धार्मिकपहल टुडेप्रादेशिक

बोली के आधार पर ही बुन्देलखण्ड प्रान्त मंजूर होगा-हरीश कपूर ‘टीटू

ललितपुर । बुन्देलखण्ड विकास सेना की एक आवश्यक बैठक स्थानीय  कम्पनी बाग में बुन्देलखण्ड विकास सेना प्रमुख हरीश कपूर टीटू की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई । बु. वि. सेना प्रमुख हरीश कपूर टीटू ने कहा कि बु. वि. सेना पिछले 25 वर्षों से पृथक बुन्देलखण्ड राज्य के लिए गांधीवादी तरीके अपना आन्दोलन चलाने वाला गैर राजनैतिक संगठन है । उन्होंने कहा है कि उ. प्र. को चार प्रान्तों में बांटने की सुगबुगाहट के बीच  उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दो राज्यों की सीमा से जुड़ा हुआ देश का प्रमुख भूभाग बुन्देलखण्ड वर्षों से केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों की उपेक्षा का शिकार है । बेरोजगारी , अशिक्षा , चिकित्सा , पेयजल सड़क ,बिजली , उद्योगशून्यता जैसी समस्यों से जूझ रहे बुन्देलखण्ड को प्राकृतिक विभीषिकाओं ने तोड़कर रख दिया है।
     उन्होंने कहा कि राष्ट्र को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने व अँग्रेज शासकों को लोहे के चने चबाने को मजबूर करने वाली महारानी लक्ष्मीबाई की कर्मस्थली , रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास , राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त , हाकी के जादूगर दद्दा मेजर ध्यानचंद , महान उपन्यास सम्राट बाबू वृन्दावनलाल वर्मा की जन्मस्थली व कर्मस्थली बुन्देलखण्ड की पावन धरती अपनी उपेक्षा , बदहाली और दुर्दशा पर खून के आँसू बहाने को मजबूर है । उद्योगशून्यता , उच्च , व्यवसायिक , एवं तकनीकी शिक्षा , सड़क बिजली पानी ,स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताएं , बेरोजगारों की लंबी फौज , कभी सूखा तो कभी बाढ़ जैसी विभीषिकाएं , सामंतशाही ,दबंगई , सूदखोरी , भ्रष्टाचार व अत्याचार के शूलों के दंश की पीड़ा सहने को हम बुन्देलखण्डवासी मजबूर हैं ।
        बु. वि. सेना प्रमुख हरीश कपूर टीटू ने कहा कि महाराजा छत्रसाल का राज्य जहाँ जहां तक फैला था वहीं असली बुन्देलखण्ड है । उन्होंने कहा कि राज्य पुनर्गठन आयोग का मूल मानक है कि राज्यों का बंटबारा स्थानीय बोलियों के आधार पर किया जाना चाहिए । अत: बुन्देलखण्ड से अलहदा कोई दूसरा क्षेत्र जोड़ा जाता है तो यह बुन्देलखण्डवासियों के साथ घोर नाइंसाफी होगी ।
      उन्होंने कहा कि महाराज छत्रसाल ने बुन्देलखण्ड की स्वाभाविक सीमा जो प्राकृतिक रूप नदियों ने अनादिकाल से बनाई है वही वास्तविक बुन्देलखण्ड है -इत चंबल उत नर्मदा ,  इत जमुना उत टोंस
  छत्रसाल सें लरन की, काऊ न राखि हौंस
उन्होंने कहा कि इसका आशय यह है कि बुन्देलखण्ड राज्य की सीमा में झांसी , ललितपुर, जालौन , हमीरपुर , महोबा , बांदा , भिण्ड , मुरैना दतिया ,ग्वालियर , गुना शिवपुरी ,टीकमगढ़ , छतरपुर , पन्ना , सागर , दमोह , विदिशा , नरसिंहपुर , आदि जिले शामिल हैं  वक्ताओं ने कहा कि  बुन्देलखण्ड के महत्व को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू ने विन्ध्य प्रदेश बनाया था अत: तभी से इसके विस्तार की चर्चा होती चली आ रही है । अब और इन्तजार किसी भी तरह से तार्किक नहीं है क्योंकि देश की ठसाठस आबादी के दो पाटों के बीच में खाता-पीता वर्ग तो अपना काम जैसे-तैसे चला लेता है किन्तु कोटि कोटि किसान और मजदूर तथा अन्य असंगठित कामगार भगवान भरोसे चल रहे हैं । अत: विकास की दौड़ में हांफता हुआ बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण के ऑक्सीजन सपोर्ट की अबिलम्ब दरकार की आस लगाये हुए है ।
 बैठक में  बु. वि. सेना के वरिष्ठ सदस्य  , राजमल बरया , कदीर खान ,  सिद्धार्थ शर्मा ,  हरविन्दरसिंह सलूजा , सतनामसिंह , राजकुमार कुशवाहा , अमरसिंह बुन्देला ,विनोद साहू , मुन्ना महाराज त्यागी , भैय्यन कुशवाहा  , बृजेश पारासर , डा. आशीष अग्रवाल , मुकेशकुमार , तुलसीदास , भजनलाल , रामप्रकाश , मनोहर , मनोज सैनी , प्रमोद धानुक , अभय खटीक , संदीप अहिरवार , संजू राजा , केशव नायक , अमित कुमार , गौरव विश्वकर्मा  , नंदराम कुशवाहा , कामता शर्मा , आदि उपस्थित रहे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button