी नेता है और मध्यस्थता के लिए प्रयास शुरू किया गया है या नहीं। पड़ोसी देश नाइजीरिया का एक प्रतिनिधिमंडल आने के तुरंत बाद ही लौट गया और एक क्षेत्रीय निकाय की ओर से मध्यस्थ नामित किये गये बेनिन के राष्ट्रपति नहीं पहुंचे। एक वार्ता के दौरान प्रतिभागियों से बातचीत में एक विश्लेषक ने कहा कि तख्तापलट करने वाले राष्ट्रपति गार्ड के सदस्य सेना के साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं कि किसे प्रभारी नेता होना चाहिए। विश्लेषक ने हालात की संवेदनशीलता के मद्देनजर अपना नाम नहीं उजागर करने के लिए कहा। एक पश्चिमी सैन्य अधिकारी, जिन्हें मीडिया में बोलने का अधिकार नहीं है, ने पुष्टि की कि कि विभिन्न सैन्य गुट वार्ता कर रहे हैं, ऐसा माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पापुआ न्यू गिनी में बातचीत के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने तख्तापलट की निंदा करते हुए इसे ‘‘पूर्ण रूप से अवैध और नाइजीरियाई लोगों के लिए बहुत खतरनाक’ करार दिया। मैक्रों ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति बजौम से कई बार बातचीत की और कैद में बंद नेता का स्वास्थ्य ठीक है। फ्रांस ने 1960 तक नाइजर पर एक उपनिवेश के रूप में शासन किया था। इस देश में फ्रांस के 1,500 सैनिक हैं, जो नाइजीरियाई लोगों के साथ संयुक्त अभियान चलाते हैं। बृहस्पतिवार को कई सौ लोग राजधानी नियामी में एकत्र हुए और रूसी झंडे लहराते हुए रूसी निजी सैन्य समूह वैगनर के समर्थन में नारे लगाए। इसके बाद उन्होंने कारों को जला दिया और राष्ट्रपति के राजनीतिक दल के मुख्यालय में तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों में से एक उमर इस्साका ने कहा, ‘‘हम तंग आ चुके हैं। ’’ उमर ने फ्रांसीसी मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए कहा, ‘‘हम रूस के साथ सहयोग करने जा रहे हैं।’’ विद्रोही सैनिकों ने किसी नेता की घोषणा नहीं की है और राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम ने इस्तीफा नहीं दिया है। 1960 में फ्रांस से आजादी के बाद नाइजर में हुए पहले लोकतांत्रिक सत्ता हस्तांतरण के तहत दो साल पहले बजौम राष्ट्रपति चुने गए थे। पड़ोसी देश माली और बुर्किना फासो, दोनों ने फ्रांसीसी सेना को बाहर कर दिया है, जो पहले जिहादियों के खिलाफ उनकी लड़ाई में सहायता प्रदान करती थी। माली ने भी वैगनर से संपर्क किया है और माना जा रहा है कि उसके लड़ाके जल्द ही बुर्कीना फासो में मौजूद होंगे। अब चिंता जताई जा रही है कि कहीं नाइजर भी उनकी राह पर ना चल पड़े।
ब्रिस्बेन। ऑस्ट्रेलियाई सेना का एक हेलीकॉप्टर क्वींसलैंड तट से दूर हैमिल्टन द्वीप पर जलक्षेत्र में उतरा गया, जिसके बाद से उसमें सवार चालक दल के चार सदस्य लापता हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने बताया कि ‘एमआरएच-90 ताइपन हेलीकॉप्टर’ को शुक्रवार रात करीब साढ़े दस बजे हैमिल्टन द्वीप के पास आपात स्थिति में जलक्षेत्र में उतारा गया। अधिकारियों के मुताबिक, चालक दल के लापता सदस्यों की तलाश की जा रही है और उनके परिजनों को घटना के बारे में सूचना दे दी गई है। बचाव अभियान में शामिल एक हेलीकॉप्टर ने शनिवार सुबह विटसंडे द्वीप समूह में डेंट द्वीप के पास मलबा दिखाई देने की सूचना दी है। हेलीकॉप्टर ताइपन अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के द्विवार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रहा था। ‘तलिस्मान सब्रे’ सैन्य अभ्यास अधिकतर क्वींसलैंड में होता है। इस वर्ष के अभ्यास में 13 देशों के 30,000 से अधिक जवान हिस्सा ले रहे हैं। मार्ल्स ने बताया कि हेलीकॉप्टर को आपात स्थित में जलक्षेत्र में उतारा गया। उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा अभ्यास सैन्य बलों की तैयारियों के लिए बेहद अहम हैं। ये काफी मुश्किल होते हैं और इनमें काफी जोखिम भी होता है।’’ मार्ल्स के अनुसार, ‘‘हम अच्छी खबर की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन हम इस घटना की गंभीरता से भी अनजान नहीं हैं।’’ रक्षा बल के प्रमुख जनरल एंगस कैंपबेल ने बताया कि क्वींसलैंड राज्य के अधिकारी, जनता और अमेरिकी सैन्यकर्मी भी तलाश अभियान में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस वक्त हमारा पूरा ध्यान हमारे लोगों की तलाश करने और उनके परिवार व शेष टीम को सहयोग देने पर है।
धन की पेशकश कर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के सदस्यों का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार पादरी महेंद्र कुमार की पत्नी सीमा को पुलिस ने हापुड़ से गिरफ्तार किया। एक पुलिस अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इन्हीं आरोपों में इससे पहले बुधवार को पादरी महेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था। मोदीनगर के अपर पुलिस आयुक्त (एसीपी) ज्ञान प्रकाश राय ने बताया कि पादरी और उसकी पत्नी 10 बैंक खाते संचालित कर रहे थे। पुलिस को जांच के दौरान उनके बैंक खातों में लाखों रुपये और डॉलर के लेन-देन का पता चला है। राय ने बताया कि पुलिस ने पादरी और उसकी पत्नी के पास से तीन मोबाइल फोन बरामद किए हैं और फोन के रिकॉर्ड की जांच कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें मुंबई और चेन्नई के एक-एक व्यक्ति के बारे में भी पता चला है, जो इस गिरोह का हिस्सा हैं। पादरी के खिलाफ कार्रवाई एक शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद शुरू की गई थी कि कुछ लोग मोदीनगर इलाके के गरीब लोगों पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव डाल रहे थे और उन्हें धन की पेशकश कर रहे थे। कुमार और कुछ अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ 23 जुलाई को मोदीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मोदीनगर के एसीपी ने कहा था कि कुमार और उसकी पत्नी बेथलहम गॉस्पेल नाम से एक ट्रस्ट संचालित कर रहे थे और विदेशों से धन प्राप्त कर रहे थे जिसका इस्तेमाल गरीब लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए लालच देने के लिए किया जाता था। उन्होंने बताया था, ‘‘कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और धर्मांतरण रोधी कानून की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी तेज करने के लिए आज अपनी नई टीम का ऐलान कर दिया। इस टीम में एक बार फिर डॉ. रमन सिंह और वसुंधरा राजे को उपाध्यक्ष बना कर भाजपा ने संकेत दिया है कि इस साल के अंत में होने वाले छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा के चुनाव संभवतः नये नेतृत्व में लड़े जायेंगे। इसके संकेत इससे भी मिलते हैं कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी एक बार फिर दी गयी है। हम आपको बता दें कि झारखंड में भाजपा अब नेतृत्व बाबूलाल मरांडी की सौंप चुकी है। इसके अलावा भाजपा की नई टीम में तेलंगाना में पार्टी अध्यक्ष पद से हाल ही में हटाये गये संजय बंदी और पूर्व रक्षा मंत्री तथा कांग्रेस नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी का नाम भी शामिल है। हम आपको यह भी बता दें कि भाजपा अध्यक्ष पद पर नड्डा वैसे तो अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं लेकिन पिछले दिनों लोकसभा चुनाव तक उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। भाजपा आलाकमान ने हाल ही में कई दौर की मंथन बैठक भी की जिसमें नये लोगों को जिम्मेदारियां देने और कुछ पुराने लोगों की जिम्मेदारियों में फेरबदल का निर्णय लिया गया था। अब जो भाजपा की नई टीम आई है उसमें बहुत बड़ा बदलाव भले नहीं किया गया है लेकिन बड़े राजनीतिक संकेत जरूर दिये गये हैं। नई टीम के ऐलान के बाद यह भी साफ हो गया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में फिलहाल कोई फेरबदल नहीं होने जा रहा है। पहले इस बात की अटकलें थीं कि कुछ मंत्रियों को संगठन में भेजा जा सकता है लेकिन नई टीम में किसी केंद्रीय मंत्री का नाम शामिल नहीं है। हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी मंत्रिपरिषद की बैठक भी की थी जिसमें उन्होंने सभी मंत्रियों से कामकाज तेज करने और चुनावों से पहले सभी वादे पूरे करने पर ध्यान लगाने को कहा था। जहां तक भाजपा की नई टीम की बात है तो आपको बता दें कि राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नवगठित टीम में राष्ट्रीय उपाध्यक्षों में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास, सौदान सिंह, बैजयंत पांडा, सांसद सरोज पाण्डेय, सांसद रेखा वर्मा, तेलंगाना से डी.के. अरुणा, नगालैंड से एम. चौबा एओ, केरल से अब्दुल्ला कुट्टी, सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेई, छत्तीसगढ़ से लता उसेंडी, उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य तारिक मंसूर के नाम शामिल हैं। तारिक मंसूर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं। उनको बड़ी जिम्मेदारी मिलने से मुस्लिम समाज का बौद्धिक वर्ग भी भाजपा के साथ जुड़ सकता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय महासचिवों की सूची में सांसद अरुण सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, दुष्यंत कुमार गौतम, तरुण चुग, विनोद तावड़े, सुनील बंसल, तेलंगाना के पूर्व भाजपा अध्यक्ष संजय बंदी और राधामोहन अग्रवाल के नाम शामिल हैं। इसके अलावा, संगठन महासचिव के रूप में पहले की तरह बीएल संतोष कामकाज देखते रहेंगे। उनके साथ शिवप्रकाश राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री का दायित्व संभालेंगे। पार्टी के कोषाध्यक्ष का पद राजेश अग्रवाल और सह-कोषाध्यक्ष का दायित्व उत्तराखंड के पार्टी नेता नरेश बंसल देखेंगे।
हैदराबाद: सिंचाई क्षेत्र में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की जीत की सराहना करते हुए, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि केसीआर ने उनके राज्य में कृषि क्षेत्र के हर हिस्से में सिंचाई के पानी की आपूर्ति करके सिंचाई के क्षेत्र में अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है। केजरीवाल ने ज़ी नेशनल अचीवर्स अवार्ड्स में अपने संबोधन के दौरान तेलंगाना राज्य में कांति वेलुगु पहल को लागू करने में केसीआर और उनके अभिनव विचारों की सराहना की। अरविंद केजरीवाल ने कहा, “मुख्यमंत्री केसीआर ने अपने राज्य  तेलंगाना में सभी कृषि क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराकर सिंचाई के क्षेत्र में शानदार काम किया है। जब मैं हाल ही में एक प्रमुख कार्यक्रम के लिए खम्मम में था, तो मुझे पता चला कि उनकी सरकार ने 4 करोड़ लोगों को मुफ्त आंखों की जांच प्रदान की है।” उन्होंने हर उस व्यक्ति को मुफ्त चश्में दिए, जिन्हें उनकी आवश्यकता थी, आवश्यकतानुसार आंखों की प्रक्रियाएं कीं और बीमारियों के अनुसार विशिष्ट नेत्र उपचार प्रदान किए, वह भी बहुत कम कीमत पर। केसीआर सरकार ने अपने राज्य में जो कुछ भी किया वह अविश्वसनीय है। मेरा मानना है कि हम सभी को तेलंगाना राज्य की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखना चाहिए। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की “केवल एक-दूसरे की आलोचना करने के बजाय, हमें इस देश में हर किसी से सीखना चाहिए, न कि केवल उनकी सरकार से। सिस्टम में कुछ गंभीर रूप से गलत है जब यह उन लोगों की आलोचना करता है जो अच्छा करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय। हमारा सिस्टम प्रोत्साहित भी नहीं करता है एक स्टार्ट-अप उद्यमी, जो कुछ करने की कोशिश कर रहा है, चाहे वे राजनेता हों, व्यापारी हों या उद्यमी हों, और हमें सिस्टम में इस नकारात्मकता को बदलने की जरूरत है।