कोंच। हालिया निपटा लोकसभा चुनाव कोंच के लिए खासा अहमियत भरा रहा। वोटिंग के आंकड़े बताते हैं कि पांच बार के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा अपना गृहनगर भी नहीं जीत पाए जो उनके कामकाज का तौर तरीका बताने के लिए काफी है। हालांकि राजनीति के कई जानकार मानते हैं कि इस चुनाव में एंटी कंबेंसी वोट बड़ी मात्रा में पड़ा है जो भानु की हार का बड़ा कारण बना है लेकिन उनका अपने गृहनगर से हारना केवल एंटी कंबेंसी के तौर पर नहीं देखा जा सकता है बल्कि इससे आगे की भी कमी बयां होती दिखाई दे रही है। कोंच नगरीय क्षेत्र में भाजपा के मुकाबले सपा प्रत्याशी को 1360 वोट ज्यादा मिले हैं जबकि निकाय चुनाव में भाजपा जीत कर आई थी।
अट्ठारहवीं लोकसभा के गठन को लेकर हुआ संसदीय चुनाव जालौन गरौठा भोगनीपुर संसदीय सीट पर एक नई इबारत लिख गया। इस चुनाव में ‘बदलाव’ और ‘हिंदुत्व’ के बीच अंतर्द्वंद्व से जूझते मतदाता पर मुद्दे और समस्याएं भारी पड़ गए और उसने बदलाव को चुना। एंटी कंबेंसी वोट भी बहुतायत में तो पड़ा ही, पार्टी का अंदरूनी अंतर्द्वंद्व भी भाजपा प्रत्याशी की हार के कारण के तौर पर देखा जा रहा है। आठवीं बार चुनाव मैदान में आए भाजपा प्रत्याशी भानुप्रताप सिंह वर्मा के लिए यह चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण था, खासतौर पर तब जब पार्टी आलाकमान ने अच्छों अच्छों के टिकट कुतर कर फेंक दिए लेकिन भानुप्रताप सिंह वर्मा उसकी फेवरेट लिस्ट में शामिल रहे और पहली ही लिस्ट में उनके नाम की घोषणा हुई। पिछले दस सालों से भाजपा जिस तरह से हिंदुत्व का कार्ड खेलती आ रही थी उसका असर इस चुनाव में नहीं दिखा, बल्कि स्थानीय समस्याओं और मुद्दों ने वोटिंग के दौरान मतदाताओं को बदलाव के प्रति उकसाया। मौजूदा सांसद के पिछले दस सालों में कराए गए कामों का लेखा-जोखा भी इस चुनाव में पैमाने के तौर पर देखा गया और मतदाता ने उनसे दूरी बना ली। लोकसभा चुनाव के परिणामों ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। भाजपा प्रत्याशी को मिली करारी हार से कथित तौर पर बूथ लेवल तक मजबूत कही जाने वाले भाजपा संगठन की मजबूती पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो भाजपा नगर संगठन पर सपा का नगर संगठन ज्यादा भारी दिखाई दिया। परिणाम बताते हैं कि नगर में सपा ने भाजपा को 1360 मतों से शिकस्त दी है। यह हार निश्चित तौर पर पूरे भाजपा संगठन के लिए चिंता का विषय हो सकती है।