नई दिल्ली: लोकसभा में पास हो चुके जन विश्वास बिल को राज्यसभा में भी मंजूरी मिल चुकी है। इस विधेयक ने कई अपराधों में जेल की सजा को खत्म कर दिया है। यह बिल 19 मंत्रालयों से जुड़े 42 कानूनों के 183 प्रावधानों को जेल की सजा से मुक्त करेगा और इज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्रमोट करेगा।
आसान शब्दों में कहे तो, यदि कोई व्यक्ति अनजाने में कोई कृत्य करता है और उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हो जाते हैं और लोगों को जेल की सजा तक होती थी, उन्हें अब अपराध नहीं माना जायेगा और उनमें मिलने वाली सजा कम या खत्म कर दी जाएगी। पहले जिन गड़बड़ी को अपराध की श्रेणी रखा गया था वो अब जुर्माने तक सीमित हो जाएंगे।
बिल में साफतौर पर कहा गया कि देश के लोग सरकार और अलग-अलग संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतंत्र का आधार है। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि जन विश्वास बिल क्या है और इसके तहत किन कानूनों में अपराध के प्रावधान को हटाया गया या कम किया गया है। साथ ही, बताएंगे कि इसके पीछे क्या कारण है।
जन विश्वास बिल क्या है?
कई पुराने प्रावधानों में संशोधन करके उसे एक बिल के रूप में पेश किया गया है, इसे जन विश्वास बिल कहा गया है। जन विश्वास बिल का लक्ष्य है कि 19 मंत्रालयों के 42 कानूनों के 180 अपराधों को गैर-अपराधिक घोषित कर देना यानी 180 अपराधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा। इनकी सजा में बदलाव किया जाएगा, जिसमें कई अपराधों को जुर्माने तक सीमित कर दिया जाएगा, तो कई मामलों में सजा खत्म कर दी जाएगी।
किन क्षेत्रों में दिखेगा बदलाव?
इस बिल के पास हो जाने से अब तक क्षेत्रों में बदलाव देखने को मिलेगा, जिसमें पर्यावरण, कृषि, मीडिया, उद्योग, व्यापार, प्रकाशन और कई अन्य क्षेत्र के हैं। जन विश्वास विधेयक से Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी।
क्या-क्या बदलाव होगा?
बिल के कानून में तब्दील होने पर कई बड़े बदलाव होंगे। कई अपराधों में जेल के प्रावधान को समाप्त किया जाएगा, जैसे- इंडियन पोस्ट ऑफिस एक्ट, 1898 के तहत जो अपराध आते हैं और उन पर जो जुर्माना लगाया जाता है उसे हटाया जाएगा। शिकायत करने की व्यवस्था में भी बदलाव किया जाएगा।
इसके अलावा, जुर्माना तय करने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। यदि कानून का उल्लंघन होता है, तो स्थिति जांच होगी और समन जारी होंगे। किसी भी अपराध के लिए लगने वाले जुर्माने में बदलाव होगा और राशि को हर तीन साल में एक बार बढ़ाया जाएगा।
जन विश्वास बिल क्यों लाया गया?
इस बिल का उद्देश्य है कि भारत की व्यापार प्रणाली में सहजता आ सके। दरअसल, वर्तमान में व्यापार करने के लिए कई नियमों का पालन करना होता है। इन नियमों का उल्लंघन होने पर भारी जुर्माना लगता है और यहां तक कि कई मामलों में जेल की सजा होती है।
फिलहाल, देश में 1,536 कानून हैं, जिसमें 70 हजार प्रावधान है। इनमें से अधिकतर नियम एमएसएमई सेक्टर के विकास में बाधा बनते हैं। बिल के मुताबिक, इसका मुख्य लक्ष्य, व्यवस्थाओं की उलझनों का कम करना और पुराने नियमों में वर्तमान की स्थिति के मुताबिक बदलाव करना है। बिल में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि, “सरकार देश के लोगों और विभिन्न संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला है।”
दरअसल, इस बिल का सीधा-सीधा लक्ष्य है कि लब्बोलुआब नियमों में कमी लाई जाए, ताकि लोगों का डर कम किया जा सके। कई लोग छोटे-छोटे अपराधों के कारण जेल की सजा और जुर्माने से डरते हैं, लेकिन इसमें बदलाव होते ही व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और व्यवसाय करने और जीवन यापन में आसानी होगी।
इन कानूनों में होगा बदलाव
जन विश्वास बिल के तहत 19 मंत्रालयों के 42 कानूनों के 180 अपराधों को गैर-अपराधिक घोषित कर दिया जाएगा। इसमें सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944; मोटर वाहन अधिनियम, 1988; फार्मेसी अधिनियम, 1948; सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952; खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006; कॉपीराइट अधिनियम, 1957; ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 शामिल है।
इसके अलावा, मनी लांड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002; रेलवे अधिनियम, 1989; सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000; औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940; पेटेंट अधिनियम, 1970; पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 समेत 42 अधिनियम शामिल हैं।