कालपी। सोमवार को डकैत से सांसद बनी फूलन देवी की मौत के 23 वर्ष पूरे गये। इस दौरान ग्रामीणों तथा परिजनों द्वारा उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर इस दिवस को शहादत दिवस के रूप में मनाया।
डकैत से संसद तक का सफ़र करने वाली दस्यु सुन्दरी फूलन देवी किसी परिचय की मोहताज नहीं है उनके द्वारा घटित किये गये बेहमई काण्ड ने उनका नाम विदेशो तक फैल गया था उनके बारे में विभिन्न तरह की धारणा बन गयी थी किसी के लिए वह क्रूर डकैत थी तो कोई उन्हें अन्याय के खिलाफ जंग लड़ने वालो के लिए मिसाल बता रहा था और उनके इन रूपों का राजनीतिक दलों के साथ फिल्म उद्योग ने भी खूब फायदा उठाया है और परिवार और समाज को राजनीतिक और सामाजिक लाभ भी हुआ है आलम यह रहा कि उनके सांसद बनते ही शेखपुर गुढ़ा गांव और यहां के बाशिन्दों के दिन बहुरने लगे थे और परिवार तो राजनीतिक और आर्थिक रूप से समृद्ध हो गया था लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनो तक नहीं रह सकी और 25 जुलाई 2001 को संसद से आवास आते समय उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। जिसका आरोप शेर सिंह राणा नामक व्यक्ति पर लगा था और इसी के साथ ही उनकी कहानी का अंत हो गया था लेकिन समाज के लोग उन्हे भूले नही है आलम यह है कि समाज को सम्मान दिलाने वाली गाँव की बेटी को गाँव के लोग देवी की तरह पूजते है और इसी के चलते गांव वालों और परिजनों ने गाँव में मंदिर बनाकर उनकी मूर्ति स्थापित कर दी है और उन्हें देवी के रूप में पूजते है। और प्रतिवर्ष उनके मरण दिवस को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी के चलते सोमवार को ग्राम प्रधान रामबाबू निषाद की अगुवाई में उनकी प्रतिमा का माल्यार्पण कर पूजा अर्चना की गयी। इस दौरान रामबिहारी निषाद, माँ मुला देवी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।