जखनियां (गाजीपुर): पेड़ काटने में घंटों का समय लगता है। पौधारोपण करना चंद सेकेंड का काम है। उसके बाद भी हम पौधे लगाने में नहीं पेड़ काटने में ज्यादा गंभीरता दिखाते हैं। इसी तरह से पेड़ों पर यदि लालच की कुल्हाड़ी चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ियां पेड़ों की छाया तक तरस जाएगी। अकाल भी सकता है। हम सभी को मिलकर पेड़ों की घटती संख्या को बढ़ाकर पर्यावरण को बचाना है। सभी के प्रयास से ही इस मुहिम में कामयाबी मिलेंगी। जब भी समय मिले हमें एक पेड़ जरूर लगाना चाहिए। उक्त शब्द जखनिया क्षेत्र के मुडियारी ग्रामसभा निवासी ग्रीनमैन डॉक्टर अरविंद कुमार आजाद ने कही। ग्रीनमैन ने विगत कई वर्षों से पर्यावरण संरक्षण एवं जागरूकता के प्रति अभियान छेड़ रखा है। धीरे-धीरे इस अभियान में लोग जुड़ने लगे कुछ समय बाद कई सामाजिक संस्था शामिल होकर पर्यावरण जागरूकता की इस मुहिम को आगे बढ़ाया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र की सबसे बड़ी संस्था हिंदुस्तान स्काउट गाइड के साथ जुड़कर स्कूलों तथा कॉलेज में जाकर पर्यावरण जागरूकता एवं जन्मदिन पर एक-एक पौधे लगाने की शपथ दिलाते रहे। शादी,श्राद्ध तथा जन्मदिन के अवसर पर लोगों को पौधे भेंटकर पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता के लिए प्रेरित करते हैं।प्राचीन मनीषियों ने भी पेड़ों के संरक्षण के लिए कार्य किए है। विद्वान इस बात को जानते थे कि वृक्षों के बिना जीवन संभव नहीं है। तभी तो उन्होंने हमारे जीवन में हर व्रत या पर्वों को वृक्षों से जोड़ा है। डा.अरविंद कुमार आजाद ने कहा कि हमारे शास्त्रों में भी बताया गया है कि दस कुएं के समान एक बावड़ी,दस बावड़ी के सदृश एक सरोवर,दस सरोवर की तुलना में एक पुत्र और दस पुत्रों की तुलना में एक वृक्ष माना गया है। एक वृक्ष को दस पुत्रों के समान बताया गया है। यानि जितना पुण्य दस पुत्रों को उत्पन्न करने पर होता है उतना ही पुण्य एक वृक्ष लगाने पर होता है। हम अगर किसी वस्तु का सिर्फ उपभोग करेंगे लेकिन उसका निर्माण नहीं करेंगे तो निश्चित है कि एक दिन वो वस्तु नष्ट हो जाती है।