बहराइच l रमजान के मौके पर मस्जिदों में तकमील ए कुरान का सिलसिला जारी है। सलारगंज मिशन हॉस्पिटल के पीछे शबीना मस्जिद में चौदह दिवसीय नमाज़ ए तरावीह में तकमील ए कुरान के अवसर पर मौलाना सिराज अहमद मदनी ने कहा कि पवित्र कुरान एक चमत्कार है जिसको एक छोटा बच्चा भी ज़ुबानी याद कर लेता है जबकि पवित्र कुरान की भाषा हमारी मातृभाषा नहीं है। दुनिया में ऐसी कोई किताब नहीं है जिसके हाफ़िज़ दुनिया में इतनी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कुरान ए करीम एक मुकम्मल निजा़म ए हयात है जो कि इंसानी जिंदगी के हर शोबे में रहनुमाई करता है l
हाफ़िज़ ओबैदुल्लाह ने कुरान ए करीम को नमाज़ ए तरावीह में मुकम्मल किया सभी लोगों ने हाफ़िज़ उबैदुल्ला को बधाई दी।
मौलाना सिराज मदनी ने कहा कि पूरे रमज़ान के महीने में बीस रकअत तरावीह की नमाज अदा करना सुन्नत ए मुअक्कदा है, जो इसे छोड़ेगा वह गुनाहगार होगा। रमज़ान का चांद निकलने पर नमाज ए तरावीह की शुरुआत होती है औद ईद का चांद निकलने पर नमाज ए तरावीह समाप्त होती है पूरे रमज़ान में नमाज़ ए तरावीह में एक बार पूरा कुरान पढ़ना या सुनना मुसतहब है और नमाज़ ए तरावीह जमात के साथ पढना सुन्नत ए किफाया है l
मौलाना सिराज मदनी ने कहा कि हज़रत उमर रजियल्लाहू अन्हु के शासन काल से 20 रकात नमाज़ ए तरावीह जमात के साथ जारी है और पूरी दुनिया में ख़ास तौर पर मक्का और मदीना की मस्जिदों में पढ़ी जाती है l इस लिए रमज़ान मुबारक के इस पवित्र महीने में रोज़ा के साथ नमाज़ ए तरावीह पढ़ने का एहतमाम करें । मौलाना मदनी ने लोगों की इस गलतफहमी को दूर करते हुए कहा कि आज कुरान पूरा हो चुका है तरावीह का अंत नहीं हुआ है, मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि लोगों को अपनी जकात और फितरा का पैसा गरीब मुसलमानों को देना चाहिए और मदरसों को अधिक देना चाहिए जहां कुरान याद करने वाले और विद्वान स्नातक पैदा होते हैं।