उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सितंबर 2023 में एक जनसभा को संबोधित करते हुये राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने राज्य की क़ानून व्यवस्था की तारीफ़ करते हुए कहा था -‘कि क़ानून संरक्षण के लिए है. लेकिन क़ानून को बंधक बनाकर व्यवस्था में सेंध लगाने का प्रयास करने की इजाज़त किसी को नहीं है। क़ानून सुरक्षा के लिए है, लेकिन यदि किसी ने बहन-बेटी के साथ छेड़खानी की तो अगले चौराहे पर उस शोहदे का इंतज़ार, यमराज कर रहे होंगे। उसे यमराज के यहां भेजने से कोई रोक नहीं पाएगा। हमें सुरक्षा का बेहतरीन वातावरण देना होगा. क़ानून संरक्षण के लिए है और क़ानून को बंधक बनाकर कोई किसी की सुरक्षा पर सेंध लगाने का प्रयास नहीं करे’। परन्तु इसी योगीराज में ही ऐसी कई घटनायें उजागर हो चुकी हैं जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उपरोक्त दावों पर सवाल खड़ा करती हैं। इनमें सबसे संसनीख़ेज़ घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में स्थित वाराणसी के आईआईटी बीएचयू कैंपस की है जिसमें आरोपी तीनों युवक भाजपा आईटी सेल के पदाधिकारी हैं।
बताया जा रहा है कि दो माह पूर्व यानी एक नवंबर की रात मोटर बाइक पर सवार तीन गुण्डे आईआईटी बीएचयू कैंपस में आये। वहां उन्हें इंजीनियरिंग की बी टेक की एक छात्रा टहलती हुई दिखाई दी। यह गुण्डे उस छात्रा को बलपूर्वक पकड़कर किसी सन्नाटी जगह पर ले गये। तीनों ने मिलकर जबरन उसे निःवस्त्र किया। उसकी नग्नावस्था की वीडिओ बनाई। फिर बारी बारी तीनों ने उसके साथ बलात्कार किया और बलात्कार की भी वीडियो बनाते रहे। कुणाल पांडेय,आनंद व सक्षम पटेल नामक यह तीनों गुंडे बलात्कारी भारतीय जनता पार्टी की आई टी सेल के पदाधिकारी हैं। बताया जा रहा है कि यह तीनों ही नियमित रूप से आर एस एस की शाखा में भी जाया करते थे। अर्थात ‘संघ से संस्कारित’ थे। ख़बरों के अनुसार गैंगरेप पीड़िता ने पुलिस को सूचित करने के बाद घटना के 5 दिन के भीतर ही सीसीटीवी के माध्यम से बनारस पुलिस के समक्ष इन तीनों अपराधियों की शिनाख़्त बिल्कुल स्पष्ट रूप से कर ली थी। परन्तु उस समय देश के पांच राज्यों में चुनाव का वातावरण था। तो क्या इसी कारण इतनी गंभीर घटना को साज़िश के तहत दबा कर रखा गया ? इतना ही नहीं बल्कि इतने गंभीर सामूहिक बलात्कार के अपराध में शिनाख़्त हो जाने के बावजूद और इनके नाम व चेहरे सब कुछ पता लगने के बावजूद इन्हीं बलात्कारी गुण्डों की मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार की ड्यूटी लगाई गयी। और यह मध्य प्रदेश में भाजपा का चुनाव प्रचार करते रहे। कहा जा रहा है कि इस मामले को सरकार ने जानबूझकर एक साज़िश के तहत दबा कर रखा। क़रीब दो महीने तक इस मामले में पुलिस ने न कोई बयान दिया ना ही किसी का नाम उजागर हुआ न किसी की गिरफ़्तारी की गयी। बजाये इसके पूरी स्वतंत्रता से चुनाव में इन लोगों को भाजपा का प्रचार भी करने दिया गया। भाजपा के आईटी सेल के पदाधिकारी होने के नाते मध्य प्रदेश चुनाव प्रचार में यह भाजपा प्रत्याशियों के लिये अहम भूमिका अदा कर रहे थे।
ख़बरों के अनुसार वाराणसी पुलिस ने इन गुंडों को पिछले दिनों नववर्ष के अवसर पर देर रात आवारागर्दी करने के दौरान गिरफ़्तार किया तब इन्होंने अपने इस जुर्म को भी स्वीकार किया। इसके बाद इनसे की गयी पूछताछ के बाद पुलिस ने इनके विषय में जो दावा किया वह भी हैरान करने वाला था। पुलिस ने पूछताछ के बाद यह दावा किया कि तीनों अपराधियों ने यह स्वीकार किया है कि वे रात में शहर में युवतियों से छेड़खानी करने के आदी थे। गोया इसी तरह पहले भी यह कई लड़कियों की इस्मत व आबरू से खिलवाड़ कर चुके थे। परन्तु आईआईटी की वारदात के बाद लड़की की शिकायत के कारण दुष्कर्म की उनकी यह करतूत पहली बार सार्वजनिक रूप से उजागर हुई । पुलिस के अनुसार वारदात के रोज़ भी यह तीनों अपनी बाइक पर सवार होकर कई अलग अलग जगहों पर ‘शिकार ‘ बनाने की ग़रज़ से किसी भी युवती की तलाश करते घूम रहे थे। इसी सिलसिले में वे तीनों पहले चेतगंज में सिगरा की ओर गए थे। सिगरा में तीनों ने लगभग 10 मिनट तक वहां शहीद उद्यान का कोना-कोना देखा। जब वहां कोई युवती नहीं मिली तो तीनों चेतगंज पहुंचे। चेतगंज में भी जब इन्हें कोई ‘शिकार ‘ नज़र नहीं आया तब यह तीनों ‘संस्कारी ‘ बेनिया होते हुए गिरजाघर की ओर गये । बेनिया पार्क के अंदर भी तीनों गए परन्तु वहाँ भी इन्हें कोई युवती नज़र नहीं आयी । फिर अंत में यह तीनों गिरजाघर,अस्सी और लंका होते हुए बीएचयू में प्रवेश कर गये जहां बी टेक की यह बदनसीब छात्रा इनहें दिखाई दे गयी। जिसपर यह भेड़िये की तरह टूट पड़े। ख़बर है कि सामूहिक दुष्कर्म के मामले में गिरफ़्तार इन तीनों भाजपा नेताओं के विरुद्ध वाराणसी के लंका थाने की पुलिस एक सप्ताह में अदालत में चार्जशीट दाख़िल करने की तैयारी में है। तीनों अपराधियों के पास से बरामद मोबाइल की जांच और डेटा रिकवरी के लिए फ़ोरेंसिक लैब भेजा गया है। पुलिस का दावा है कि तीनों के ख़िलाफ़ सर्विलांस और सीसी फ़ुटेज सहित अन्य माध्यमों से प्राप्त इतने पर्याप्त वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि उन्हें अदालत से कठोर सज़ा ज़रूर मिलेगी। प्राप्त समाचारों के अनुसार पुलिस तीनों बलात्कारियों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई करेगी जिसकी तैयारी शुरू की जा चुकी है।
यह पहला मौक़ा नहीं है जब तथाकथित ‘संस्कारित ‘ लोग इस तरह के घिनौने कृत्य में शामिल पाए गये हों। सितम्बर 2022 में पौड़ी ज़िले के अंकिता हत्याकांड को याद कीजिये। यहाँ स्थित यमकेश्वर क्षेत्र के एक रिसॉर्ट से 19 साल की लड़की अंकिता भंडारी लापता हो गई थी जिसकी हत्या के बाद उसका शव चीला नहर में फेंक दिया गया था। पुलिस ने इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य को गिरफ़्तार किया था। पुलकित हरिद्वार के वरिष्ठ भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है। और भी देश के अनेक काण्ड जैसे जम्मू कश्मीर के कठुआ में बकरवाल समुदाय की आठ साल की बच्ची आसिफ़ा से बर्बर गैंगरेप और इसके बाद इसमें शामिल बलात्कारियों ‘ को बचने के लिये इन्हीं ‘बेटी बचाओ के झण्डा बरदारों ‘ द्वारा निकाली जाने वाली बेशर्मी पूर्ण तिरंगा, गुजरात का बिल्क़ीस बानो सामूहिक बलात्कार व हत्या काण्ड और इसमें सज़ा पाये हत्यारों व बलात्कारियों का समय पूर्व रिहा होना और रिहा होने पर इन्हीं बलात्कारियों का स्वागत करना जैसे अनेक उदाहरण हैं जो इन ‘संस्कारियों ‘ की सच्चाई को बयान करते हैं। ऐसी घटनायें इस निष्कर्ष पर पहुँचने के लिये भी काफ़ी है कि सत्ताधीशों के बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ के दावों और इसकी हक़ीक़त में कितना अंतर है।