
गाज़ियाबद- आज केआईईटी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स, गाज़ियाबाद में “विकसित भारत 2047 की ओर प्रेरक पहल” विषय पर एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद् तथा बी.टेक और एमबीए के छात्र-छात्राएँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। जिलाधिकारी महोदय ने छात्रों को भारत के भविष्य का ध्वजवाहक बताते हुए उद्घाटन भाषण दिया, श्री नरेंद्र भूषण (IAS) ने अपने उद्बोधन में कहा कि “विकसित उत्तर प्रदेश 2047” का सपना केवल सरकारी योजनाओं से संभव नहीं है, बल्कि यह जन-सरकार सहयोग (Public-Government Collaboration) से ही साकार होगा। उन्होंने कहा कि यदि जनता और शासन मिलकर कार्य करें तो उत्तर प्रदेश और भारत दोनों ही अगले दो दशकों में विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल हो सकते हैं।
उन्होंने युवाओं के सामने “इनोवेशन व्हील” की अवधारणा रखी। उन्होंने बताया कि मानव सभ्यता की यात्रा में पहिए के आविष्कार से लेकर आग की खोज तक ने समाज को बदल दिया। उसी तरह आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से एजेंटिक AI तक का सफ़र दुनिया की दिशा तय कर रहा है। यदि भारत और उत्तर प्रदेश इस तकनीकी क्रांति में अग्रणी बने, तो 2047 तक हम वैश्विक नेतृत्व कर सकते हैं।
श्री भूषण ने कहा कि एडवांस टेक्नोलॉजी, ऊर्जा स्रोतों का बदलाव (Energy Source Migration) और ग्रीन एनर्जी की ओर संक्रमण आने वाले वर्षों में विकास के सबसे बड़े आधार होंगे। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे ऊर्जा दक्षता, हरित प्रौद्योगिकी और उभरती तकनीकों पर कार्य करें, क्योंकि यही क्षेत्र विकसित उत्तर प्रदेश 2047 की दिशा तय करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में $1 ट्रिलियन इकोनॉमी का निर्माण करना है, जो पूरे भारत के विकसित भारत 2047 के सपने की मज़बूत नींव बनेगा। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने नवाचारी और व्यवहारिक सुझाव समर्थ पोर्टल पर साझा करें, ताकि गाज़ियाबाद से आने वाले विचार उत्तर प्रदेश और पूरे देश के विकास मॉडल के रूप में सामने आ सकें।
कार्यक्रम का पहला मुख्य सत्र डॉ. अदेश पांडेय, निदेशक अकादमिक, केआईईटी द्वारा संचालित किया गया। उन्होंने “तकनीकी शिक्षा – विज़न 2047 एवं विकसित भारत” विषय पर विचार रखते हुए कहा कि तकनीकी शिक्षा केवल रोजगार तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालते हुए सुझाव दिया कि Outcome-based Learning, National Research Foundation और डिजिटल गवर्नेस जैसे कदम भारत को वैश्विक तकनीकी शक्ति बनाने में सहायक होंगे। उन्होंने बताया कि केआईईटी संस्थान डिजिटल कैंपस, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में योगदान दे रहा है।
इसके पश्चात् डॉ. अभिनव जुनेजा ने “विकसित उत्तर प्रदेश 2047 – व्यावसायिक शिक्षा” विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है और हर महीने लगभग 10 लाख युवा कार्यबल में जुड़ते हैं, लेकिन मात्र 5 प्रतिशत ही व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर पाते हैं। उन्होंने युवाओं को डिजिटल और ब्लेंडेड लर्निंग अपनाने, उद्योग-अकादमिक साझेदारी को मजबूत करने और AI/VR आधारित प्रशिक्षण से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
तीसरे सत्र में डॉ. सौरव कुमार (जीएम-टीबीआई, केआईईटी) ने “स्टार्टअप इकोसिस्टम – विकसित उत्तर प्रदेश 2047” विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में 228 से अधिक स्टार्टअप सक्रिय हैं, जिन्होंने अब तक 500 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व और 28 करोड़ रुपये से अधिक का निजी निवेश अर्जित किया है। उन्होंने कहा कि राज्य को अभी भी फंडिंग, R&D और इकोसिस्टम से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनके समाधान हेतु Hub & Spoke मॉडल, Plug & Play सुविधाएँ और Deep-Tech Startups के लिए विशेष फंडिंग अवसर आवश्यक हैं।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि डॉ. जितेन्द्र कुमार तोमर (पूर्व निदेशक, कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने शिक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा को विकसित भारत 2047 के तीन अनिवार्य स्तंभबताते हुए कहा कि यदि भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र बनाना है, तो तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ कृषि उत्पादन, खाद्य संसाधनों का संरक्षण और ग्रामीण विकास पर भी समान ध्यान देना होगा। उन्होंने युवाओं को नई कृषि तकनीकों, ऑर्गेनिक खेती और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में शोध और उद्यमिता अपनाने की प्रेरणा दी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी (पूर्व IAS एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव) ने अपने विस्तृत और प्रेरक संबोधन में “विकसित भारत 2047” की अवधारणा पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य केवल आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं है, बल्कि वर्ष 2047 तक विश्व मंच पर अग्रणी स्थान प्राप्त करना है। उन्होंने छात्रों को याद दिलाया कि इतिहास में एक समय ऐसा था जब भारत का वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान था, किंतु विभिन्न ऐतिहासिक और राजनीतिक कारणों से देश पिछड़ गया। अब समय आ गया है कि भारत पुनः उस गौरवशाली स्थान को प्राप्त करे।
श्री तिवारी ने युवाओं की भूमिका को विकसित भारत 2047 की सबसे महत्वपूर्ण धुरी बताया। उन्होंने कहा कि नीतियाँ और योजनाएँ तभी सफल होंगी जब उनमें युवा वर्ग के विचार और सुझाव शामिल किए जाएँ। इस संदर्भ में उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने नवाचारी और व्यवहारिक सुझाव “समर्थ पोर्टल” पर साझा करें और सक्रिय रूप से इस राष्ट्रीय पहल में भाग लें।
उन्होंने छात्रों से यह भी आह्वान किया कि वे केवल सुझाव देने तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें सार्थक और क्रियान्वित करने योग्य बनाएँ ताकि गाज़ियाबाद के युवाओं के सुझाव राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हो सकें। उन्होंने विशेष रूप से छात्रों को प्रेरित किया कि वे गाज़ियाबाद से आने वाले शीर्ष 3 सुझावों में और उत्तर प्रदेश के शीर्ष 10 सुझावों में स्थान प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की सहभागिता से न केवल स्थानीय पहचान मज़बूत होगी बल्कि उत्तर प्रदेश और सम्पूर्ण भारत की प्रगति को भी नई दिशा मिलेगी।
समापन सत्र में संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. मनोज गोयल ने कहा कि केआईईटी ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स “विकसित भारत @2047” की दृष्टि को साकार करने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। कार्यक्रम का समापन मुख्य विकास अधिकारी श्री अभिनव गोपाल के धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। पूरा सभागार राष्ट्र निर्माण के संकल्प से गूंज उठा और यह आयोजन छात्रों में नई ऊर्जा तथा प्रेरणा का संचार कर गया।