बुगरासी। कौन कहता है कि गंगा के बीचोबीच फसल नहीं उगाई जाती।भगवानपुर में शमशान घाट पर धडल्ले से सब्जियां उगाई जा रही है।इन सब्जियों की अधिक पैदावार के.लिये रसायन युक्त खाद का प्रयोग धडल्ले से किया जाता है।जिससे गंगा में पल रही मछली मगरमच्छों की जान को खतरा बना हुआ है।और ये सब ग्राम प्रधान की मर्जी के बगैर तो हो ही नही सकता है ।ऐसा तो बिलकुल भी नही है कि वन कर्मियों को इसकी भनक भी ना हो। उनकी मर्जी भी शामिल होती है।एक तरफ तो सरकार गंगा में पल रहे मछली मगरमच्छ आदि की सलामती के लिये पैसा पानी की तरह बहा रही है।वही दूसरी ओर विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते सरकार की योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है।ऐसा तो बिल्कुल भी नही है कि स्थानीय पुलिस को इसकी भनक ना हो लेकिन पुलिस इसमें बिना सरकारी आदेश के दखलंदाज नही कर सकती है।वहीं दूसरी ओर ये भी अटल सत्य है कि अगर ये मजदूर गंगा में सब्जी की फसल ना लगायें तो इनके परिवार का पालन पोषण भी मुश्किल में पड जायेगा।अब कोई करे तो क्या करे……सबकुछ यूँ ही भगवान के भरोसे चलता आ रहा है और चलता रहेगा…