ललितपुर- हैरो, लंदन में आयोजित वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव के मांगलिक अनुष्ठान को प्रागैतिहासिक तीर्थक्षेत्र नवागढ़ के निर्देशक एवं अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद् के महामंत्री ब्र. जयकुमार निशांत भैया जी ने सम्पन्न कराते हुए समस्त युनाइटेड किंगडम के श्रावकों का मनमोहा।
नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी के प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय ने बताया कि विगत 17 अप्रैल को लंदन में अनुष्ठान के लिए भारत से ब्र. जय निशान्त भैया
गए थे और 30 अप्रैल को वापस भारत आ रहे हैं।
उनके निर्देशन में मूलनायक शांतिनाश के साथ श्री संभवनाथ, श्री सुमतिनाथ, श्रीविमलनाथ, श्री अरनाथ भगवान वेदी में विराजित किए गए। इन बिम्बों की प्रतिष्ठा संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में कुण्डलपुर पंचकल्याणक में सम्पन्न हुई थी। राजेश की भावना थी यह महानुष्ठान ब्र. जयनिशांत भैया जी के सानिध्य में हो। भैया जी की लंदन आने की समस्त प्रक्रिया आपने तत्परता से सम्पन्न कराई।
नवागढ़ तीर्थक्षेत्र के प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय ने बताया कि समस्त क्रिया विधि में सभी परिवारों ने उत्साह पूर्वक, संयम साधना के साथ सहभागिता की, सभी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम नीरज राजू जैन कोटा के निर्देशन में सम्पन्न किए। निशांत भैया की प्रेरणा से सभी परिवारों ने पूजा, अभिषेक, स्वाध्याय, रात्रिभोजन त्याग आदि नियम लेकर श्रीजी स्थापना, जिनवाणी स्थापना, अष्टमंगल, अष्टप्रातिहार्य स्थापना का गौरव सहर्ष प्राप्त किया।भैयाजी की आगमोक्त क्रियाविधि पूजा पद्धति एवं शास्त्र सभा में यू. के. के सभी जिनालयों के पदाधिकारी एवं श्रावक उपस्थित हुए। सभी ने श्रीजी की शोभायात्रा में उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त किया श्री शांतिनाथ जिनालय स्लाओ, श्री महावीर जिनालय हैरो, श्री वासुपूज्य जिनालय कोवेंट्री, श्री अजितनाथ जिनालय मिल्टन कीन्स, श्री पार्श्वनाथ जिनालय वर्मिंघम तथा श्री कैलाशगिरि जिनालय हाँसको तथा श्री महावीर जिनालय (श्वेतांबर) पोटर्सबार के माध्यम से प्रभावना की विशेषता यह रही यहाँ 3-4 डिग्री तापमान होने पर सभी बच्चों ने धोती -दुपट्टा पहिनकर प्रतिदिन अभिषेक, पूजा /विधान एवं वेदीशुद्धि एवं संस्कार करते हुए पूजा का नियम लिया है। प्रतिदिन 200- 300 श्रावकों की उपस्थिति रही। शुद्ध भोजन की व्यवस्था भी रखी गई। इंद्र-इन्द्राणी एवं सभी श्रावक- श्राविकाओं को यह महसूस ही नहीं हुआ कि आयोजन लंदन में हो रहा है। निशान्त भैया ने सभी को भारत के मंदिरों में होने का अहसास कराया ।
आपके प्रवचन के माध्यम से कई लोगों ने विभिन्न नियम अपनी क्षमता एवं सुविधानुसार लिए। भैयाजीने हैरो के शांतिनाथ जिनालय में शास्त्र भण्डार स्थापित करने की योजना रखी जिसमें सभी ने सहयोग देने का संकल्प किया। यहाँ संचालित बच्चों की पाठशाला में अंग्रेजी के साथ हिन्दी एवं संस्कृत का अभ्यास कराया जाता है जिससे सभी प्रभुभक्ति, आरती स्तुति करके अपना कल्याण पथ प्रशस्त कर रहे हैं।
सभी जिनालयों के पदाधिकारियों ने जयनिशांत भैयाजीको अपने जिनालय में दर्शन एवं प्रवचन हेतु आमंत्रित किया गौरवशाली रही लंदन की यात्रा :
लंदन प्रवास के दौरान ब्र. जय निशान्त जी ने अनेक स्थानों का अवलोकन भी किया। लंदन से उन्होंने बताया कि मैं यहां के विशिष्ट स्थलों का दिग्दर्शन किया। यहां की प्राचीन संस्कृति के संरक्षण हेतु प्रशासन का प्रयास सराहनीय है। यहां का आर्किटेक्चर अद्भुत एवं विलक्षण है ,सभी इमारतें प्राचीनता की धरोहर हैं, उनके साथ आधुनिक संस्कृति का समावेश भी विशिष्ट एवं दर्शनीय है । ब्रिटिश म्यूजियम में भगवान ऋषभदेव एवं महावीर स्वामी की युगल प्रतिमा अत्यंत विलक्षण एवं दर्शनीय हैं यह जैन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है ।इसके साथ बाहुबली भगवान की प्रतिमा, चौबीसी, अरिहंत प्रतिमा, आदिनाथ प्रतिमा, मां सरस्वती की विशेष प्रतिमाएं यहां संगृहीत हैं, जिनमें धातु की दो भुजा वाली, मार्बल की दो एवं चारभुजा वाली सरस्वती प्रतिमाएं अत्यंत आकर्षक हैं। कंकाली टीला मथुरा की प्रतिमा एवं शीर्ष के साथ यहां प्राचीन काल शिल्पों को प्रदर्शित किया गया है ।जैन संस्कृति के साथ भारतीय संस्कृति के विशिष्ट कलाशिल्प एवं मूर्तियां गौरवशाली भारत के साक्ष्य हैं