September 22, 2024

नई दिल्ली। सरकार ने राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कहा कि पायरेसी एक दीमक की तरह भारतीय फिल्म उद्योग को खा रही है और इसको रोकने के लिए लाये गये चलचित्र (संशोधन) विधेयक से उद्योग के हर सदस्य को लाभ मिलेगा और सिनेमा के माध्यम से भारत एक साफ्ट पॉवर की तरह तेजी से उभरेगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने उच्च सदन में यह बात चलचित्र (संशोधन) विधेयक 2023 को चर्चा के लिए रखते हुए कही। उन्होंने कहा कि चार दशकों में बहुत बदलाव आया है। उन्होंने कहा, ‘‘दर्शकों की संख्या भी बहुत बढ़ी है।

भारतीय फिल्मों की साख भी बहुत बढ़ी है। आज विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाला देश भारत है। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्म उद्योग ने इस साल आस्कर पुरस्कारों में भी अपनी पहचान बनायी है।

उन्होंने कहा कि लघु वृत्तचित्र में भारत की एलीफेंट विस्पर्स और फिल्म आरआरआर ने पूरी दुनिया में अपनी धूम मचायी और भारत के लिए आस्कर पुरस्कार जीते। उन्होंने नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा कि सरकार जब 40 साल बाद इतने महत्वपूर्ण संशोधन ले कर आयी है तो इनके (विपक्ष) रवैये को देखकर लगता है कि ये न तो फिल्म जगत के पक्ष में हैं और न ही भारत के साफ्ट पॉवर के रूप में उभरने के पक्ष में।

ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक किसी फिल्म निर्माता या निर्देशक के पक्ष में ना होकर स्पॉट ब्वाय, स्टंट मैन से लेकर कोरियोग्राफर तक सिनेमा उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति के हित में लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में पायरेसी के खिलाफ प्रावधान किये गये हैं।

उन्होंने कहा कि पायरेसी एक ऐसा दीमक है जो फिल्म जगत को खाये जा रही है और उनकी वर्षों की मेहनत और धन राशि को खत्म कर देती है। ठाकुर ने इस विधेयक को लाये जाने के तीन प्रमुख कारण बताये।

उन्होंने कहा कि इनमें पहला फिल्मों की अनधिकृत रिकार्डिंग के चलन पर रोक लगाना, दूसरा लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को सरल करना और तीसरा, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के जो विभिन्न निर्णय आये हैं उनके अनुरूप मूल कानून में संशोधन करना है।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘‘मैं बिल के बारे में बात करना चाहता हूं और दिल के बारे में भी बोलना चाहता हूं।’’ इसके बाद उन्होंने जैसे ही मणिपुर का नाम लिया, सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। शोरगुल में उनकी बात सुनी नहीं जा सकी।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने कहा कि वह पिछले पचास साल से फिल्म उद्योग से जुड़े हैं। उन्होंने फिल्में बनायी हैं और उन्होंने पायरेसी की समस्या का सामना किया है।

नंदा जब अपनी बात रख रहे थे, उसी दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराये जाने और प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर सदन से बहिर्गमन किया। उन्होंने कहा कि किसी भी हिंदी फिल्म को जिस दिन रिलीज किया जाता है, अगले दिन ही वह (पायरेसी के कारण) दुबई में दिखायी जाने लगती है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में पायरेसी के आरोप साबित होने पर तीन साल तक की सजा और दस लाख रूपये तक का जुर्माना प्रावधान किया गया है। नंदा ने फिल्मों के वर्गीकरण के लिए विधेयक में नयी श्रेणियां बनाये जाने के प्रावधान का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि यदि किसी फिल्म के बारे में सेंसर बोर्ड के निर्णय की समीक्षा की जाती है तो यह काम उन्हीं सदस्यों को नहीं दिया जाना चाहिए जिन्होंने इसका निर्णय किया था। उन्होंने कहा कि समीक्षा का काम बोर्ड के अन्य सदस्यों को दिया जाना चाहिए।

नंदा ने कहा कि इस विधेयक के मामले में कुछ और विचार विमर्श किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज ओटीटी मंच पर दिखायी जाने वाली फिल्मों और धारावाहिकों के संवादों में गालियां दिखायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए इन्हें रोके जाने की आवश्यकता है।

भारतीय जनता पार्टी के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के लिहाज से भारतीय फिल्म उद्योग ने काफी प्रगति की है और बड़े स्तर पर लोगों को रोजगार प्रदान किया है।

उन्होंने कहा कि आज भारतीय फिल्म उद्योग के लिए पायरेसी एक बहुत खतरा बन गया है और इससे अरबों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि फिल्मों ने हिंदी भाषा और संस्कृति के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई ने कहा कि पायरेसी भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है। उन्होंने कहा कि भारत में कई ऐसी फिल्में बनायी गयीं जिनमें सामाजिक समस्याओं को लेकर संदेश दिये गये हैं।

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