नई दिल्ली– केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने मुस्लिमों की पीट-पीट कर हत्या से जुड़ी घटनाओं को ‘लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए आडंबरपूर्ण व्यवहार’ कहकर उपहास उड़ाया।
वह इंडिया टीवी पर ‘आप की अदालत’ कार्यक्रम में रजत शर्मा के सवालों का जवाब दे रहे थे, जो आज रात 10 बजे फिर से प्रसारित होगा। ख़ान से उत्तर प्रदेश एआईएमआईएम के नेता शौकत अली के इस आरोप के बारे में पूछा गया था कि मुस्लिमों की पीट-पीटकर हत्या की जा रही है, मुस्लिम इलाकों में बैंक के एटीएम को ‘काली सूची’ में डाला जा रहा है और टोपी पहनने वालों तथा दाढ़ी रखने वालों को निशाना बनाया जा रहा है।
ख़ान ने जवाब दिया, ‘पहले यह तय करना होगा कि क्या कहना है, कहाँ कहना है और कितना कहना है। यदि आप सिर्फ लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए आडंबरपूर्ण व्यवहार करना चाहते हैं तो गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करते रहें। 1986 तक, भारत में लोग 1947 के विभाजन के दौरान हिंसा से उत्पन्न नफरत को लगभग भूल गए थे, लेकिन 1986 में (शाह बानो फैसले के बाद), इन लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि हमारा समुदाय और पहचान अलग है।’
‘जहाँ तक गोहत्या को लेकर लिंचिंग की बात है तो 140 करोड़ की आबादी वाले देश में सिर्फ 10-15 या 20 घटनाएँ हुई हैं। लिंचिंग की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन आप हर जगह अपराध को नहीं रोक सकते। लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई। आप यह सवाल कर सकते हैं कि आरोपियों को छूट क्यों दी गई, लेकिन कार्रवाई की गई।’
जब रजत शर्मा ने कहा, मुस्लिम शिकायत कर रहे हैं कि ‘द केरल स्टोरी’ जैसी फिल्म उन्हें निशाना बनाने के उद्देश्य से बनाई गई थी, तो ख़ान ने जवाब दिया, ‘केरल में यह एक अद्भुत माहौल है। मेरी एक बैठक में एक मुस्लिम युवक ने मुझसे पूछा कि उत्तर भारत में केरल जैसा माहौल क्यों नहीं हो सकता। आप देखिए, केरल में कोई नहीं कहता कि यह हिंदू भाषा है और यह मुस्लिम भाषा है या यह नहीं कहता कि यह मुस्लिम संस्कृति है या हिंदू संस्कृति है। कोई नहीं कहता कि यह हिंदू भोजन है या मुस्लिम भोजन है। वे एक ही पोशाक पहनते हैं, एक ही भोजन खाते हैं। माहौल इतना अच्छा है लेकिन कुछ ताकतें शांति भंग करने की कोशिश करती हैं। हाल ही में प्रतिबंधित संगठन (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं द्वारा ईश्वर की निंदा के आरोप में एक ईसाई प्रोफेसर (टी.जे. जोसेफ) का हाथ काट दिया गया। कुछ शरारती दिमाग वाले और कुछ गलत इरादे वाले लोग हैं, जो शांति भंग करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि एक आदमी के अपराध को पूरे समुदाय से जोड़ना गलत है। इसलिए, यदि आप केरल की जीवन शैली को अपनाते हैं, तो अन्य राज्यों में भी स्थिति बदल जाएगी।’
मदरसों पर आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा, ‘भारत में मदरसे खूब फल-फूल रहे हैं और उन पर कोई नियंत्रण नहीं है। देवबंद, नदवा, बरेली और अन्य स्थानों पर जितने बड़े मदरसे भारत में हैं, उतने किसी अन्य इस्लाम देश में नहीं हैं। इन बड़े मदरसों को दूसरे इस्लामिक देशों में अपनी शाखाएँ खोलने के लिए कहें। उन्हें अनुमति नहीं मिलेगी। भारत में हर किसी को अनुमति है। केवल आवश्यकता यह है कि आप कानून की सीमाओं के भीतर रहें।’