November 26, 2024

देश विदेश

भारत के आर्थिक विकास में लगातार गति आने से भारत में विदेशी निवेश की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। इससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। 8 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 60,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर था, जो 15 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 61,600 करोड़ अमेरकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया एवं 22 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। इस प्रकार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि, अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 64,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया था, अब शीघ्र ही इस उच्चत्तम स्तर को पार कर जाने की भरपूर सम्भावना व्यक्त की जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान, भारतीय रुपए पर अत्यधिक दबाव आ गया था, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए को अवमूल्यन से बचाने एवं भारत रुपए के मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी डॉलर को भरपूर मात्रा में बाजार में बेचा था इससे भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक को देश के आर्थिक विकास में गिरावट के चलते पैदा हुए किसी भी बाहरी एवं अंदरूनी वित्तीय अथवा आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिलती हैं। यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराता है। विश्व बैंक द्वारा जारी की गई एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में अनिवासी भारतीयों ने रिकार्ड 12,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि का प्रेषण भारत में किया है। अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में भेजी गई यह राशि पूरे विश्व में किसी भी देश को भेजी गई राशि में सर्वाधिक है। यह आर्थिक क्षेत्र में भारत की आंतरिक मजबूती को दर्शाता है। विदेशी निवेशकों के साथ ही अनिवासी भारतीयों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर एवं खाड़ी के देशों में अनिवासी भारतीयों की भारी संख्या निवास करती है और केवल इन 4 देशों से ही 54 प्रतिशत प्रेषण भारत को प्राप्त हुआ है। वर्ष 2022 में अनिवासी भारतीयों द्वारा 11,110 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि भारत में प्रेषित की गई थी। भारत आज विश्वभर के निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र के रूप...
भारत के आर्थिक विकास में लगातार गति आने से भारत में विदेशी निवेश की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। इससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। 8 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 60,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर था, जो 15 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 61,600 करोड़ अमेरकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया एवं 22 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। इस प्रकार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। हालांकि, अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 64,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया था, अब शीघ्र ही इस उच्चत्तम स्तर को पार कर जाने की भरपूर सम्भावना व्यक्त की जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान, भारतीय रुपए पर अत्यधिक दबाव आ गया था, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए को अवमूल्यन से बचाने एवं भारत रुपए के मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी डॉलर को भरपूर मात्रा में बाजार में बेचा था इससे भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया था। विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक को देश के आर्थिक विकास में गिरावट के चलते पैदा हुए किसी भी बाहरी एवं अंदरूनी वित्तीय अथवा आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिलती हैं। यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराता है। विश्व बैंक द्वारा जारी की गई एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में अनिवासी भारतीयों ने रिकार्ड 12,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि का प्रेषण भारत में किया है। अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में भेजी गई यह राशि पूरे विश्व में किसी भी देश को भेजी गई राशि में सर्वाधिक है। यह आर्थिक क्षेत्र में भारत की आंतरिक मजबूती को दर्शाता है। विदेशी निवेशकों के साथ ही अनिवासी भारतीयों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर एवं खाड़ी के देशों में अनिवासी भारतीयों की भारी संख्या निवास करती है और केवल इन 4 देशों से ही 54 प्रतिशत प्रेषण भारत को प्राप्त हुआ है। वर्ष 2022 में अनिवासी भारतीयों द्वारा 11,110 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि भारत में प्रेषित की गई थी। भारत आज विश्वभर के निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र के रूप विकसित हो गया है। विशेष रूप से केंद्र सरकार एवं कुछ राज्यों द्वारा की जा रही पहल विदेशी पूंजी को भारत में आकर्षित करती नजर आ रही है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत आज इमर्जिंग अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्वीट स्पॉट के रूप में दिखाई दे रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और फार्मा जैसे 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी उत्पादन प्रोत्साहन योजना ने विदेशी निवेशकों की भारत में रुचि बढ़ा दी है। साथ ही, पिछले कुछ वर्षों में श्रम, कराधान और व्यापार परमिट जैसे क्षेत्रों में नियामक सुधारों से व्यापार करने में आसानी बढ़ी है। अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांचा और कुशल श्रम की उपलब्धता देश को निवेश के अन्य देशों के विकल्प के मामले में एक तरह की बढ़त देते हैं, जो
गाजीपुर।भीषण शीतलहर को देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग के आदेश...
प्रदेश में 18 साल से कम आयु के कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थल में दो-चार पहिया वाहन नहीं चलाएगा। शासन की ओर से इसे लेकर जारी निर्देश के बाद परिवहन विभाग के सहयोग से माध्यमिक विद्यालयों में सख्ती की जाएगी। इसके लिए अभियान चलाकर युवाओं को जागरूक किया जाएगा। साथ ही छात्रों को सड़क सुरक्षा के प्रति विभिन्न माध्यमों से जानकारी भी दी जाएगी। इसके तहत हर विद्यालय में एक रोड सेफ्टी क्लब का गठन किया जाएगा। सभी कक्षाओं में एक-एक विद्यार्थी को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाया जाएगा। विद्यालय में एक क्लास सड़क सुरक्षा की जानकारी पर भी लगेगी। हर विद्यालय में एक शिक्षक को नोडल बनाकर परिवहन विभाग के सहयोग से ऑनलाइव व ऑफलाइन प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। वहीं 18 साल से कम आयु के बच्चे कोई भी मोटर वाहन न चलाएं, इसके लिए जागरूकता के साथ सख्ती भी की जाएगी। हाल में परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह की ओर से इसे लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कम उम्र में वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही माध्यमिक शिक्षा निदेशक से इसके लिए विद्यालयों में अभियान चलाने को कहा गया है। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी डीआईओएस को इसके लिए निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों को भी रोड सेफ्टी नोडल शिक्षक नामित किया जाए। प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा की जानकारी दें और उन्हें इसकी शपथ भी दिलाई जाए। विद्यालयों में सड़क सुरक्षा के नियमों से संबंधित वॉल पेंटिंग कराई जाए। विद्यार्थियों के वाट्सअप ग्रुप बनाकर इससे संबंधित जानकारी व सुझाव साझा किए जाएं। निदेशक ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भी इसके लिए प्रयोग किया जाए। छात्रों को बताया जाए कि बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया है कि विद्यालयों में रोड सेफ्टी क्ल्ब के गठन के लिए प्रति विद्यालय पांच हजार कुल 44.95 लाख रुपये के बजट की और विद्यालय की दीवारों पर यातायात नियमों व स्लोगन लिखवाने के लिए भी प्रति विद्यालय 500 रुपये के बजट की व्रूवस्था के लिए परिवहन आयुक्त को पत्र भेजा गया है। निदेशक ने कहा है कि परिवहन विभाग के अधिकारियों से समन्वयक कर इस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
(शिक्षा का भविष्य समावेशिता, अनुकूलनशीलता और दूरदर्शी दृष्टिकोण में निहित है)  2024 शुरू होते...