
प्रयागराज।लोकसभा में प्रयागराज सांसद उज्जवल रमण सिंह ने महाकुंभ में हुई भगदड़ पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देश व प्रदेश के मुखिया को जनता से माफी मांगनी चाहिए उन्होंने लोकसभा में राष्ट्रपति के भाषण पर बोलते हुए एक कविता- से शुरुआत “ई भक्ति के रंग में रंगल गांव देखा।
धरम में करम में सनल गांव देखा।अगल में बगल में सगल गांव देखा।अमवसा नहाये चलल गांव देखा।”सदियों से गंगा जमुना के संगम पर माघ मास में साधू संयासी कल्पवासी एक माह पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक रोज गंगा स्नान कर सिर्फ एक समय भोजन कर तप करते है।छह साल में अर्ध कुम्भ और बारह साल में महा कुम्भ लगता हैं। इस महाकुम्भ 2025 को ग्रह नक्षत्र का मिलन हुआ कि 144 साल के बाद ऐसा संजोग आया इसका सरकार ने खुब प्रचार प्रसार किया और उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री घूम घूम कर देशभर में नेवता (निमंत्रण) बांट आये।
कविता”अजर हो गया हैं अमर हो गया है।शहर तंबुओं का शहर हो गया हैं।महाकुंभ की आस्थाओं में डूबा ये लाखों करोड़ों का घर हो गया है।’उन्होंने कहा कि अध्यक्ष महोदय हम जब लोगों को दवात के लिए अपने घर बुलाते हैं तो उनके लिए हर छोटी से बड़ी जरूरत की चीजों की व्यवस्था करते हैं ।लेकिन इस महाकुंभ में उलटा हुआ देशभर के लोगों को प्रचार प्रसार कर बुला तो लिया गया लेकिन व्यवस्था रामभरोसे छोड़ दिया गया यह थीं सरकार की नाकामी या अदूरदर्शिता।तीन जगह जो भगदड़ हुई उसकी दो मुख्य वजह थीं।-1-पलाटूंन पुल का बंद होना जिससें भीड़ सरकुलेट नहीं हो पाई और रात में संगम नोज पर ही सब इक्कठा हो गए 20-20किमी पैदल चलाया रास्ते में कहीं भी विश्रामालय शौचालय यहाँ तक कि पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं किए।जब आदमी इतनी दूर पैदल चलेगा तो उसको नींद आना स्वभाविक हैं।अधिकारियों को मालूम था कि संगम नोज पर भीड़ ज्यादा हैं लोग सो रहे हैं तो उनको पलाटूंन पुल से दुसरी तरफ क्यों नहीं डाईवर्ट किया गया क्या डर था कि पलाटूंन पुल पर लगीं घटिया क्वालिटी की साल स्लीपर टूट जायेगा-2-वीवीआईपी मूमेंट इस आस्था के महा कुम्भ को इवेंट मे बदलने और राजनीतिक लाभ लेने के चक्कर में सौकड़ों मासूम स्नानार्थियों कि जान गई हजारों लोग बिछड़ जो आज तक उनके परिजन उनको खोज रहे हैं।
मैं साल भर पहले से सरकार को प्रेस माध्यम व अधिकारियों को फोन के माध्यम से सचेत कर रहा था कि इस महाकुंभ कि तैयारी सही से समय से नहीं हो रही हैं पर किसी ने मेरी बात नहीं सुनी । महाकुंभ की एक भी तैयारी बैठक नहीं बुलाया गया जिसमें मैं अपने सुझाव दे सकता।इस महाकुंभ में भ्रष्टाचार की बू शुरू से ही आने लगीं थीं जब 300करोड़ के लगभग साल की लकड़ी जो स्लीपर बनाने के काम आता हैं हमेशा सरकार से सरकार आर्डर होता था लेकिन इस बार प्राईवेट फर्म को आर्डर दिया गया क्यों जिसकी वजह से समय पर आपूर्ति नहीं हुई जल्दी जल्दी में घटिया क्वालिटी के साल सप्लाई हुए यहीं डर था।इतना भारी भरकम बजट पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ मेला क्षेत्र के मोहल्लों की सड़क तो छोड़ दें मुख्य सड़क भी नहीं बनी पर कागज पर सब निर्माण हो गया इसकी जांच होनी चाहिये।कार्य को जान बूझकर लेट किया गया कि जब कम समय बचेगा तो लीपापोती होगी।कविता-“झूठ के सैलाब में सच किनारे बह गए।चांद की झूठी तरफदारी में तारे रह गए।पूछिए मत कौन दोषी हैं गिरावट का यहां।मुल्क के मजबूत पाये सबसे पहले ढह गये।”सांसद प्रतिनिधि विनय कुशवाहा ने बताया कि सांसद उज्जवल रमण सिंह ने कहा कि सरकार क्या सावित करना चाहती हैं कि गरीबों के जान की कोई कीमत नहीं है क्योंकि भगदड़ में कोई वीवीआईपी मरा क्या कोई पूंजीपति मरा क्या।मरने वाले रोंदे गये लोग गरीब किसान कमजोर लोग थे।यह सरकार की असंवेदनशीलता की परकाष्ठा हैं जिनकों इंसानी जानों की कोई परवाह नहीं।उन्होंने कहा कि उस पर गरीब मरें तो संवेदना छोड़ लिजीए तथाकथित लोग प्रवचन दें रहे हैं उसी महाकुंभ के पंडाल में कि मोक्ष प्राप्त हो गई ऐसी मोक्ष गरीबों के लिए ही है ऐसे तथाकथित लोग क्यों नहीं मोक्ष की प्राप्ति करते जो सरकार की सुविधाओं का भोग करते हैं।कविता-“पुण्य की डुबकी लगाने आये थे मासूम जो मौत उनको मिल गई।क्या था बताओ उनका पाप।हादसे नाकामी और गलतियों के बाद भी।थपथपाते दिख रहे हैं अब भी अपनी पीठ आप।