September 8, 2024

बभनी, सोनभद्र। भारतीय जनता पार्टी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे जन मुद्दों पर न्याय नहीं किया है। उसके शासनकाल में ना तो आदिवासी लड़कियों के डिग्री कॉलेज समेत शिक्षा का सवाल हल हुआ, ना पलायन पर रोक लगी और ना ही अस्पतालों में इलाज की बेहतर व्यवस्था हो सकी। इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा का संकल्प मोदी की गारंटी के नाम से जो घोषणा पत्र जारी किया गया है वह भी जन मुद्दों पर मौन है। दरअसल कॉर्पोरेट की सेवा में लगी हुई मोदी सरकार की जनता को देने के लिए झोली खाली है। इसलिए चुनाव में भाजपा को शिकस्त देना जरूरी है। यह बातें बभनी ब्लाक के विभिन्न गांव में जनसंपर्क अभियान में युवा मंच की टीम ने लोगों से कहीं। राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र के बभनी ब्लाक में विगत 3 दिनों से युवा मंच टीम की छात्राओं ने घघरा, चौना, घघरी, बरवे, रंदह, आसनडीह, कोंगा, धनखोर आदि विभिन्न गांवों में जनसंपर्क किया। एजेण्डा लोकसभा चुनाव के तहत संचालित इस अभियान को लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है। जन सम्पर्क में युवा मंच नेताओं ने कहा कि, इस क्षेत्र में शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं। बभनी ब्लाक मुख्यालय में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन इसमें एक भी विशेषज्ञ डाक्टर की नियुक्ति नहीं है और जांच व दवाएं जैसी सुविधाएं नहीं हैं। यहां मलेरिया टाईफाइड जैसी बीमारी का भी इलाज नहीं होता है और उन्हें रेफर कर दिया जाता है। यहां लोगों की जिंदगी स्थानीय अप्रशिक्षित डाक्टरों के भरोसे है। इस क्षेत्र से 30-40 किमी दूर स्थित म्योरपुर व दुद्धी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी डाक्टरों की कमी है और मूलभूत सुविधाएं बेहद सीमित हैं। ऐसे में यहां के लोगों को इलाज के लिए करीब 150 किमी दूर जिला मुख्यालय स्थित अस्पताल में जाना पड़ता है। महिलाओं के सुरक्षित प्रसव का जोरशोर से सरकारी प्रचार होता है। लेकिन यहां सुरक्षित प्रसव सिर्फ कागजों तक सीमित है। इन महिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तमाम महिलाओं की सुरक्षित प्रसव के अभाव में मौतों की भी खबरें आती हैं। पूरे सोनभद्र में सिर्फ जिला मुख्यालय में ही स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर नियुक्त है। किसी भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इनकी नियुक्ति नहीं है। जन सम्पर्क में दिखा कि, बेहतर शिक्षा के मुद्दे को लेकर भी लोगों में दिलचस्पी है। पूर्ववर्ती सरकार में परसा टोला में राजकीय महाविद्यालय निर्मित कराया गया, लेकिन अभी भी यहां अध्ययन शुरू नहीं हो सका है। आदिवासी दलित समेत अन्य पृष्ठभूमि की लड़कियां के लिए चाहते हुए भी उच्च शिक्षा हासिल करना मुमकिन नहीं है और बहुतायत छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हैं। बेसिक स्कूलों में भी शिक्षकों व मूलभूत सुविधाओं की कमी है और बच्चों को शिक्षा नहीं मिलती। इन सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए किसी तरह का सरकारी प्रयास नहीं दिखता। बभनी ब्लाक मुख्यालय में भी हाई स्कूल व इंटरमीडिएट तक शिक्षा के लिए सिर्फ मंहगे निजी स्कूल हैं। बभनी ब्लाक मुख्यालय में राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज खोलने, परसा टोला स्थित राजकीय महाविद्यालय को तत्काल संचालित करने और तहसील में महिला महाविद्यालय खोले जाने का मुद्दा उठाया गया। नेताओं ने कहा कि, क्षेत्र में खेती-बाड़ी बेहद पिछड़ी हुई है। सिंचाई सुविधा का अभाव है। रोजगार के अन्य साधन भी नहीं हैं। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों में इतना बजट आवंटन नहीं है कि किसी तरह का वह कारोबार कर सकें। मनरेगा तक ठप है। ऐसी स्थिति में गांवों में युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है यहां तक कि लड़कियां भी बैंगलोर, चेन्नई जैसे शहरों में रोजी-रोटी के लिए जा रही हैं। इस सवाल को उठाया गया कि यहां युवाओं व महिलाओं को कारोबार के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं बशर्ते सरकार इसके लिए इच्छुक हो। युवा मंच का मत है कि सभी को गरिमापूर्ण आजीविका सुनिश्चित किया जाए और हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। लोगों ने यह भी बताया कि यहां दो-दो बार मुख्यमंत्री ने आकर सभी आदिवासियों व वनाश्रितों को वनाधिकार की जमीनों के पट्टे देने की घोषणा की लेकिन यह भी महज़ खानापूर्ति भर साबित हुआ। गर्मी के मौसम में पेयजल की भी समस्या विकराल है। इन बेहद जरूरी जनमुद्दों को लेकर भाजपा मौन है और उसे इस आदिवासी बहुल पिछड़े क्षेत्र का विकास उसके ऐजेंडा में ही नहीं है। जनसंपर्क में युवा मंच जिलाध्यक्ष रूबी सिंह गोंड, संयोजक सविता गोंड, राजकुमारी, गुंजा गोंड, शारदा खरवार, पूनम खरवार के साथ युवा मंच प्रदेश संयोजक राजेश सचान व आइपीएफ के जिला सचिव इंद्रदेव खरवार शामिल रहें।

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