अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप), जेएनयू इकाई ने आज जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर एक विशेष टॉक का आयोजन किया। यह कार्यक्रम जेएनयू के साबरमती ढाबा पर आयोजित किया गया, जिसमें समाज और इतिहास के विविध पहलुओं पर चर्चा की गई।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध विद्वान प्रोफेसर हिमांशु रॉय और प्रोफेसर अदिति नारायणी ने भाग लिया। दोनों वक्ताओं ने जनजातीय समुदायों के इतिहास, उनकी संस्कृति, और भारतीय समाज में उनके योगदान पर गहन विचार साझा किए।
प्रोफेसर हिमांशु रॉय ने अपने संबोधन में कहा, “भारत की जनजातीय परंपराएं हमारे देश की सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करती हैं। यह दिवस हमें उनकी पहचान, संघर्ष और अद्वितीय विरासत का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है।” वहीं, प्रोफेसर अदिति नारायणी ने महिलाओं की भूमिका और जनजातीय समाज के विकास में उनके योगदान पर प्रकाश डाला।
अभाविप जेएनयू के अध्यक्ष श्री राजेश्वर कांत दूबे ने कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कहा, “जनजातीय गौरव दिवस हमारे समाज के उन नायकों को सम्मानित करने का दिन है, जिन्होंने अपनी परंपराओं और मूल्यों को जीवित रखा। जेएनयू में इस तरह की चर्चाएं जनजातीय समुदायों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य करती हैं।”
इस अवसर पर अभाविप जेएनयू की मंत्री शिखा स्वराज ने कहा, “अभाविप ने हमेशा समाज के उपेक्षित वर्गों के उत्थान और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाई है। इस तरह के आयोजनों से युवाओं को अपने देश की विविधता और संस्कृति को समझने का मौका मिलता है।”
कार्यक्रम में छात्रों, शिक्षकों, और शोधार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह आयोजन न केवल जनजातीय समुदायों की विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक रहा, बल्कि संवाद और विचार-विमर्श का एक मंच भी प्रदान किया।