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भोजपुरी अवधी ब्रज एवं बुंदेलखंडी मुक्त विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल

प्रयागराज।उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज ऐतिहासिक पहल करते हुए एम ए हिंदी के संशोधित पाठ्यक्रम में भोजपुरी अवधी ब्रज एवं बुंदेलखंडी भाषाओं के साहित्य को शामिल करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने  यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रवेश सत्र जुलाई 2025 में यह संशोधित पाठ्यक्रम शिक्षार्थियों के लिए उपलब्ध रहेगा।विश्वविद्यालय स्थानीय भाषाओं के विकास के लिए पिछले 6 माह से लगातार कार्य कर रहा है।कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने उत्तर प्रदेश राज्य की स्थानीय बोलियों भोजपुरी अवधी ब्रज और बुंदेलखंडी को उत्तर प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही में स्थान देने के फैसले का स्वागत किया है।उन्होंने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है।इससे भाषाई विविधता को बढ़ावा मिलेगा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जिसने विधान सभा में बहुभाषी संवाद की सुविधा प्रारंभ की है।कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन में एक अग्रणी कदम है।उत्तर प्रदेश का एकमात्र मुक्त विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के आलोक में इन चारों भाषाओं अवधी भोजपुरी ब्रज एवं बुंदेलखंडी को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर मातृभाषा में शिक्षा देने के संकल्प को साकार करने की ओर अग्रसर है।प्रोफेसर सत्यकाम ने बताया कि इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय आगामी 20 एवं 21 मार्च 2025 को साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी के विकास में भोजपुरी अवधी, ब्रज एवं बुंदेलखंडी भाषा के योगदान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कर रहा है।जिसमें देश के विभिन्न भाषा विशेषज्ञ विचार-मंथन करेंगे और स्थानीय भाषा एवं बोलियों के विकास को आगे बढ़ाने में मुक्त विश्वविद्यालय एक नया मानक स्थापित करेगा।विश्वविद्यालय का कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश होने से विश्वविद्यालय की पहुंच अवध ब्रज पूर्वांचल तथा बुन्देलखण्ड के क्षेत्रों तक आसानी से उपलब्ध है।अपनी इसी पहुंच के कारण मुक्त विश्वविद्यालय ने स्थानीय भाषा बोलियों के विकास का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। प्रदेश सरकार ने इन बोलियों के विकास पर जो रुचि प्रदर्शित की है उससे विश्वविद्यालय को भी संबल प्रदान हुआ है।

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