
गोरखपुर -भारतीय रेल सभी श्रेणी के यात्रियों को बेहतर एवं उन्नत यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु निरंतर प्रयत्नशील है। इसी क्रम में भारतीय रेल ने अपने सम्मानित यात्रियों को आधुनिक सुविधाओं वाली किफायती ट्रेनों की बड़ी सुविधा प्रदान की है, उनमें से एक है- अमृत भारत एक्सप्रेस। आज देश के अलग-अलग मार्गों पर 11 अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इस ट्रेन का सबसे बड़ा आकर्षण इसका डिजाइन और सुविधायें हैं। यह स्वदेशी ट्रेन आत्मनिर्भर भारत की भावना को और प्रबल करती है। इसकी पहचान यात्रियों की सुविधा, ऊर्जा की बचत एवं पर्यावरण के प्रति सजगता है। यही कारण है कि यह ट्रेन देश के बदलते स्वरूप की झलक है।
वर्तमान में भारतीय रेल के विभिन्न मार्गों पर 11 अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जिसमें दरभंगा-आनन्द विहार टर्मिनल अमृत भारत एक्सप्रेस, सहरसा-लोकमान्य तिलक टर्मिनस अमृत भारत एक्सप्रेस, राजेन्द्र नगर टर्मिनल-नई दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस, बापूधाम मोतिहारी-आनन्द विहार टर्मिनल अमृत भारत एक्सप्रेस, दरभंगा-गोमती नगर अमृत भारत एक्सप्रेस, मालदा टाउन-गोमती नगर अमृत भारत एक्सप्रेस, सीतामढ़ी-दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस, गया-दिल्ली अमृत भारत एक्सप्रेस, जोगबनी-ईरोड अमृत भारत एक्सप्रेस, सहरसा-छैहरटा (अमृतसर) अमृत भारत एक्सप्रेस तथा मालदा टाउन-सर एम. विश्वेश्वरय्या टर्मिनल (बेंगलुरु) अमृत भारत एक्सप्रेस सम्मिलित हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि वंदे भारत एवं नमो भारत के बाद एक और आधुनिक ट्रेन देश को मिली है, जिसका नाम अमृत भारत दिया गया है। वंदे भारत, नमो भारत एवं अमृत भारत ट्रेनों की त्रि-शक्ति भारतीय रेल का कायाकल्प करने जा रही है। इस संबंध मे अमृत भारत एक्सप्रेस से नरकटियागंज से यात्रा कर रहे यात्री श्री सुज्जवल तिवारी ने बताया कि “मैं इस ट्रेन से बिहार, नरकटियागंज से यात्रा कर रहा हूँ और अयोध्या तक जाऊँगा। यह अमृत भारत ट्रेन बहुत ही कंफर्टेबल है एवं बहुत ही सुविधाजनक है। इसकी टाइमिंग बहुत अच्छी है और सीटें इत्यादि बहुत ही आरामदायक हैं। शौचालय में साफ-सफाई है।”
तकनीकी दृष्टि से अत्यंत सुरक्षित है अमृत भारत एक्सप्रेस
अमृत भारत एक्सप्रेस तकनीकी दृष्टि से भी अत्यंत सुरक्षित है। कवच सिस्टम से लैस इस ट्रेन में सेमी ऑटोमैटिक कपलर, क्रैश ट्यूब एवं ईपी-असिस्टेड ब्रेक सिस्टम हैं, जिससे आपातकाल में तुरन्त ब्रेक लग सके। इसके सभी कोच पूरी तरह से सील्ड गैंगवे एवं वैक्यूम एवैक्यूएशन सिस्टम से लैस हैं। यात्रा के दौरान आराम का विशेष ध्यान रखा गया है। ट्रेन में सेमी-ऑटोमैटिक कपलर का उपयोग किया गया है, जिससे कोच जोड़ते या अलग करते समय झटका या शोर नहीं होता है। डिफॉर्मशन ट्यूब दुर्घटना के समय लगने वाले झटके कम कर देती है तथा पुश-पुल तकनीक इसकी रफ्तार को बढ़ाने में मदद करती है, जोकि इसकी एक बड़ी विशेषता है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुये कोचों में कई आधुनिक सुविधायें उपलब्ध कराई गई हैं। इसमें फोल्डेबल स्नैक्स टेबल, मोबाइल होल्डर, बॉटल होल्डर, रेडियम फ्लोर ट्रिप्स, आरामदायक सीटें एवं बेहतर बर्थ आदि हैं। इस ट्रेन के प्रत्येक प्रसाधन में इलेक्ट्रो-न्यूमेटिक फ्लशिंग प्रणाली, ऑटोमैटिक सोप डिस्पेंसर एवं फायर सप्रेशन सिस्टम जैसी सुविधायें हैं। दिव्यांगजनों के लिये भी विशेष प्रसाधन उपलब्ध कराये गये हैं। साथ ही, प्रत्येक यात्री के लिये फास्ट चार्जिंग पोर्ट तथा पैंट्रीकार जैसी सुविधायें, यात्रा को और सुखद बनाती हैं। अमृत भारत एक्सप्रेस से करीब 1000 किमी. तक की यात्रा लगभग रू. 450 में की जा सकती है, जो इसे आम जनता के लिये और सुलभ बनाती है। अमृत भारत एक्सप्रेस उस सोच की परिचायक है, जो बताती है कि अब देश की रेल यात्रा आधुनिक सुविधाओं एवं किफायती दरों के साथ एक नये युग में प्रवेश कर चुकी है।
मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री में अमृत भारत 2.0 का किया गया है निर्माण
हवाई जहाज की तर्ज पर इनमें रेडियम एलिमिनेटेड फ्लोरिंग स्ट्रिप, एयर स्प्रिंग बॉडी लगाई गई है। ट्रेन के प्रसाधनों में भी उन्नत तकनीक की सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। यह ट्रेन 130 किमी./घंटा की रफ्तार से चल सकती है। इसके कपलर में क्रैश ट्यूब एवं ईपी-असिस्टेड ब्रेक सिस्टम की सुविधा भी है, जिससे तेजी से ब्रेक लग सकेगा। भारतीय रेल ने पहली बार ये विशेषतायें ट्रेनों में जोड़ी हैं।यह ट्रेन पूरी तरह से सील गैंगवे एवं वैक्यूम एवैक्यूएशन सिस्टम से युक्त है। यात्री एवं सुरक्षा-गार्ड के बीच दो-तरफा संचार के लिये प्रत्येक कोच में इमरजेंसी टॉक बैक सिस्टम की नई सुविधा है। गैर- वातानुकूलित कोचों में पहली बार फायर डिटेक्शन सिस्टम की सुविधा यात्रियों के लिये उपलब्ध है। ऑन-बोर्ड कंडीशन मॉनिटरिंग सिस्टम (ओ.बी.सी.एम.एस.) से रियल टाइम व्हील एवं बियरिंग की निगरानी होती है। देश में पहली बार किसी ट्रेन में बाहरी आपातकालीन लाइट्स एवं सेमी-ऑटोमैटिक कपलर का उपयोग किया गया है।