October 3, 2024

सोनभद्र। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व क्षय रोग दिवस 24 मार्च, 2024 के तहत गुरुवार को प्रातः 11.00 बजे कीर्ति इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साईन्सेस, राबर्ट्सगंज में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कीर्ति इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एण्ड पैरामेडिकल साईन्सेस, राबर्ट्सगंज के छात्रों द्वारा क्षय रोग के जागरूकता हेतु नुक्कड़ नाटक का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 अश्वनी कुमार, जिला क्षय रोग अधिकारी डा0 आर0जी0 यादव, नर्सिंग कालेज के प्राचार्य डा0 जेया वनिथा द्वारा प्रतिभाग किया गया। 24 मार्च, 2023 से पूरे देश में टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम की शुरूआत की जा रही है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अश्वनी कुमार ने बताया कि, टीबी लाइलाज बीमारी नही है इससे घबरायें नही नियमित इलाज एवं पूरा कोर्स से टीबी पूर्ण रूप से ठीक हो जाती है। इलाज को बीच में छोड़-छोड़ कर करने में टीबी गम्भीर टीबी एमडीआर के रूप में परिवर्तित हो जाती है। सरकारी अथवा प्राइवेट चिकित्सालय के माध्यम से उपचार-रत सभी मरीजों को इलाज के दौरान पौष्टिक आहार हेतु रू0 500.00 प्रतिमाह मरीजों को उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से दिया जाता है। जनपद में 11 टी0बी0 यूनिट, 26 बलगम जाँच केन्द्र, 1093 ट्रीटमेण्ट सेण्टर क्रियाशील हैं वर्ष 2023 में कुल 3817 मरीज पंजीकृत हुए तथा वर्तमान में 1931 रोगी इलाजरत हैं।
गोष्ठी को जिला क्षय रोग अधिकारी डा0 आर0जी0 यादव ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए बताया कि, पीड़ित व्यक्ति के खाँसने छीकने से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति को यह बीमारी लग जाती है। छोटे स्कूली बच्चे इस बीमारी के शिकार जल्दी हो जाते है। इधर-उधर थूकने तथा साझा तौलिया, रूमाल, चादर आदि का प्रयोग करने से भी इस बीमारी को बढ़ावा मिलता है। किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय से खाँसी आ रही हो, शाम से बुखार चढ़ता हो, सीने में दर्द, खाँसी के साथ खून आना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। यदि इसका समय पर लगातार इलाज न कराया जाय तो यह बीमारी शरीर के अन्य अंगो में भी फैल जाती है। उन्होने बताया कि बाल एवं नाखून को छोड़कर टीबी शरीर किसी भी अंग में हो सकता है। टीबी दो प्रकार की होती है पलमोनरी टीबी तथा इक्ट्रा पलमोनरी टीबी, पलमोनरी टीबी से दूसरे लोगों में फैल सकती है एक पलमोनरी टीबी एक वर्ष में 8 से 10 नये रोगी बना देता है। लगातार 6 से 8 महीने तक दवा खाने से टी0बी0 की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। टी0बी0 की जाँच एवं इलाज स्वास्थ्य केन्द्रो पर निःशुल्क दिया जाता है। माननीय राज्यपाल महोदया के प्रेरणा से प्रदेश में क्षय रोगियों को गोद लेने की प्रक्रिया वर्ष 2019 से अनवरत जारी है। वर्ष 2019 में 28, वर्ष 2020 में 59, वर्ष 2021 में 346, वर्ष 2022 में 488, वर्ष 2023 में 1132 तथा वर्ष 2024 में 364 क्षय रोगियों को विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं रेड क्रास सोसायटी, लायन्स क्लब, जन प्रतिनिधियों तथा जनपद में विभिन्न विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा गोद लिया गया है। गोद लिये गये क्षय रोगियों को एक पौष्टिक आहार की पोटली स्वेच्छा से प्रदान किया जाता है। गोद लेने के इच्छुक संस्था/व्यक्ति स्वयं आगे बढ़कर स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क कर इस पुनित कार्य को कर सकते है। कार्यक्रम के समाप्ति पर जिला क्षय रोग अधिकारी द्वारा टीबी के समाप्ति हेतु एक शपथ भी दिलाई गयी। इस अवसर पर पी पी एम सतीश सोनकर, आनन्द मौर्य, अखिल, विजय, हरिमोहन, अभिमन्यु, विमल, टीआई प्रोजेक्ट से शिवशंकर सिंह इत्यादि लोग मौजूद रहे।

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