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पावागिरि वार्षिक मेला के तीसरे दिन हुआ अखिल भारतीय विराट कवि सम्मलेन।

ललितपुर- बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि जी के वार्षिक मेला में तीसरे दिन अखिल भारतीय विराट कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनय जैन राजा अहमदाबाद एवं अध्यक्षता पं. विनोद कुमार शास्त्री ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ मूलनायक भगवान और आचार्य महाराज के चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन से किया गया। सरस्वती वंदना कवियित्री रजनी श्रीवास्तव ने की। कवि अनिल मिश्र तेजस ने बड़ा तालाब कितना हो समंदर हो नहीं सकता से आचार्य वंदना की। जय-जय-जय-जय महावीर जी, दीन दुःखियों की सदा हरते जो पीर जी के साथ झूमते हुए त्रिशला नंदन वीर की वंदना की। कवि धर्मेंद्र सोलंकी की किया प्रवर्तन ऋषभदेव ने धर्म बताया है, त्याग तपस्या सेवा सच्चा कर्म बताया है, दया क्षमा को ही जीवन का मर्म बताया है स्तुति को खूब सराहा गया, उन्होंने हास्य और व्यंग्य से खूब तालियां बटोरी। कवि ठाकुर राजेश कुमार की कविता पावागिरि में आकर के भावना ऐसी जगती है, यहाँ की तो सूखी लकड़ी भी हमको चन्दन लगती है और पहले चमचे चाँदी के थे और अब चमचों की चाँदी है को खूब वाह-वाह मिली। कवि महेश मास्साब ने हास्य और व्यंग्य से सभी को लोट-पोट कर दिया वहीं कवि लक्ष्मण नेपाली ने श्रोताओं को खूब हँसाया और तालियां बटोरी उनकी रचना जेब कतरे भी अब नेता हो गये और णमोकार मन्त्र से नमो-नमो कहा और देश का प्रधान बन गया खूब सराही गयी। कवियित्री रजनी श्रीवास्तव की रचना मैं दिल्ली की लड़की और तुम बुंदेली राजा को प्रशंसा मिली। इस मौक़े पर अरुण मोदी, अजय अज्जू, रितेश चौधरी, हितेंद्र कुमार प्रितेश पवैया, कपिल मोदी, विकास पवा, विकास भंडारी, आकाश चौधरी, आदेश जैन, रोहित बबीना, अभिषेक कुमार, सौरभ मोदी, अरविन्द कुमार, प्रिंस जैन, अभिनव, पुनीत सहित सैकड़ों श्रोता मौजूद रहे। संचालन अध्यक्ष ज्ञानचंद्र जैन एवं कवि वीरेंद्र विद्रोही ने किया। अंत में आभार व्यक्त जयकुमार कंधारी एवं विशाल पवा ने किया।

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