आंख की लाइलाज बीमारियों में फूटी रोशनी की किरण, स्टेम सेल थेरेपी से ठीक होने लगे रोगी
कानपुर
जीएसवीएम की बड़ी उपलब्धि: आंख के पर्दे की दो लाइलाज बीमारियों के रोगी स्टेम सेल थेरेपी से ठीक होने लगे हैं। थेरेपी से हेरिडो मैकुलर व ड्राई एएमडी के रोगियों की आंखों में रोशनी आ गई।
आंख के पर्दे (रेटिना) के अहम हिस्से मैकुला में खराबी आने के कारण लाइलाज अंधता के रोग में भी स्टेम सेल थेरेपी से रोशनी की किरण फूटी है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग में दो रोगियों पर किया गया इसका प्रयोग कामयाब रहा है। रोगियों की आंखों में रोशनी आने के संकेत मिले हैं।
नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. परवेज खान का दावा है कि ये देश के पहले केस हैं।अभी तक हेरिडो मैकुलर और ड्राई एएमडी रोग को लाइलाज माना जाता है।इस दोनों मर्ज के रोगियों में स्टेम सेल थेरेपी का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। असर जरूर धीरे-धीरे हुआ लेकिन रोगियों को एक-दो फुट तक नजर आने लगा है। मैकुला के एक रोगी वीरेंद्र जैन 80 वर्ष के हैं। उम्र की वजह से इनकी आंख में ड्राई ऐज रिलेटेड मैकुला डिजनरेशन (एएमडी) हो गया। इनके एक आंख की रोशनी बिल्कुल चली गई। डॉ खान ने बताया कि उम्र की वजह से मैकुला सूखने लगता है। रोशनी की खत्म हो जाती है।
इसका इलाज नहीं है। रोगी जैन की खराब आंख में स्टेम सेल प्लांट किया गया। एक महीने के बाद उन्हें एक से दो फुट के बीच नजर आने लगा।
झांसी में तैनात 35 वर्षीय डॉक्टर मैकुला के दूसरे रोगी हैं। इनकी आंख मैकुला जेनेटिक बीमारी हेरिडो मैकुलर की वजह से खराब हो गई थी। इस जेनेटिक बीमारी से मैकुला बचपन से ही धीरे-धीरे खराब होने लगती है।
डॉ. खान ने बताया कि इस रोगी को भी फायदा हो रहा है। उनकी रोशनी हल्की सी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि मैकुला के रोगों में ये दोनों देश के पहले मामले हैं। इनके पहले ड्राई एएमडी और हेरिडो मैकुलर के किसी भी रोगी को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट नहीं किया गया। यह पहला प्रयोग था जिसमें सफलता मिली है। अभी एक महीने में इतना रिजल्ट आया है।