ललितपुर- अपर जिलाधिकारी वि/रा0 अंकुर श्रीवास्तव ने ग्रीष्म ऋतु में लू (हीट स्ट्रोक)/गर्म हवाओं से बचाव हेतु आवश्यक जानकारी देते हुए बताया गया है कि वर्तमान में तापमान में हो रही वृद्धि के कारण जनपदवासियों को लू (हीट स्ट्रोक) से बचाव की आवश्यकता है।
लू (हीट स्ट्रोक) के दौरान क्या करें, क्या न करें
लू (हीट स्ट्रोक) भारतीय व अन्तर्राष्ट्रीय मानकों एवं भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी जगह का स्थानीय तापमान लगातार 03 दिन तक वहां के सामान्य तापमान से 03 डिग्री0से0 या अधिक बना रहे तो उसे लू या हीटबेव कहते हैं। विश्व मौसम संघ के अनुसार यदि किसी स्थान का तापमान लगातार 05 दिन तक सामान्य स्थानीय तापमान से 05 डिग्री0से0 अधिक बना रहे अथवा लगातार दो दिन तक 45 डिग्री0से0 से अधिक का तापमान बना रहे तो उसे हीटवेव या लू कहते हैं।
जब वातावरणीय तापमान 37 डिग्री0से0 तक रहता है तो मानव शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पडता है, जैसे ही तापमान 37 डिग्री0से0 से ऊपर बढता है तो हमारा शरीर वातावरणीय गर्मी को शोषित कर शरीर के तापमान को प्रभावित करने लगता है। गर्मी में सबसे बडी समस्या होती है लू लगना। अंग्रेजी में इसे (हीट स्ट्रोक) या सन स्ट्रोक कहते हैं। गर्मी में उच्च तापमान में ज्यादा देर तक रहने से या गर्म हवा के झोकों के सम्पर्क में आने पर लू लगती है।
कब लगती है लू
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गर्मी में शरीर के द्रव्य बाडी फल्यूड सूखने लगती है। शरीर से पानी नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। निम्न स्थितियों में लू लगने की सम्भावना अधिक रहती है- 1-शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसंस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह।
2-ऐसी कुछ औषधियॉ जैसे डाययूरेटिक, एंटीस्टिमिनिक, मानसिक रोग की कुछ औषधियाँ ।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
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1-गर्म लाल शुष्क त्वचा होना, पसीना न आना।
2-तेज पल्स होना।
3-उथले श्वास गति में तेजी।
4-व्यवहार में परिवर्तन भ्रम की स्थिति।
5-सिरदर्द मितली थकान और कमजारी होना चक्कर आना।
6-मूत्र न होना अथवा इसमें कमी।
उपरोक्त लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर में निम्नलिखित प्रभाव पडता है-
1-उच्च तापमान से शरीर के आंतरिक अंगों विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसानल पहुंचाता है तथा शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न करता
2-मनुष्य के हृदय के कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव उत्पन्न होता है।
3-जो लोग एक या दो घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिगी0से0 105 एफ0 या अधिक तापमान अथवा गर्म हवा में रहते हैं तो उनके मस्तिष्क में क्षति होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है।
हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय
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हीटवेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है जिससे मृत्यु भे हो सकती है। इसके
प्रभाव को कम करने के लिये निम्न तथ्यों पर ध्यान देना चाहिये-
1-प्रचार माध्यमों पर हीटवेव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें।
2-अधिक से अधिक पानी पियें यदि प्यास न लगी हो तब भी।
3-हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हल्के वस्त्र पहनें।
4-धूप के चश्मे छाता टोपी व चप्पल का प्रयोग करें।
5-अगर आप खुले में कार्य करते हैं तो सिर चेहरा हाथ पैरों को गीले कपडे से ढके रहें तथा छाते का प्रयोग करें।
6-लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर सूती गीले कपडे से पोछें अथवा नहलायें तथा चिकित्सक से सम्पर्क करें ।
7-यात्रा करते समय पीने का पानी साथ ले जायें।
8-ओ०आर०एस० घर में बने हुये पेय पदार्थ जेसे लस्सी चावल का पानी (माड) नीबू पानी छाछ आदि का उपयोग करें
जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके ।
9-हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट कैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी चक्कर आना सददर्द उबकाई पसीना आना मूर्छा आदि को पहचानें ।
10-यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते हैं तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह प्
11-अपने घर को ठण्डा रखें पर्दे दरवाजे आदि का उपयोग करें तथा शाम / रात के समय घर तथा कमरे को ठण्डा करने हेतु इसे खोल दें।
12-पंखे गीले कपड़ों का उपयोग करें तथा बारम्बार स्नान करें।
13-कार्य स्थल पर ठण्डे पीने का पानी रखे/उपलब्ध करायें।
14-कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें ।
15-श्रमसाध्य कार्यो को ठण्डे समय में करने/कराने का प्रयास करें।
16-घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढायें।
17-गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिये।
’क्या न करें’
1-जानवरों एवं बच्चों को कभी भी बन्द/खड़ी गाडियों में अकेला न छोडें।
2-दोपहर 12 से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिये जहाँ तक सम्भव हो घर के निचली मंजिल पर रहें।
3-गहरे रंग के भारी तथा तंग कपडे न पहनें।
4-जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें।
5-अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संकमित खाद्य एवं पेय पदार्थो का प्रयोग न करें। अल्कोहल, चाय व काफी पीने से परहेज करें।