खटारा वैन का जानलेवा सफर
– जिंदगी के लिए हर दिन मौत से लड़ते मुसाफिर, जुगाड़ पर चल रहा धंधा
दिल्ली
दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में लोगों को मजबूरन खटारा वाहनों से जानलेवा सफर करना पड़ रहा है। बगैर इजाजत से धड़ल्ले से दौड़ रहे निजी वाहनों की हेड लाइट, इंडीकेटर से लेकर सीट तक उखड़ी दिख जाती है। जुगाड़ पर क्षमता से दो गुना ज्यादा सवारी लेकर संचालक अपना धंधा चला रहे हैं। जबकि अपनी जिंदगी चलाने के लिए मुसाफिर हर दिन मौत से लड़ते नजर आते हैं।
हैरानी की बात यह कि दो से तीन जिलों को पार करते इन वाहनों को पुलिस नजरअंदाज किए रहती है। पुलिस के साथ आपसी तालमेल से इनका वाहन सड़कों पर हवा से बात करता नजर आता है। यह ट्रैफिक व परिवहन के हर नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हैं। इसी तरह के लापरवाही का नतीजा बृहस्पतिवार लोनी गोल चक्कर के हादसे के तौर पर रहा, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई थी और नौ लोग घायल हुए थे।
दबी जुबान से दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैन को सवारी के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दिल्ली में कही भी नहीं है। लोग प्राइवेट वैन खरीद रूट पर चलाना शुरू कर देते हैं। ना तो यह वैन वैध हैं और न ही इनके द्वारा वसूल किया जा रहा किराया वैध है। चालक किराया ज्यादा वसूलने का विरोध करने पर सवारियों के साथ मारपीट भी करते हैं। आनंद विहार से लोनी बॉर्डर के लिए एक सवारी का 50-100 रुपये तक वसूल लेते हैं। जबकि बस का किराया 10-20 रुपये के बीच है।
दिल्ली में सभी जगह चल रही हैं अवैध वैन
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार प्राइवेट वैन खरीदकर कर्मिशियल गतिविधियों के लिए चलाने की अनुमति कही नहीं है। इसके वाबजूद यह पूरी दिल्ली में बड़े पैमाने पर चल रही है। दूसरी वैन से आगे निकलने व ज्यादा सवारी बैठाने की होड़ में वैन चालक आए दिन सड़क दुर्घटनाएं करते हैं।
सार्वजनिक परिवहन सेवा ठीक नहीं होने से लोग वैन में बैठते हैं
ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि जरूरत के हिसाब से सार्वजनिक परिवहन सेवा नहीं होने के कारण लोग अवैध रूप से चल रही इन वैनों में बैठते हैं। इनमें बैठना लोगों की मजबूरी है। लोगों का कहना है कि आबादी बढ़ रही और सार्वजनिक परिवहन सेवा है नहीं, उसका फायदा ये वैन चालक उठा रहे हैं।