गाजीपुर।भीषण शीतलहर को देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देश पर बेसिक शिक्षा विभाग के आदेश...
Year: 2024
प्रदेश में 18 साल से कम आयु के कोई भी व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थल में दो-चार पहिया वाहन नहीं चलाएगा। शासन की ओर से इसे लेकर जारी निर्देश के बाद परिवहन विभाग के सहयोग से माध्यमिक विद्यालयों में सख्ती की जाएगी। इसके लिए अभियान चलाकर युवाओं को जागरूक किया जाएगा। साथ ही छात्रों को सड़क सुरक्षा के प्रति विभिन्न माध्यमों से जानकारी भी दी जाएगी। इसके तहत हर विद्यालय में एक रोड सेफ्टी क्लब का गठन किया जाएगा। सभी कक्षाओं में एक-एक विद्यार्थी को रोड सेफ्टी कैप्टन बनाया जाएगा। विद्यालय में एक क्लास सड़क सुरक्षा की जानकारी पर भी लगेगी। हर विद्यालय में एक शिक्षक को नोडल बनाकर परिवहन विभाग के सहयोग से ऑनलाइव व ऑफलाइन प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। वहीं 18 साल से कम आयु के बच्चे कोई भी मोटर वाहन न चलाएं, इसके लिए जागरूकता के साथ सख्ती भी की जाएगी। हाल में परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह की ओर से इसे लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कम उम्र में वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही माध्यमिक शिक्षा निदेशक से इसके लिए विद्यालयों में अभियान चलाने को कहा गया है। इसी क्रम में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने सभी डीआईओएस को इसके लिए निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों को भी रोड सेफ्टी नोडल शिक्षक नामित किया जाए। प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को सड़क सुरक्षा की जानकारी दें और उन्हें इसकी शपथ भी दिलाई जाए। विद्यालयों में सड़क सुरक्षा के नियमों से संबंधित वॉल पेंटिंग कराई जाए। विद्यार्थियों के वाट्सअप ग्रुप बनाकर इससे संबंधित जानकारी व सुझाव साझा किए जाएं। निदेशक ने कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भी इसके लिए प्रयोग किया जाए। छात्रों को बताया जाए कि बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया है कि विद्यालयों में रोड सेफ्टी क्ल्ब के गठन के लिए प्रति विद्यालय पांच हजार कुल 44.95 लाख रुपये के बजट की और विद्यालय की दीवारों पर यातायात नियमों व स्लोगन लिखवाने के लिए भी प्रति विद्यालय 500 रुपये के बजट की व्रूवस्था के लिए परिवहन आयुक्त को पत्र भेजा गया है। निदेशक ने कहा है कि परिवहन विभाग के अधिकारियों से समन्वयक कर इस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
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यह खुला तथ्य है कि पहलवानों को कांग्रेस पार्टी का समर्थन है। खबरें तो यह भी हैं कि साक्षी, विनेश और बजरंग को आगामी लोकसभा या हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट दे सकती है। ताजा प्रकरण में नाराज पहलवानों से मिलने प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी पहुंचे। राहुल गांधी की बजरंग पुनिया के गांव जाने और कुश्ती लड़ने वाली तस्वीरें पूरे देश न देखीं। विनेश के अवार्ड वापसी के बाद भी राहुल और प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया के माध्यम से मोदी सरकार पर तीखे हमले किये। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा की पहलवान आंदोलन से लेकर वर्तमान प्रकरण तक भूमिका सार्वजनिक है। न्याय के लिए आंदोलन और अपनी आवाज बुलंद करने का अधिकार हमें हमारा संविधान प्रदान करता है। लेकिन खिलाड़ियों का एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता की भांति व्यवहार उचित नहीं ठहराया जा सकता। पिछले एक साल में ऐसे कई अवसर आए जब पहलवानों ने अपने राजनीतिक आकाओं के इषारे पर सोची समझी रणनीति के तहत केंद्र की मोदी सरकार की छवि धूमिल करने वाले कृत्यों को अमली जामा पहनाया। बीती 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या धाम में नवनिर्मित हवाई अड्डे ओर रेलवे स्टेशन का लोकार्पण किया। अयोध्या को देश से जोड़ने के लिए कई नई रेलगाड़ियों का हरी झंडी दिखाई। और अयोध्या धाम के विकास के लिए करोड़ों की योजनाओं की घोषणा की। अयोध्या के विकास और प्रभु श्रीराम मंदिर के लोकापर्ण से पूर्व इस कार्यक्रम की बड़ी महत्ता है। लेकिन पहलवान इस दिन भी प्रपंच करने से बाज नहीं आए। विनेश फोगाट इसी दिन पीएम आवास के बाहर अपना अर्जुन और खेल रत्न सम्मान वापस करने पहुंची और अपने अवार्ड सड़क पर छोड़कर चली आईं। पहलवानों का खास मौके पर नकारात्मक व्यवहार यह साबित करता है कि वे एक राजनीतिक दल के पयादे या मोहरे भर हैं। पूर्व की घटनाओं के आधार पर इस बात की संभावना है कि आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के शुभ अवसर पर रंग में भंग डालने के लिए पहलवान कोई नया नाटक या प्रपंच कर सकते हैं। पूरा देश चाहता है कि पहलवानों को न्याय मिले। लेकिन न्याय पाने के लिए जो पहलवान जो प्रपंच और प्रोपगेंडा कर रहे हैं, वो देशवासियों को अखरता है। एक अहम प्रश्न यह भी है कि जब पहलवानों ने धरना प्रदर्शन किया, उस समय भी उन्हें देश के सारे पहलवानों या अखाड़ों का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ। वहीं जाट समुदाय की खाप पंचायतें भी खुलकर उनके समर्थन में नहीं आई। इससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कहीं न कही पहलवान बिरादरी और जाट समुदाय ये मानता है कि पहलवानों ने इस मामले में राजनीति कर रहे हैं। यकीन मानिए अगर पहलवानों के आरोपों में सौ फीसदी सच्चाई झलकती तो पूरा देष उनके साथ खड़ा दिखाई देता। पहलवानों के आरोप बेबुनियाद और झूठा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इन आरोपों में राजनीति की मिलावट साफ-साफ दिखाई देती है। पहलवान न्याय चाहते हैं, लेकिन अपने मन के मुताबिक। वो चाहते हैं कि कुश्ती महासंघ पर उनका वर्चस्व हो। वो कानून और नियमों को दरकिनार कुश्ती में बना रहना चाहते हैं। वो खुद को चैंपियन समझते हैं और ट्रायल देने में अपनी तौहीन समझते हैं। वो चाहते हैं कि सभी बड़ी खेल र्स्पाधाओं में बिना ट्रायल उन्हें प्रवेश दिया जाए। ऐसा हो भी चुका है। 2022 के एशियाई खेलों में विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को बगैर ट्रायल सीधी एंट्री मिली। नतीजा सबका सामने है।
पीडीडीयू नगर के सीओ अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति तक लोग बहुत...