अमेरिका से वापस लाई जाएंगी 100 बेशकीमती मूर्तियां
– जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रदर्शित करने की योजना
नई दिल्ली
देश से चोरी हुई बहुमूल्य मूर्तियों को अमेरिका से वापस लाने की कवायद तेज हो गई है। इनमें 2100 साल पुरानी मूर्तियां भी शामिल हैं। इसमें यक्षिणी, भगवान विष्णु-लक्ष्मी, कुबेर, सूर्य भगवान की प्रतिमा, भगवान गणेश की नृत्य करती समेत कई तरह की प्रतिमाएं हैं।
सांस्कृतिक धरोहर में शामिल 100 से अधिक बेशकीमती मूर्तियां देश में वापस आएंगी। यह अभी तक के इतिहास में सांस्कृतिक धरोहर वापस आने की सबसे बड़ी खेप बताई जा रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) अमेरिका की एजेंसी के साथ संपर्क में है। जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक को देखते हुए उम्मीद है कि इन्हें एक माह के अंदर देश में लाया जाएगा। विदेश से आने वाले मेहमानों को इनसे भारतीय प्राचीन संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा।
देश के अलग-अलग राज्यों से चोरी हुईं इन बेशकीमती मूर्तियों को सहेजा जाएगा। इनमें कुछ प्रतिमाएं धार्मिक भी हैं और गैर धार्मिक भी। इसमें मुख्य रूप से ईसा पूर्व में द्वितीय-पहली शताब्दी की यक्षिणी की टेराकोटा की प्रतिमा, 11वीं शताब्दी की भगवान विष्णु-लक्ष्मी व गरूड़ की मिट्टी से बनी मूर्ति, 8वीं-9वीं शताब्दी की कुबेर की मिट्टी से बनी प्रतिमां, 11-12वीं शताब्दी के सूर्य भगवान की प्रतिमां, 9वीं शताब्दी के लाल पत्थर की बनी भगवान गणेश की मूर्ति व नंदी की प्रतिमा समेत कई मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा तमिलनाडु के मंदिरों से चुराई गईं तीन मूर्तियां शामिल हैं। इनमें पूर्व चोल काल पत्थर की मूर्तियां शामिल हैं। ये मूर्ति 12 वीं- 13 वीं शताब्दी की हैं। इसमें धार्मिक मूर्तियां, कांसे और टेराकोटा की बनी प्राच्य वस्तुएं हैं। यह बहुमूल्य मूर्तियां चोरी चुपके बाहर भेजी गईं थीं।
एएसआई के दल की पहचान
एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन मूर्तियों की छानबीन की गई है। इनकी जांच के लिए एएसआई का एक दल अमेरिका भी गया था। इसमें इन मूर्तियों की पहचान कर इनके काल का भी पता लगाया गया है। उन्होंने बताया कि यह मूर्तियां उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान व तमिलनाडु समेत कई राज्यों से चुराई गईं थी। वहीं, एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह मूर्तियां आने वाले एक माह के भीतर हमारे देश में आने की उम्मीद है। इनको वापस लाने के लिए सभी जरूरी प्रक्रिया चल रही हैं। यह मूर्तियां फिलहाल वहां के अलग-अलग संग्रहालयों में रखी गई हैं।
सहेजी जाएगी धरोहर
सितंबर माह में जी-20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर इन मूर्तियों की अलग-अलग जगहों में प्रदर्शनी के रूप में दर्शाया जाएगा। इन मूर्तियों को सहेजकर धरोहर से विदेशी मेहमानों को विरासत को दिखाया जाएगा। वहीं, स्कूल-कॉलेज के छात्रों को भी इन्हें धरोहर के रूप में दिखाया जाएगा। नौ वर्ष में देश में 200 से अधिक चोरी हुई मूर्तियों को विदेशों से लाया गया है।